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Thursday 21 November 2013 08:37:41 PM
गोआ। भारतीय फिल्मों के जाने-माने फिल्म अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार ने सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी, सूचना प्रसारण मंत्रालय में सचिव बिमल जुल्का और प्रेम चोपड़ा, सुभाष घई और मनोज बाजपेयी जैसी फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में आज 44वें भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) के भारतीय पेनोरमा खंड का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मनोज कुमार ने बीते दिनों की फिल्मों और फिल्म-निर्माण को याद किया। उन्होंने सुझाव दिया कि मंत्रालय को एक ऐसे पुरस्कार की स्थापना करनी चाहिए, जिससे हॉलीवुड तक बराबरी करना चाहे।
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि उनका मंत्रालय अगले वर्ष से राजनीतिक सिनेमा पर एक विशेष खंड शुरू करना चाहता है। तिवारी ने कहा कि भारत में फिल्म उद्योग ने स्वयं को फायदेमंद स्थिति तक पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि आज सिर्फ भारतीय सिनेमा की यात्रा के ऐतिहासिक दस्तावेज की ही जरूरत नहीं है, बल्कि ऐसी गाथा की जरूरत है, जो राजस्व कमाने का अपने किस्म का ही मॉडल हो। भारतीय सिनेमा ने सिने प्रेमियों के दिलोदिमाग पर बहुत महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।
इस खंड में 26फीचर फिल्में और 16 गैर-फीचर फिल्में हैं। प्रख्यात फिल्म-निर्माता और संपादक बी लेनिन की अध्यक्षता वाली फीचर फिल्मों की ज्यूरी ने के आर मनोज की 'कन्याका टॉकीज़' को पेनोरमा की आरंभिक फिल्म के रूप में चुना हैं। अन्य फिल्मों में सिद्धार्थ शिवा की '101 चोडीएंगल', अंजन दास की 'अजाना बतास' और नागराज मंजुल की 'फैनड्राई' शामिल हैं। गैर-फीचर फिल्मों की ज्यूरी की अध्यक्षता प्रतिष्ठित निर्देशक राजा सेन ने की। इस श्रेणी में प्रांतिक नारायण बासु की 'मकारा', बाबू कामब्राथ की 'बिहाइंड द मिस्ट' और राजा शबीर खान की 'शेफर्डस ऑफ पैराडाइज' शामिल हैं। इस खंड की आरंभिक फिल्म कमल स्वरूप की 'रंगभूमि' होगी।