Monday 14 April 2014 08:02:34 PM
हृदयनारायण दीक्षित
लखनऊ उत्तर प्रदेश का हृदय और स्पंदन। राज्य की राजधानी। कला, साहित्य, काव्य, संगीत का केंद्र। शास्त्रीय संगीत, अभिनय, नृत्य और अनेक शिल्प आयामों का महानगर। गोमती दुलराती है, इस लखनऊ को। लखनऊ एक काव्य है। बार-बार गाए जाने वाला गीत। एक ग़ज़ल और एक मीठी शायरी है अपना लखनऊ। विश्व का अनूठा शहर। तभी तो विश्व नेताओं की बिरादरी में लोकप्रिय पंडित अटल बिहारी बाजपेयी यहां से सांसद रहे हैं। लखनऊ का स्वाभिमान सातवें आसमान पर था। सांसद अटल बिहारी बाजपेयी राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक माने जाते हैं। उनका यश दिग्दिगंत फैला। लखनऊ के नागरिक लहालोट हैं। अवध भौगोलिक क्षेत्र ही नहीं सांस्कृतिक संज्ञा भी है। अवध क्षेत्र की मिट्टी, मिट्टी में मर्यादा है। यही मर्यादा लखनऊ में खिलती है-कली की तरह लाजवंती मुस्कान में। मुस्कराइए कि आप लखनऊ में हैं। अटल मुस्कान विश्व मोहिनी बनी। नियति पर किसी का वश नहीं। वे अस्वस्थ हुए। लालजी टंडन में मुस्कराहट और अपनापे की यही परंपरा है। उन्होंने अटल परंपरा को आगे बढ़ाया।
राजनाथ सिंह अब लोकसभा में लखनऊ के प्रतिनिधि होंगे। लखनऊ से उनका गहन रिश्ता है। स्वाभाविक ही लखनऊ उन्हें प्यार करता है। भाजपा कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने लखनऊ में सबका प्यार पाया है और इस प्यार को परवान भी चढ़ाया है। लखनऊ की बुद्धि तार्किक है, तथ्य और सत्य उसे प्रिय है, लेकिन लखनऊ का मन मिजाज प्रेम-मोहब्बत से उफनाया करता है। मोहब्बत पसंद हैं लखनऊ के लोग। दिल अजीज ऐसे कि जिसे पसंद कर लिया, दिल दे दिया तो दे दिया।
राजनाथ सिंह राष्ट्रीय राजनीति में अग्रिम पंक्ति के नेता हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में जन्मे राजनाथ सिंह संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। वे दूसरी बार देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी भाजपा के अध्यक्ष हैं। वे गहन आस्तिक हैं। गजब के ईश्वर विश्वासी हैं। उनका विश्वास है कि भाग्य से ज्यादा और समय के पहले कभी किसी को कोई उपब्धि नहीं होती। वे विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं और भौतिकी के प्रोफेसर। विज्ञान में 'कार्य-कारण' से ही ज्ञानयात्रा है। दर्शन भी कार्यकारण का ही विज्ञान है। वे वरिष्ठ राजनेता हैं, कर्मठ हैं, परिश्रमी हैं। वे असाधारण होकर भी साधारण हैं। देश उन पर विश्वास करता है।
भारतीय राजनीति से आम आदमी का भरोसा घटा है। वे राजनीति से आम आदमी का भरोसा घटने को लेकर बेचैन रहे हैं। वे अविश्वसनीय राजनीति की जगह भरोसेमंद राजनीति चाहते रहे हैं। संक्षेप में कहें तो विचारनिष्ठ मूल्य आधारित राजनीति। भाजपा, जनसंघ काल से ही मूल्य आधारित राष्ट्रवादी राजनीति का ध्येय लेकर काम कर रही है। राजनाथ सिंह राष्ट्रवादी राजनीति के ही विनम्र कार्यकर्ता हैं। गांधी दुनिया के सबसे बड़े संवादी थे। भारत में उनके बाद अटल बिहारी बाजपेयी हुए। उनसे बड़ा जनसंवाद फिर और नेता नहीं बना पाया। राजनाथ सिंह ऐसे ही संवाद के विश्वासी हैं। प्रत्यक्ष, सीधा और जीवंत संवाद। अनेक सभाओं में उन्होंने सुरक्षा घेरा तोड़कर आमजनों से संवाद बनाया। वे बोलते हैं तो हृदय से हृदय का संवाद करते हैं। दिल से बोलते हैं, श्रोता दिल से ही सुनते हैं। प्रत्यक्ष संवाद के रास्ते ही आम आदमी का भरोसा जमता है। यह एक राष्ट्र हितैषी काम है। वे प्रखर वक्ता हैं। राजनाथ सिंह का भाषण ध्यान से सुनने वाले याद कर सकते हैं। वे बहुधा कहते हैं, 'हम आंख में आंख डालकर बात करते हैं। हमने कोई ऐसा काम नहीं किया कि आंख नीची करके बोलें।' ऐसा बोलकर वे अपनी पूरी पार्टी को प्रबोधन देते हैं-स्वाभिमान का, सत्कर्म और संकल्प का। आंख में आंख डालकर बात करने का। वे अटल की प्रशंसा में भी ऐसा ही एक वाक्य बहुधा बोलते हैं-कोई माई का लाल? जो पंडित अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और उनके व्यक्तित्व पर अंगुली उठा सके। अटल जी उनकी प्रेरणा हैं। वे अटल जी के मार्ग पर चल रहे हैं।
