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Saturday 27 September 2014 01:39:59 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया पहल की शुरूआत की। राजधानी के विज्ञान भवन में मौजूद शीर्ष ग्लोबल सीईओ सहित विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एफडीआई को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ ‘फर्स्ट डेवलप इंडिया’ के रूप में समझा जाना चाहिए। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया, कि वे भारत को सिर्फ बाज़ार के रूप में न देखें बल्कि, इसे एक अवसर समझें। प्रधानमंत्री ने कहा कि आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़नी चाहिए, क्योंकि इससे मांग बढ़ेगी और निवेशकों को फायदा मिलने के साथ-साथ विकास को बढ़ावा भी मिलेगा, लोगों को जितनी तेजी से गरीबी से बाहर निकालकर मध्यम वर्ग में लाया जाएगा, वैश्विक व्यवसाय के लिए उतने ही अधिक अवसर खुलेंगे,प्रधानमंत्री ने कहा कि इसलिए विदेशों से निवेशकों को नौकरियां सृजित करनी चाहिएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सस्ते निर्माण और उदार खरीददार-जिसके पास क्रय शक्ति हो-दोनों की ही जरूरत है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि अधिक रोज़गार का अर्थ है, अधिक क्रय शक्ति का होना। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां लोकतंत्र, जनसंख्या और मांग का अनोखा मिश्रण है। उन्होंने कहा कि नई सरकार कौशल विकास के लिए पहल कर रही है, ताकि निर्माण के लिए कुशल जनशक्ति सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने डिजीटल इंडिया मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि इससे सुनिश्चित होगा कि सरकारी प्रक्रिया कार्पोरेट की प्रक्रिया के अनुकूल रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष से वे महसूस कर रहे थे कि नीतिगत मुद्दों पर स्पष्टता का अभाव होने के कारण भारत के व्यावसायिक समुदाय के बीच निराशा है। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां तक सुनने को मिला कि भारतीय व्यवसायी भारत छोड़ कर चले जाएंगे तथा कहीं और जाकर व्यवसाय स्थापित कर लेंगे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे उन्हें दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि किसी भी भारतीय को किसी भी परिस्थिति में देश छोड़ने की बाध्यता जैसी भावना नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों के अनुभव के आधार पर वे यह कह सकते हैं कि अब ये निराशा समाप्त हो गई है। प्रधानमंत्री ने दस्तावेजों का स्व-प्रमाणीकरण करने की सरकार की नई पहल का उदाहरण दिया और कहा कि यह इस बात को स्पष्ट करता है कि नई सरकार को अपने नागरिकों पर कितना विश्वास है। उन्होंने कहा कि आइए विश्वास के साथ शुरूआत करें, यदि कोई परेशानी है तो सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वास भी बदलाव की ताकत बन सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास और विकासोंमुख रोज़गार सरकार की जि़म्मेदारी है, भारत में व्यवसाय करना कठिन माना जाता था। उन्होंने इस संबंध में सरकारी अधिकारियों को संवेदनशील बनाया है।
प्रधानमंत्री ने प्रभावकारी शासन की जरूरत पर बल दिया है। लुक ईस्ट अभिव्यक्ति के साथ प्रधानमंत्री ने ‘लिंक वेस्ट’ को जोड़ा है। उन्होंने कहा कि एक वैश्विक दूरदर्शिता आवश्यक है। उनका मानना है कि स्वच्छ भारत और ‘कचरे से सम्पन्नता’ मिशन अच्छी आमदनी और बिजनेस का जरिया बन सकते हैं। उन्होंने सार्वजनिक निजी भागीदारी के जारिए भारत के 500 शहरों में बेकार पानी के प्रबंधन और ठोस कचरा प्रबंधन के बारे में अपने विज़न का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने राजमार्गों के अलावा आईवेज सहित भविष्य के बुनियादी ढांचे की चर्चा की और बंदरगाह प्रमुख विकास, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, गैस ग्रिड और जल ग्रिडों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया का प्रतीक चिन्ह जारी किया और वेबसाइट makeinindia.com की शुरूआत की।