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Saturday 16 November 2013 07:30:10 AM
हैदराबाद। जाने-माने फिल्म अभिनेता अमोल पालेकर ने शुक्रवार को हैदराबाद में कहा है कि बच्चों की फिल्मों में अभिनय करने को आय अर्जित करने के साधन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए, यह उनके लिए एक अभिरुचि से अधिक कुछ नहीं होना चाहिए। भारत के अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह (आईसीएफएफआई) के मुख्य परिसर में स्थित आईएमएएक्स थियेटर में एक ओपन फोरम (मुक्त मंच) पर उन्होंने कहा कि बड़ों की तुलना में बच्चे अधिक सक्रिय होते हैं, लेकिन उन्हें अधिकाधिक फिल्मों में अभिनय के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
आंध्र प्रदेश बाल फिल्म समिति के अध्यक्ष एम वेद कुमार ने कहा कि फिल्म बनाना किसी उद्योग से कम नहीं है, इसलिए स्वाभाविक है कि यदि बाल कलाकार धन लेकर फिल्मों में काम करते हैं तो उन्हें श्रमिक समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को सिर्फ खाली समय में फिल्मों में हिस्सा लेना चाहिए। भारतीय बाल फिल्म समिति के सीईओ श्रवण कुमार ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के नियमों और विनियमों का खुलासा किया। विशेषज्ञों के अनुसार अभिनय विशुद्ध रूप से शौक का विषय है।
अन्य विशेषज्ञ असम की अभिनेत्री और कार्यकत्री बोबीता शर्मा ने अपने वक्त्व्य में मीडिया शो की अद्यतन प्रवृतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि टीवी शो के लिए बच्चों का भावनात्मक और शारीरिक शोषण नहीं किया जाना चाहिए। ओपन फोरम का संचालन हैदराबाद की उमा मुगल ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, प्रतिनिधियों और फिल्मी हस्तियों ने हिस्सा लिया।
ऑकरिज स्कूल के आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने फिल्म समारोह में प्रदर्शित करने के लिए हाथ के कैमरे से निर्मित फिल्म टेंपल रन का निर्माण करके अपने स्कूल का गौरव बढ़ाया। मीडिया से बात करते हुए उनके गाइड रमेश और प्रधानाचार्य आदि लक्ष्मी ने फिल्म के बाल निर्देशकों के कार्य की सराहना की और कहा कि फिल्म 'टेंपल रन' का निर्माण बच्चों ने स्वयं के संसाधनों से हाथ के कैमरे से किया है। उन्होंने बताया कि यह एक साहसिक मूवी है और ऐसी ही अन्य परियोजनाओं को कार्यरूप देने में अधिकाधिक विद्यार्थी रुचि ले रहे हैं। फिल्म बनाने वाले बच्चों ने कहा उनके लिए यह एक दिव्य अनुभव था जब उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए कार्य को एक खास मुकाम पर पहुंचाया।