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Saturday 27 September 2014 07:38:50 AM
लखनऊ। बारहवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के तत्वावधान में अगीतवाद के प्रवर्तक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रंगनाथ मिश्र 'सत्य' संस्थापक अध्यक्ष अगीत परिषद् लखनऊ की अध्यक्षता में काव्य-गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनोद चंद्र पांडेय पूर्व निदेशक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और विशिष्ट अतिथि महेश चंद्र द्विवेदी पूर्व महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस विशेष अतिथि, रामचंद्र शुक्ल पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुल्तान शाकिर हाशमी पूर्व सलाहकार योजना आयोग भारत सरकार मौजूद थे। कुमार तरल की वाणी वंदना से प्रारंभ इस काव्य गोष्ठी में नगर के अनेक वरिष्ठ एवं नवोदित रचनाकारों नें भाग लिया।
मंचस्थ अतिथियों ने काव्य गोष्ठी में कुमार तरल की काव्य-कृति 'दुर्गा सप्तशती गीतिका', रम्मन लाल अग्रवाल की काव्य-कृति 'रम्मन छंदावली' और एमएम कपूर की काव्य-कृति 'मेरे मुखर अगीत' का लोकार्पण किया। रामराज भारती फतेहपुरी, सुभाष हुड़दंगी, देवेश द्विवेदी देवेश, बेअदब लखनवी, अशोक विश्वकर्मा, एमएम कपूर, रम्मन लाल अग्रवाल रम्मन, पार्थो सेन, डॉ योगेश, फुरकत लखीमपुरी, गोबर गणेश आदि ने समसामयिक रचनाओं का पाठ किया। डॉ योगेश ने शृंगार रस की रचना पढ़ते हुए कहा कि सांसों की सरगम पर, धड़कन की थाप है। रामराज भारती 'फतेहपुरी' ने कहा कि अगर न होती जग में नारी भारत क्या, संसार न होता। बेअदब लखनवी ने कहा है कि विश्वास नहीं होता कि दिन अच्छे आएंगे, हिंदी को हम राष्ट्रभाषा का मान दिलाएंगे। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ रंगनाथ मिश्र 'सत्य' ने की। उन्होंने हिंदी दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी हिंदवासियों की प्रेरणा का मूलमंत्र है, सब मिलकर देवनागरी को अपनाइए। काव्य-गोष्ठी का संचालन डॉ योगेश तथा अतिथियों का स्वागत एवं उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापन संयोजक पार्थो सेन ने किया।