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Tuesday 25 February 2014 02:19:13 PM
नई दिल्ली। भारत और कनाडा ने दृश्य-श्रव्य (ऑडियो-विजुअल) सह-निर्माण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से भारतीय और कनाडाई फिल्म निर्माता फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर सहयोग के लिए एक मंच का उपयोग कर सकेंगे। सहयोग के नए अध्याय की शुरूआत करने वाले इस समझौते से आशा है कि दोनों देशों के फिल्म उद्योग के चुनौतिपूर्ण क्षेत्रों में आपसी सहयोग और गहरा होगा। सूचना एवं प्रसारण सचिव बिमल जुल्का और भारत के लिए कनाडा के उच्चायुक्त स्टीवर्ट बैक ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इससे दोनों देशों को फिल्म निर्माताओं को रचनात्मक, कलात्मक, तकनीकी वित्तीय और बाजार के संसाधनों के संयोजन का लाभ मिलेगा। यह सह-निर्माण समझौते आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनयिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किए गए हैं। फिल्म निर्माताओं के लिए सहयोगी देशों में राष्ट्रीय फिल्म निर्माण और स्थानीय फिल्म और टेलीविज़न उद्योग को प्राप्त सुविधाएं प्राप्त होना सह-निर्माण समझौते के मुख्य आकर्षण हैं। इन सुविधाओं में सरकार से वित्तीय सहायता, करों में छूट और घरेलू टेलीविज़न प्रसारण में कोटा भागीदारी शामिल है।
कहा गया है कि समझौते से भारत के विभिन्न स्थानों पर फिल्म की शूटिंग के लिए उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा और इससे विश्व को भारत में फिल्म निर्माण की संभावनाओं पता चलेगा, जिससे भारत में विदेशी मुद्रा का मार्ग प्रशस्त होगा। इस समझौते से फिल्म निर्माण के लिए पारदर्शी तरीके से धन भी जुटाया जा सकेगा और भारतीय फिल्मों को कनाडाई बाजार में निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत सरकार इससे पहले भी इसी तरह के समझौते इटली की सरकार के साथ 2005 में, बर्तानिया सरकार और उत्तरी आयरलैंड के साथ 2005 में, जर्मनी के संघीय गणतंत्र के साथ 2007 में, ब्राजील सरकार के साथ 2007 में, फ्रांस गणतंत्र के साथ 2010 में, न्यूजीलैंड गणतंत्र के साथ 2011 में, पोलैंड गणतंत्र के साथ 2012 में, स्पेन गणतंत्र के साथ 2012 में कर चुकी है।
भारत का सह-निर्माण समझौता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए इसलिए भी अनूठा है कि भारत में फिल्म निर्माण के लिए तकनीकी रूप से दक्ष लोग उचित मेहनताने पर मिल जाते हैं। साथ ही साथ भारत में योग्य कलाकारों की बड़ी संख्या में उपलब्धता और शूटिंग के लिए बहु-उद्देशीय स्थान उपलब्ध हैं। सह-निर्माण से बनी फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म का दर्जा मिलता है, इन फिल्मों को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिए नामित किया जाता है और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पेनोरमा खंड में शामिल किया जाता है। ऐसी फिल्मों को भारतीय वितरण तंत्र से रिलीज़ किए जाने का अवसर भी प्राप्त होता है और इस प्रकार विदेशी निर्माताओं के लिए भारतीय उपभोक्ता बाजार में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होता है।