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Wednesday 27 August 2014 06:54:52 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में वर्ष 2010 और 2011 के लिए आज हिंदी सेवी सम्मान प्रदान किए। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अशोक ठाकुर, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर मोहन और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। हिंदी प्रचार-प्रसार एवं हिंदी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए वर्ष 2010 के लिए गंगाशरण सिंह सम्मान आरएफ नीरलकट्टी, पदमा सचदेव, जान्हू बरूआ और डॉ एसए सूर्यनारायण वर्मा को मिला, जबकि वर्ष 2011 के लिए यह सम्मान डॉ एच बालसुब्रह्ण्यम, प्रोफेसर रॉबिन दास, प्रोफेसर टीआर भट्ट और सिजगुरूमयुम कुलचंद्र शर्मा को दिया गया है।
हिंदी पत्रकारिता तथा रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए वर्ष 2010 के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान रवीश कुमार और दिलीप कुमार चौबे को दिया गया, जबकि वर्ष 2011 के लिए डॉ शिवनारायण और प्रोफेसर गोविंद सिंह को दिया गया है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी साहित्य एवं उपकरण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए वर्ष 2010 का आत्माराम सम्मान डॉ अनिल कुमार चतुर्वेदी और काली शंकर को दिया गया, जबकि वर्ष 2011 के लिए यह सम्मान महेश डी कुलकर्णी और विजय कुमार मल्होत्रा को दिया गया है। हिंदी के विकास से संबंधित सर्जनात्मक आलोचनात्मक क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सुब्रह्मण्य भारती सम्मान दिया जाता है। वर्ष 2010 के लिए यह सम्मान प्रोफेसर सुधीश पचौरी और डॉ श्याम सुंदर दुबे को दिया गया, जबकि वर्ष 2011 के लिए इस सम्मान से प्रोफेसर दिलीप सिंह और प्रोफेसर नित्यानंद तिवारी नवाजे गए।
हिंदी में खोज और अनुसंधान करने तथा यात्रा विवरण आदि के लिए दिए जाने वाले महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान से वर्ष 2010 के लिए डॉ परमानंद पांचाल और प्रोफेसर रघुवीर चौधरी को सम्मानित किया गया, जबकि वर्ष 2011 के लिए यह सम्मान प्रोफसर असगर वजाहत और वेद राही को दिया गया। विदेशी हिंदी विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिए डॉ जार्ज ग्रियर्सन सम्मान वर्ष 2010 के लिए उजबेकिस्तान के प्रोफसर शमतोफ आजाद को दिया गया, जबकि वर्ष 2011 के लिए इस सम्मान से प्रोफसर उजो किम दक्षिण कोरिया को सम्मानित किया गया। पद्मभूषण डॉ मोटूरि सत्यनारायण सम्मान भारतीय मूल के विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जाता है। वर्ष 2010 के लिए यह पुरस्कार प्रोफेसर मदनलाल मधु रूस और वर्ष 2011 के लिए तेजेंदर शर्मा यूके को दिया गया है।