कोई यों ही शिखर पर नहीं होता। अस्तित्व शून्य से नहीं उगा। ऋग्वेद के ऋषि की यही स्थापना है। आकाश छूने को लालायित वृक्ष अपनी जड़ें और गहरे पाताल तक ले जाता है। वह जितना ऊपर और ऊर्ध्वमुखी होता है, उतना ही भू-गर्भ में गहरे और गहरे उतरकर जीवन रस लेता है। वे चंदौली क्षेत्र में जन्में। सन् 1951 में। भौतिकी में एमएससी हुए, लेकिन अध्यात्मिकता और दर्शन में भी गहरे पैठे। वे भौतिकी के प्रवक्ता हो गए। वे जो बोलते हैं, वह सीधे सत्य बिंब, चित्र, प्रतीक और प्रतिमान बन जाता है। कोई लाग लपेट नहीं। जैसी कथनी, वैसी करनी, इसीलिए राजनाथ सिंह की बात को प्रामाणिकता से लिया जाता है। उनमें वाणी और कर्म का संयम है। कार्यकर्ता को प्रेरित करने की आत्मीय क्षमता। राष्ट्र सर्वोपरिता उनके सार्वजनिक जीवन का मूल अधिष्ठान है। उनकी कर्मठता ने सार्वजनिक जीवन में नए आयाम जोड़े हैं। आपत्काल (1975-77) में वे भारतीय जनसंघ के जिलाध्यक्ष थे। पौने दो साल जेल रहे। सन् 1977 में वे विधानसभा के सदस्य हो गए और 1983 में राज्य भाजपा के सचिव, मंत्री। वे युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, पूरा देश घूमे, युवा संगठन बढ़ाया। सन् 1991 में वे यूपी के शिक्षा मंत्री बने। नकल विरोधी कानून पर राज्य विधानसभा में उनका भाषण हुआ। उन्होंने इकाई और अनंत, पिंड और ब्रह्मांड की दार्शनिक व्याख्या की। वैदिक गणित लागू कराने के ऐतिहासिक प्रयास के लिए उनकी सराहना हुई। वे केंद्रीय मंत्री हुए, कृषि विभाग के और भूतल परिवहन के भी।
मुख्यमंत्री के रूप में उनका व्यवहार व कामकाज बहुधा उद्धरण बनता है। वे सन् 2000 मेंराज्य के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कई नए रिकार्ड बनाए। उन्होंने किसानों से सीधे संवाद बनाया। अध्यापकों को घर बुलाया, चौकीदार जैसे पदधारकों से भी प्रत्यक्ष बातचीत की। उन्होंने आरक्षित वर्ग के वंचितों को आरक्षण का वास्तविक लाभ पहुंचाने के लिए कानून बनाया। यह एक ऐतिहासिक निर्णय था। पिछड़ों के भीतर मौजूद बहुत बड़े अति-पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। इसी तरह दलितों में भी अति-दलितों के एक वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। राजनाथ सिंह ने सामाजिक न्याय समिति बनाई। गहन अध्ययन और सूक्ष्म विवेचन करवाया। विधानसभा में सपा ने इस कानून का विरोध किया था। बसपा ने समर्थन, लेकिन बाद में बसपा भी पलट गई, उसी की सरकार ने यह कानून भी पलट दिया। वे अति-दलित, अति-पिछड़ा आरक्षण के प्रति आज भी प्रतिबद्ध हैं। राजनाथ सिंह के कामकाज को लखनऊ और यूपी के लोग याद करते हैं।
राजनाथ सिंह ने पूरे देश का भ्रमण किया है। शीर्ष ऊंचाई हासिल की है। अपने कर्म तप के माध्यम से उन्होंने तमाम अनुभव गाढ़े किए हैं। वह आसमान से नहीं उतरे। अपने जिले में साइकिल और मोटरसाइकिल चलाते हुए संघ, जनसंघ का संगठन छात्र-जीवन से ही करते रहे हैं। युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित प्रदेश भाजपा में भी विभिन्न पदों पर रहे राजनाथ सिंह राष्ट्रवादी राजनीति के गहन अनुभवी हैं। सरल और तरल हैं, लेकिन विरल हैं। यूपी के लोग आनंदमगन हैं, राष्ट्रीय राजनीति के वरिष्ठ राजनेता राजनाथ सिंह यूपी के। इस दफा वे लखनऊ से लोकसभा पहुंच रहे हैं। लखनऊ के निवासी उन्हें अपना सेवक व प्रतिनिधि बनाने जा रहे हैं। उन्होंने बीती लोकसभा में मुद्दा आधारित ऐतिहासिक वक्तव्य दिए हैं। संसद में उनका होना अपरिहार्य है। राष्ट्र संकट में है। लड़ाई आर-पार की है। आरोप प्रत्यारोप हैं। मधुमय वाद-विवाद है नहीं। वे पूरी ऊर्जा से राजनीति को राष्ट्र सर्वोपरिता की दिशा में ले जाने के लिए संघर्षरत हैं। उनका सर्वोत्तम राष्ट्रवाद ही प्रकट हो रहा है। क्षितिज अरूण हो रहे है। सविता देव की आभा प्रभा उग रही है। शुभकामना है कि राजनाथ सिंह रिकार्ड तोड़ मतों से विजयी हों और उनका यश दिग्दिगंत फैले। यह हम ही नहीं हर कोई कह रहा है।