स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 31 December 2012 06:56:23 AM
नई दिल्ली। भारतीय विज्ञान कांग्रेस का शताब्दी सत्र 3 जनवरी से 7 जनवरी तक कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता में आयोजित किया जाएगा। तीन जनवरी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जयपाल रेड्डी की उपस्थिति में सॉल्ट लेक स्टेडियम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी सत्र का उद्घाटन करेंगे। यह एक और ऐतिहासिक अवसर होगा, जब देश के प्रधानमंत्री, भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) के सामान्य अध्यक्ष होंगे। बोस इंस्टीट्यूट और कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता ने मिलकर इसका आयोजन किया है। पांच दिन की विज्ञान कांग्रेस में दुनिया भर के जाने-माने वैज्ञानिक और शिक्षाविद् भाग लेंगे।
सौवीं विज्ञान कांग्रेस का कई मायनों में ऐतिहासिक महत्व है। वर्ष 1914 में पहले सत्र के बाद से 2003 की अवधि के विषयों को ‘भारतीय विज्ञान को आकार’ के अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। शताब्दी सत्र का मुख्य विषय ‘भारत के भविष्य को आकार देने के लिए विज्ञान’ रखा गया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवीनता नीति 2013 को किस तरह क्रियांवित किया जा सकता है, वही इस वार्षिक सत्र का मुख्य विषय बन सकती है। भारत के विकास की प्रक्रिया में विज्ञान के लिए एक रोड मैप तैयार करना विचार विमर्श का मुख्य विषय होगा। शताब्दी सत्र विज्ञान और समाज के सभी साझीदारों के बीच सहयोग कायम करने का एक मंच होगा, जो उभरती वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में देश की प्रगति के लिए नया मार्ग प्रशस्त करेगा। विज्ञान कांग्रेस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी समारोह का आयोजन क्षेत्रीय विज्ञान कांग्रेस के रुप में किया जा रहा है। चूंकि वार्षिक सत्र का आयोजन पूर्वी क्षेत्र में हो रहा है, इसलिए चार अन्य क्षेत्रों उत्तर, पूर्वोत्तर, पश्चिम और दक्षिण में सत्र आयोजित किये जाएंगे। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर 3 जनवरी को उद्घाटन सत्र के दौरान एक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा। तकनीकी कार्यक्रमों में विभिन्न विषयों पर अनेक सत्र आयोजित किये जाएंगे। सभी तकनीकी सत्रों को जाने-माने वैज्ञानिकों या ऐसी हस्तियों का नाम दिया गया है, जिन्होंने भारतीय विज्ञान के विकास में योगदान दिया है।
कोलकाता में सत्र के कार्यक्रमों में 3 जनवरी को उद्घाटन, सामान्य अध्यक्ष की अध्यक्षता में पैनल सत्र, प्रतिभा व्याख्यान, आशुतोष मुखर्जी के सम्मान में व्याख्यान, दो सांय कालीन जन-व्याखान एमएन साह, होमी भाभा, नॉरमन बोरलॉग और सी सुब्रमण्यम, के नाम चार पूर्ण अधिवेशन एसएन बोस, पीसी रे, डीएन वाडिया, यूएन ब्रह्मचारी, डीएस कोठारी, एच खुराना, सीवी रमन, एस रामानुजन, रोनाल्ड रॉस, विक्रम साराभाई, विश्वेशवरैया और जीएन रामचंद्रन के नाम पर बारह तकनीकी सत्र, सांस्कृतिक संध्या के दो सत्र, नेटवर्किंग और सुशासन पर सतीश धवन को समर्पित एक परिचर्चा शामिल है। अब तक 6 नोबल और 1 अबेल पुरस्कार विजेताओं सहित 66 वक्ताओं से व्याख्यान देने के बारे में सहमति मिल चुकी है।
नोबल पुस्कार विजेताओं और जाने-माने वैज्ञानिकों की सूची और कार्यक्रम विवरण जारी कर दिया गया हैं। कुछ विकल्पों को छोड़कर, सभी तकनीकी सत्र भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन के पूर्व महाध्यक्षों अथवा निर्वाचित अध्यक्षों की अध्यक्षता में आयोजित किए जाएंगे। विश्व की कुल वैज्ञानिक अकादमियों में से आठ ने अब तक कोलकाता में होने वाले सत्र में भाग लेने के लिए अपने प्रतिनिधियों को भेजने की सहमति व्यक्त की है। कुछ अन्य वैज्ञानिकों अकादमियों के साथ बातचीत चल रही है। आशा है कि लगभग 20 देशों के प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे। विदेशों के 57 आमंत्रित अतिथि होंगे। विदेशी भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के लिए विशेष सुविधाओं की योजना तैयार की गई है।
