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Tuesday 1 October 2013 09:10:52 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में खादी मार्क का लोकार्पण किया। बदलते समय को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में पुनर्निवेश हेतु खादी क्षेत्र में चले आ रहे सुधार उपायों के तहत यह मार्क खादी को बहुप्रतीक्षित पहचान प्रदान करेगा, ताकि उपभोक्ताओं को शुद्धता और गुणवत्ता मिल सके और इसकी बिक्री को बढ़ावा मिल सके। इस खादी मार्क की शुरूआत के पश्चात कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी खादी वस्त्र या उत्पाद की बिक्री, बिना खादी मार्क टैग अथवा लेबल के नहीं कर सकेगी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने भारत में खादी शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए 22 जुलाई 2013 को खादी मार्क विनियमन 2013 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) खादी के रूप में विक्रय किए जा रहे उत्पादों की शुद्धता की निगरानी एवं इसे प्रमाणित करने की एक नोडल एजेंसी है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि खादी का सभी भारतीयों के साथ एक गहरा भावनात्मक संबंध है। खादी को राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक मात्र कपड़े के रूप में गौरव प्राप्त है, यह राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रकट करता है, हमारी राष्ट्रीय विरासत में योगदान का महत्वपूर्ण सहयोगी है, खादी का एक प्रशंसनीय इतिहास रहा है, यह हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का पर्याय है, ग्रामीण क्षेत्र के पुनर्जीवन हेतु आत्म निर्भरता और एक विश्वसनीय साधन दोनों ही रूप में खादी तुरंत हमारे मस्तिष्क में इसके राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ जुड़ाव को व्यक्त करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में खादी ने दस लाख से ज्यादा कारीगर परिवारों को अभाव और पिछड़ेपन से उबरने में आशा की लौ प्रज्जवलित की है, यह ग्रामीण भारत के विकास हेतु महत्वपूर्ण साधन है, हमारे देश में कई लोगों के जीवन का साधन है, वर्तमान में लगभग 10.45 लाख खादी कारीगर हैं, जिसमें से 70 फीसदी महिलाएं हैं, खादी उद्योग में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से खादी उद्योग के पुनर्जीवन हेतु किए गए प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि खादी मार्क एक अद्भुत पहल है और यह खादी उत्पाद की गुणवत्ता और विशुद्धता को प्रकट करेगा, यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कपड़ा बाजारों में स्थापन और ब्रांड निर्माण को एक अलग पहचान प्रदान करेगा।
खादी सुधार और खादी मार्क से संबंधित प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) केएच मुनियप्पा ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों को स्वदेशी अभियान और ग्राम स्वराज्य के साथ आगे बढ़ाने के लिए केवीआईसी अधिनियम 1956 के अंतर्गत खादी और ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना की गई। आज खादी को बढ़ावा देने के कार्य में देश भर में 2300 खादी संस्थाएं लगी हैं, जो लगभग 10.71 लाख कारीगरों, जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं को जीविकोपार्जन हेतु रोज़गार उपलब्ध करा रहीं हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 2012-13 वित्तीय वर्ष के दौरान खादी का उत्पादन लगभग 762 करोड़ रुपये रहा।
केएच मुनियप्पा ने कहा कि खादी मार्क की शुरुआत का प्राथमिक उद्देश्य और लाभ खादी को विशिष्ट स्थान दिलाना है और इससे खादी की शुद्धता की गारंटी और उपभोक्ताओं में जागरूकता लाने के साथ-साथ खादी के प्रचलन में भी वृद्धि आएगी।
खादी क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए इस बात पर जोर दिया गया कि खादी सुधार और विकास कार्यक्रम (केआरडीपी) के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा शुरू की गई 717 करोड़ रुपये धनराशि वाली सुधार पैकेज की सहायता से खादी क्षेत्र को बाजार प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ-साथ इसे विकास की राह में शामिल करने में मदद भी मिलेगी। इस सुधार पैकेज का वित्तियन एशियन डेवेलपमेंट बैंक द्वारा किया गया है।
केएच मुनियप्पा ने इस बात पर जोर दिया कि खादी सुधार और विकास कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान 300 खादी संस्थाओं को सीधे सहायता उपलब्ध करायी जाएगी तथा 50 नई खादी संस्थाओं का प्रबंधन उद्यमिता मॉडल के आधार पर किया जाएगा। खादी और ग्रामोउद्योग क्षेत्र में कारीगरों को उनकी जड़ों से विस्थापित किए बिना रोज़गार उपलब्ध कराने की क्षमता है। इस अवसर पर माघव लाल, सचिव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, देवेंद्र कुमार आर देसाई, अध्यक्ष, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, उदय प्रताप सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (केवीआईसी) तथा राज्य खादी बोर्ड के अध्यक्ष एवं देश भर से खादी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।