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Thursday 26 June 2014 03:43:37 PM
हैदराबाद। भारत सरकार देश में मछली पालन के विकास के लिए एक नीति विकसित करने जा रही है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने हैदराबाद में एशिया प्रशांत मत्स्य पालन आयोग के 33वें सत्र का उद्धाटन करते हुए विस्तार से बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सतत खाद्य सुरक्षा के लिए “ब्लू ग्रोथ” एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र ब्लू ग्रोथ की शानदार संभावनाएं हैं। देश के इस अल्पदोहन संभावनापूर्ण संसाधन का इस्तेमाल “ब्लू क्रांति” में बदला जा सकता है। जल संस्कृति के लिए इन संसाधनों को तर्कसंगत एवं उचित रूप से इस्तेमाल करना होगा।
राधामोहन सिंह ने कहा कि हम इसकी विशाल क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए देश में जल संस्कृति की नीति के विकास के लिए योजना भी तैयार कर रहे हैं। देश की बड़ी जनसंख्या को आजीविका उपलब्ध कराने के साथ-साथ देश में मत्स्य पालन की विशाल क्षमता को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने मछुआरों के कल्याण पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन तथा जल संस्कृति का सतत विकास तभी संभव है, जब बड़े पैमाने पर लोगों को सामाजिक और आर्थिक लाभ प्राप्त हो। नीति निर्धारकों का ध्यान इस बात पर केंद्रीत होना चाहिए कि वे सुनिश्चित करें कि लाखों लोगों की आजीविका तथा प्राकृतिक संसाधनों का विधिवत अनुरक्षण करके अपेक्षित विकास किया जाए, अतः हमें यह नहीं भूलना चाहिए की समुद्री मछुआरे, मत्स्य कृषक और उनका कल्याण मत्स्य उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि हमारे सहयोग पर ही निर्भर है।
कृषि मंत्री ने इस क्षेत्र के बारे में व्यक्त चिंताओं पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अपर्याप्त योजना, निधि विनियोजन तथा प्रबंधन की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, यह हालांकि वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से यह एक है, समुद्री मछली की अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धता इसका एक मात्र समाधान है। जल संस्कृति में बीजों की उपलब्धता से लेकर उनका विकास, पर्यावरणीय खतरों, बीमारी के जोखिमों, व्यापारिक प्रतिबंधों जैसे घटकों के चलते जल संस्कृति में जीव-जंतुओं के विकास की अनेकानेक चुनौतियां विद्यमान हैं। इन्ही के कारण विश्व के अनेक विकासशील देशों में आर्थिक एवं सामाजिक विकास दोनों के लिए ऐसी चुनौतियां विद्यमान हैं, जल संस्कृति एवं मत्स्य पालन के क्षेत्र में विकास और प्रबंधन दोनों के लिए अन्य देशों को भारत के सहयोग का भी प्रस्ताव किया।
भारत के मत्स्य संसाधन कृषि मंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को अवगत कराया कि विश्व में मत्स्य उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है, इसके अलावा अंतर्राज्यीय स्तर पर मछली पकड़ने एवं जल संस्कृति के क्षेत्र में विश्व में दूसरे स्थान पर समुद्री उत्पादन, मत्स्य पालन में भारत सातवें स्थान पर हैं। हमारा कुल उत्पादन 9.51 मिलियन मीट्रिक टन है। भारत ने जल संस्कृति में 92.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और समुद्री उत्पादों में विश्व के कुल उत्पादन का 6.3 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। इस बैठक में एफएओ, मत्स्य पालन आयोग तथा कृषि मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ-साथ एशिया प्रशांत देशों के प्रतिनिधि, एशिया प्रशांत मत्स्य पालन आयोग के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए और उन्होंने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में मत्स्य पालन के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया।