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Saturday 6 September 2014 03:57:26 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बांग्लादेश के बीच परंपरागत औषधि प्रणाली एवं होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए सहमति पत्र को अपनी मंजूरी दे दी है। प्रस्तावित सहमति पत्र पर हस्ताक्षर से दोनों देशों के बीच परंपरागत औषधि एवं होम्योपैथी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ेगा। दोनों देशों की साझी सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए यह सहमति पत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इससे बांग्लादेश में भारतीय परंपरागत औषधि प्रणाली और होम्योपैथी को बढ़ावा देने का ढांचा उपलब्ध होगा।
सहमति पत्र में किसी तरह की अतिरिक्त वित्तीय अड़चन नहीं है, शोध, प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, सम्मेलनों, बैठकों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन वर्तमान आवंटित बजट तथा आयुष विभाग की वर्तमान नीति संबंधी योजनाओं से पूरे किए जाएंगे। वर्ष 2012-13 में भारत ने 2167.57 करोड़ रुपए का आयुष उत्पाद निर्यात किया। वर्ष 2013-14 में बांग्लादेश को 31.8 करोड़ रुपए के हर्बल तथा आयुष उत्पाद निर्यात किए गए। भारत में औषधीय पौधों समेत परम्परागत औषधियों की प्रणालियां काफी विकसित हैं, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिदृश्य में काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। परंपरागत औषधि बांग्लादेश की स्वास्थ्य नीति का अहम हिस्सा है।
बांग्लादेश में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी महत्वपूर्ण परंपरागत स्वास्थ्य रक्षा प्रणालियों की अच्छी पैठ है। बांग्लादेश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत की परंपरागत औषधियों और होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी औषधि प्रणालियों का इस्तेमाल करता है। दोनों ही देश आयुर्वेद और यूनानी औषधि प्रणालियों के रूप में महत्वपूर्ण विरासत साझा करते हैं। होम्योपैथी का भी प्रचलन दोनों देशों में लंबे समय से रहा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में औषधीय पौधे खासकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाते हैं। समान भौगोलिक स्थितियों के चलते दोनों ही देशों में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र हैं।