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Friday 18 January 2013 08:12:24 AM
कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज यहां स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थल पर स्वामीजी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह के तहत रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्घाटन किया। प्रणब मुखर्जी ने इस अवसर पर कहा कि स्वामी विवेकानंद के संदेश और उनकी सीख उस समय, आज और जब तक मानव सभ्यता है, तब तक हर दौर में प्रासंगिक है। उन्होंने स्वामीजी को बंगाल का महान सपूत और महान दूरदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रसिद्ध इतिहासकार अल बशम ने विवेकानंद को एक ऐसी हस्ती के रुप में वर्णित किया था, जो सदियों में एक बार पैदा होती हैं।
उन्होंने कहा कि यह बहुत विस्मयकारी है कि अपने छोटे से समय में उन्होंने ऐसे समाज को बदल दिया, जो स्वंय में भरोसा खो चुका था। उन्होंने अपने दर्शन से सभी को झकझोर कर रख दिया और एक विचलित राष्ट्र के भरोसे को वापस लौटाया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हमारे लोगों का आत्मबल काफी कमजोर था और बहुत से भारतीय आदर्शों के लिए पश्चिम की ओर देखते थे, ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने उनके भीतर स्वयं पर भरोसा और गर्व के भाव को जगाया। राष्ट्रपति ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को उद्धरित करते हुए कहा-भारत के इतिहास में भारतीय गौरव पर पूरे गर्व को समाहित करते हुए जीवन की समस्याओं के प्रति विवेकानंद का दृष्टिकोण आधुनिक था, एक तरह से यह भारत के इतिहास और वर्तमान के बीच सेतु के रुप में था।