स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 26 June 2014 03:21:55 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने नई दिल्ली में आईआईएससी, आईआईएसईआर संस्थानों के निदेशकों और अध्यक्षों के साथ एक बैठक की। यह बैठक आईआईएससी, आईआईएसईआर के सामने मूलभूत सुविधाओं, क्षमता, अनुसंधान, अंतराष्ट्रीय सहयोग, पेटेंट अधिकार, आईपीआर और पत्रिकाओं में प्रकाशन आदि को लेकर आ रही चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। बैठक को संबोधित करते हुए स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि रैंकिंग के लिए एक राष्ट्रीय व्यवस्था बनाना बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे कि अनुसंधान संस्थानों और विभिन्न विज्ञान विषयों के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय मानदंड बनाए जा सके। इससे हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में सहायता मिलेगी।
स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि हमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, यूनिवर्सिटियों के कैंपस में अंतर्राष्ट्रीय मौजूदगी को बढ़ावा देने के लिए आईआईएसईआर को अधिक प्रचार की आवश्यकता है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए राष्ट्रीय आविष्कार अभियान पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आईआईएससी, आईआईएसईआर को उद्योगों के नए अनुसंधान और विकास के अनुसार काम करने के लिए एक कड़ी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को सौर-ऊर्जा और प्लांट-जीनोम, बायोटेकनोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने अनुसंधान के ऐसे कुछ क्षेत्रों का सुझाव भी दिया जिनका सामाजिक प्रभाव होता है, जैसे कि प्रदूषण और उसका स्वास्थ्य पर प्रभाव, मौसम में परिवर्तन और उत्पादकता आदि।
स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि आम आदमी को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए, उन्होंने ऐसी अनुसंधान गतिविधियों के लिए आईआईएसईआर को एक संघ बनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने संस्थानों को अपने निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कार्य-प्रदर्शन ऑडिट की एक व्यवस्था बनाने की चर्चा भी की। उन्होंने 'नो योर कॉलेज' (केवाईसी) मुहिम के महत्व पर प्रकाश डाला। इस व्यवस्था में सारी महत्वपूर्ण जानकारी वेबसाइट पर डाल दी जाती हैं, ताकि छात्र, उनके माता-पिता और अन्य संबंधित व्यक्ति अपनी-अपनी जरूरत के मुताबिक जानकारी वहां से ले सकें। उन्होंने कहा कि आईआईएसईआर चूंकि अपेक्षाकृत नए संस्थान हैं, इसलिए उन्हें अपने पुराने छात्रों को भी अपनी गतिविधियों में शामिल करते रहना चाहिए। संस्थानों की प्रशासनिक व्यवस्था को पेशेवर बनाने के लिए आईआईएम संस्थानों द्वारा चलाए जाने वाले प्रबंधन-क्षमता कार्यक्रमों की सहायता भी ली जा सकती है।
उन्होंने कहा कि आईआईटी संस्थानों की तरह आईआईएसईआर संस्थानों की सेवाएं टीईक्यूआईपी (टेक्नीकल एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम) जैसे कार्यक्रमों में सलाहकार के रूप में लेनी चाहिए, ताकि देश में विज्ञान और इंजीनियरिंग की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का माहौल तैयार किया जा सके। बैठक में अशोक ठाकुर सचिव (एचई), अमिता शर्मा अपर सचिव (टीई) के अलावा आईआईएसईआर, तिरूवनंतपुरम के अध्यक्ष भी मौजूद थे। बैठक भाग लेने वाले संस्थानों में आईआईएस-बंगलौर, आईआईएसईआर-कोलकाता, आईआईएसईआर-पुणे, आईआईएसईआर-मोहाली, आईआईएसईआर-भोपाल और आईआईएसईआर-तिरूवनंतपुरम भी शामिल थे।