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Saturday 28 June 2014 06:17:33 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने माओवादियों की वारदातों के जारी रहते हुए उनसे बातचीत से इंकार करते हुए साफ कहा है कि अगर सुरक्षाबलों पर नक्सलियों ने हमला किया तो उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए राज्यों में विशेष कमांडो बल बनाया जाएगा और इसके लिए पूरा धन केंद्र सरकार देगी। माओवादी हिंसा से प्रभावित दस राज्यों के शीर्ष प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कल बैठक की थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि इन पुलिसबलों के आधुनिकीकरण के साथ ही साथ इन्हें जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों की तरह पूरी सुविधाएं दी जाएंगी।
उच्चस्तरीय बैठक के बाद गृहमंत्री ने मीडिया से कहा कि अब बातचीत का कोई प्रश्न नहीं उठता, हम संतुलित रवैया अपनाएंगे, अगर नक्सली हमला करते हैं तो सुरक्षा बल मुंहतोड़ जवाब देंगे, उनसे बातचीत तभी हो सकती है, जब वे हिंसा त्यागकर वार्ता के लिए आएं। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों के प्रमुख व गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए। गृहमंत्री ने कहा कि इन राज्यों में आतंकवाद विरोधी अभियान के साथ-साथ सड़कों का निर्माण और दूसरे विकास कार्य भी होंगे, इनमें गुमराह किए गए युवाओं और लोगों को मुख्यधारा में लाया जाएगा।
गृहमंत्री को हर राज्य ने अपने यहां माओवादी संकट की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। बैठक के दौरान गृहमंत्री ने सभी राज्यों से कहा कि वे माओवादियों की गतिविधियों से निपटने के लिए एक समान व समन्वित रवैया अपनाएं। राज्यों ने गृहमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस संबंध में केंद्र सरकार की पहल का पूरा समर्थन करेंगे। गृहमंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय आंध्र प्रदेश में नक्सलरोधी विशेष बल ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर विशेष बल गठित करने के लिए धन मुहैया कराएगा। शुरुआत में इस तरह के दस्ते छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीशा और बिहार में बनेंगे। वामपंथी आतंकवाद की स्थिति की समीक्षा में आतंकवाद से निपटने में विभिन्न राज्यों के कार्यबल पर विस्तृत चर्चा हुई। आतंकवाद के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियान, सड़क संपर्क और मोबाइल टावर लगाने जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से बात हुई।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या को सुलझाने के लिए सभी प्रयास करेगी, सभी प्रयास राजनीतिक प्रतिबद्धता और प्रशासनिक नेतृत्व के जरिए पूरे संतुलित तरीके से किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों के सुझावों पर सुसंगत और सकारात्मक कार्रवाई करेगी। इस समस्या से जुड़े हुए सभी पक्षों के आपसी विश्वास और प्रतिबद्धता से केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय हो पाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि सड़क संपर्क और मोबाइल टावरों के जरिए संचार संपर्क की परियोजनाओं पर प्राथमिकता देकर कार्य किया जाएगा। गृहमंत्री ने राज्य सरकारों से केंद्र और अन्य राज्य सरकारों के साथ तालमेल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में बेहतर स्थानीय प्रशासन और नेतृत्व के लिए युवा, निडर और साहसी जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को उनकी नियुक्ति के शुरूआती वर्षों में यहां नियुक्त किया जाना चाहिए।
गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास कार्यक्रम में बदलाव कर इसे उनके लिए और अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए आपसी समन्वय और ठोस कार्रवाई काफी मददगार साबित होगी। शुरूआत में गृहसचिव अनिल गोस्वामी ने बैठक के विषय का परिचय दिया। इसके बाद बैठक में भाग लेने वालों ने विस्तृत प्रेजंटेशन दिए। बैठक में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरेन रिजिजू, वामपंथी आतंकवाद से प्रभावित राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के अलावा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशकों ने भी भाग लिया।