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भारत-जापान शिखर वार्ता में अहम सहमतियां

भारत की लुक ईस्ट नीति का केंद्र है जापान-प्रधानमंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 26 January 2014 10:37:08 PM

shinzo abe and  manmohan singh

नई दिल्‍ली। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि पिछले महीने जापान के महाराजा और महारानी की भारत यात्रा के साथ प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से भारत की रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी को गति मिली है। उन्‍होंने कहा कि जापान भारत की लुक ईस्ट नीति का केंद्र है, वह हमारे आर्थिक विकास और शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध एशिया एवं दुनिया के लिए हमारे प्रयास में मुख्य भागीदार है, हमारे साझा मूल्यों और हितों में मजबूत और आर्थिक रूप से सक्षम जापान और तेजी से बढ़ रहे भागीदारी क्षेत्र की भलाई के लिए प्रभावी ताकत बन सकता है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री शिंजो आबे और मैंने व्यापक वार्षिक शिखर बैठक की, हमने अपने राजनीतिक रिश्ते के प्रगाढ़ होन और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग के विस्तार पर संतोष प्रकट किया। हमारे आपसी समुद्री अभ्यास स्थापित होकर अब वार्षिक रूप ले चुके हैं और हमने इस वर्ष मालाबार अभ्यास में जापान की भागीदारी का स्वागत किया है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए समझौते की दिशा में पिछले कुछ महीनों में तेजी से प्रगति हुई है, यूएस-2 एम्फिबियन विमान पर हमारे संयुक्त कार्य समूह ने भारत में इसके उपयोग और सह-उत्पादन पर सहयोग के तौर तरीकों की तलाश के लिए बात की है, अधिक व्यापक रूप से हम उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं, प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ कायाकल्प की इन परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई और उनको अपनी आकांक्षाओं से अवगत कराया गया है। उन्‍होंने कहा कि जापान विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के लिए भारत की उन सर्वाधिक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में विशिष्ट भागीदार है, जो हमारी सरकार ने हाल के वर्षों में शुरू किए हैं-पश्चिमी समर्पित माल गलियारा, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, आइआइटी हैदराबाद और नियोजित चेन्नई-बंगलुरू औद्योगिक गलियारा। उन्‍होंने कहा कि हमने इन फ्लैगशिप परियोजनाओं पर विचार किया है, उन उपायों का मूल्यांकन किया है, जो हमने सामान्य रूप से और विशेष रूप से इन परियोजनाओं में भारत की सफलता की गाथा के साथ जापान का सहयोग सुगम बनाने के लिए किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में जापानी कंपनियों की उपस्थिति पिछले से 16 प्रतिशत बढ़ गई, हालांकि कि हमारे कारोबारी रिश्तों में ऐसी बहुत सी क्षमता है, जिसका इस्तेमाल नहीं किया गया है, इसलिए उन्‍होंने भारत में जापानी निवेश बढ़ाने की मांग की है, हमने इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र के साथ-साथ ऊर्जा-दक्ष और ऊर्जा की बचत करने वाली प्रौद्योगिकियों के निर्माण और अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में ठोस सहयोग के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया, दोनों देशों के बीच पर्यटन एवं नागरिक विमानन क्षेत्र में सहयोग महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है, एक वर्ष पहले हस्ताक्षरित सामाजिक सुरक्षा समझौते के तेजी से कार्यान्वयन के जरिए जनता के बीच भागीदारी को प्रोत्साहन देने का फैसला किया गया है, सजायाफ्ता कैदियों के तबादले और आपराधिक मामलों पर आपसी कानूनी सहायता जैसे क्षेत्रों में हमारे कानून प्रवर्तन सहयोग के लिए लंबित कानूनी ढांचे को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए उनका समर्थन मांगा गया है।
उन्‍होंने बताया कि हमने अपने पड़ोस में संयुक्त विकास और कनेक्टिविटी परियोजनाओं की संभावनाएं तलाशीं और आसियान एवं पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन संबंधी प्रक्रियाओं में समन्वय एवं सहयोग पर चर्चा की, जहां हमारे साझा हित हैं, हमने अपने विदेश मंत्रियों को निर्देश दिया है कि इन मामलों पर सार्थक चर्चा की जाए, नालंदा विश्वविद्यालय परियोजना के लिए जापान का समर्थन जारी रखने का अनुरोध किया गया है, ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में अपने साझा हितों और चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। उन्‍होंने बताया कि शिखर वार्ता में क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया तथा क्षेत्र में शांति, स्थिरता और निरंतर प्रगति एवं समृद्धि के लिए आशा प्रकट की गई, हम जी-4 रूरपेखा के अंदर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार के लिए अपने प्रयास जारी रखने तथा जी-20 के जरिए वैश्विक वृद्धि एवं समृद्धि के लिए कार्य करने पर भी सहमत हुए हैं। 

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