कार्यक्रम के अनुसार कोलकाता में भारतीय विज्ञान कांग्रेस में बाल विज्ञान कांग्रेस सत्र का 4 जनवरी, 2013 को उद्घाटन किया जाएगा। ये बच्चे 3-7 जनवरी, 2013 के दौरान भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भाग लेंगे। कोलकाता में शताब्दी वर्ष सत्र में प्रतिभागियों के लिए एक विशेष सलाहकार सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें भटनागर पुरस्कार विजेता और विज्ञान अकादमियों के युवा सहयोगी भाग लेंगे। विज्ञान क्षेत्र में लिंग समानता को बढ़ावा देने की राष्ट्रीय प्राथमिकता के सिलसिले में भारतीय विज्ञान कांग्रेस ने 5 और 6 जनवरी, 2013 को महिला विज्ञान कांग्रेस का विशेष सत्र आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है। विज्ञान क्षेत्र से जुड़ी लगभग 30 कार्यकारी महिलाएं सलाहकार सत्रों के दौरान व्याख्यान देंगी। भारतीय विज्ञान कांग्रेस हर वर्ष विज्ञान संचारक सम्मेलन आयोजित करता है।
इसी तरह के सत्र का इस वर्ष भी 4-5 जनवरी, 2013 को आयोजन किया गया है। विभिन्न सार्वजनिक सहायता प्राप्त निकायों और निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकियों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। सात जनवरी को नेटवर्किंग और सुशासन पर एक परिचर्चा आयोजित की जाएगी, जिसमें विज्ञान संबंधी विभिन्न विभागों के सचिव भाग लेंगे। यह सत्र सतीश धवन के नाम पर होगा। योजना के अनुसार समापन सत्र 7 जनवरी 2013 को होगा। इस सत्र में कांग्रेस की बैठकों के दौरान की गई सभी प्रमुख सिफारिशों को प्रस्तुत किया जाएगा। प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। समापन सत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रमुख सिफारिशों पर व्याख्यान देंगे। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के विवरणों के साथ एक वेबसाइट www.isc2013.com शुरु की गई है। इसमें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 99वें सत्र के विवरण उपलब्ध होंगे। साथ ही विज्ञान कांग्रेस के सभी सत्रों के विवरण इस वेबसाइट पर उपलब्ध किए जाएंगे।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस का पहला सत्र एशियाटिक सोसाइटी में 1914 में पहली बार आयोजित किया गया था और सर आशुतोष मुखर्जी ने पहला अध्यक्षीय भाषण दिया था। तभी से भारतीय विज्ञान कांग्रेस भारतीय विज्ञान की संसद के रुप में उभरी है। सर आशुतोष मुखर्जी के अध्यक्षीय भाषण के बाद 99 वार्षिक सत्र आयोजित हो चुके हैं और वर्ष 2012-13 को भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी वर्ष के रुप में मनाया जा रहा है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस को उसके प्रारंभी से वैज्ञानिक समुदाय का व्यापक समर्थन और राजनैतिक इच्छाशक्ति का संरक्षण मिला है। वर्ष 1946-47 में पंडित जवाहरलाल नेहरु को सामान्य महाध्यक्ष चुना गया था और उन्होंने जनवरी 1947 में विज्ञान के साथ लोगों की दोस्ती का आहवान करते हुए ऐतिहासिक भाषण दिया था।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) ने सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को शताब्दी वर्ष 2012-13 के लिए महाध्यक्ष चुनने का निर्णय लिया है, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया है। डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में वर्ष 2012-13 को विज्ञान वर्ष के रुप में मनाया जा रहा है। शताब्दी वर्ष के दौरान देश भर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पूरे वर्ष के दौरान समारोह आयोजित किये जाएंगे।