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Tuesday 25 February 2014 10:35:35 PM
नई दिल्ली। कनाडा के गवर्नर जनरल डेविड जॉनस्टन एवं शरोन जॉनस्टन ने भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कल राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति ने उनके सम्मान में एक भोज का भी आयोजन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के विकास के प्रारंभिक काल से ही कनाडा उसका सशक्त भागीदार रहा है, कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पियरसन के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू की व्यक्तिगत मित्रता थी। सन् 1956 में झारखंड के दुमका जिले में मयूरश्री नदी पर मसानजोर बांध का निर्माण कनाडा की सहायता से ही हुआ था, यह कनाडा बांध अथवा पियरसन बांध के नाम से विख्यात है और भारत के विकास में कनाडा के योगदान का सर्वोत्तम उदाहरण है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की कनाडा में दिलचस्पी है, विशेषकर आधार भूत संरचना, खनन आदि के क्षेत्र में, जिसमें कनाडा को सुविकसित तकनीकी निपुणता हासिल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सर्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां कनाडा में तेल एवं प्राकृतिक गैस में अवसरों के साथ-साथ ऊर्जा परिसंपत्तियों की खरीद की भी इच्छुक हैं, कनाडा के गर्वनर जनरल का भारत का सरकारी दौरा पिछले एक दशक से ऊपर पहला ऐसा द्विपक्षीय संयोग है, जो एक महत्वपूर्ण मोड़ ले रहा है, यह एक ऐसा क्षण है, जब दोनों सरकारों ने पारस्परिक सोच को आगे बढ़ाने तथा सौहार्दपूर्ण आश्वस्त क्षमताओं के हासिल करने में वार्ता तथा पहल को गर्मजोशी से आगे बढ़ाने के लिए अपनी वचनबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि यद्यपि कनाडा और भारत द्वीप समुद्र द्वारा पृथक जरूर हैं, किंतु दोनों देश राजनैतिक परंपराओं एवं लोकतंत्र, अनेकात्मभाव में गहरी आस्था के चलते मूल्यों से बंधे हुए हैं, दोनों राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष परंपराओं तथा अपने लोगों की वैदिध्यता के साक्षी हैं, यही भावना हमारी अति लाभप्रद साझेदारी को मजबूती से जोड़ती है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल एवं हाइड्रोकार्बन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कनाडा के साथ काम करने का इच्छुक है। राष्ट्रपति ने कहा कि गत वर्षों में भारत और कनाडा के अनेक संपर्कों के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने भारतीय मूल के एक लाख लोगों से अधिक कनाडाई लोगों को याद किया, जिन्होंने इन दो समुदाओं के बीच पारस्परिक सम्मान एवं सूझ-बूझ की भावना का निर्माण करने के लिए कड़ा परिश्रम किया है। स्वागत समारोह के अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कनाडा के गर्वनर जनरल ने आशा व्यक्त की कि उनका यह दौरा दो देशों, संसदीय लोकतंत्र, एकात्मभाव तथा जन-जन के बीच सशक्त कड़ी साबित होगा। उन्होंने कहा कि एक लाख से ज्यादा भारतीय मूल के कनाडाई लोगों ने कनाडा की सहायता में महान योगदान दिया है।