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Tuesday 7 October 2014 02:50:06 PM
इलाहाबाद। देश दुनिया में भले ही आज इंटरनेट, मोबाइल और सोशल मीडिया का जमाना सर चढ़कर बोल रहा हो, पर 160 साल बाद भी डाक सेवाएं अपनी प्रासंगकिता बनाए हुए हैं। एक अक्टूबर 2014 को भारतीय डाक विभाग ने अपनी सेवाओं के 160 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवाओं के इतिहास में जाकर कहते हैं कि 1 अक्टूबर 1854 को स्थापित डाक विभाग का इतिहाससभ्यता, संस्कृति और अर्थव्यवस्था से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है, सुख-दुख के हर पल में लोगों की थाह लेने वाला डाक विभाग पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक समूचे भारत की संचार व्यवस्था को एक डोर में बांधता है। डाक विभाग ने सदियों की करवटें देखी हैं और इसके आगोश में न जाने कितना इतिहास छिपा हुआ है।
डाक के अपने पेशे में गहराई तक जाने वाले इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने एक अध्ययनशील और साहित्यधर्मी के रूप में भी पुरातन डाक सेवाओं का गहन अध्ययन किया है। कानपुर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लेकर इलाहाबाद तक के अपने डाक सफर में डाक के इतिहास को देखने और उसको आज के संदर्भ में बहुपयोगी सिद्ध करने की कोशिश की है। इलाहाबाद में डाक सेवाओं के इतिहास में कृष्ण कुमार यादव ने पाया कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण होने के कारण ब्रिटिश शासन काल से ही अंग्रेजों ने इलाहाबाद में डाक सेवाओं की प्रमुखता पर जोर दिया है। इलाहाबाद से ही प्रथम वायु, रेल व अन्य डाक सेवाएं आरंभ हुईं।
हवाई डाक सेवा दुनिया में सर्वप्रथम 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में आरंभ हुई। करीब साढे़ छह हजार पत्रों का थैला लेकर यह विमान इलाहाबाद के पोलो ग्राउंड से लगभग 13 किलोमीटर दूर नैनी रेलवे स्टेशन के पास के मैदान में उतरा था। करीब 13 मिनट की इस हवाई यात्रा ने इतिहास रच दिया। इसपर दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों के लिए लोगों ने पत्र लिखे थे, जिनमें से एक पत्र जवाहरलाल नेहरू के नाम लिखा उनके पिता मोतीलाल नेहरू का भी था। कई ब्रिटिश अधिकारियों ने जार्ज पंचम को भी पत्र लिखे थे। उस एक दिन के लिए अलग से डाक मोहर भी बनवाई गई थी। रेलवे डाक सेवा का उद्भव भी इलाहाबाद में ही हुआ माना जाता है। कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि रेल सेवा के आरंभ होने के बाद इलाहाबाद और कानपुर के बीच अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम बार रेलवे सार्टिंग सेक्शन की स्थापना 1 मई 1864 को हुई, जो कालांतर में रेलवे डाक सेवा में तब्दील हो गया।
भारतीय डाक पर भी एक शोधपरक पुस्तक 'इंडिया पोस्ट: 150 ग्लोरियस ईयर्ज' लिख चुके कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि 6 मई 1840 को ब्रिटेन में विश्व के प्रथम डाक टिकट जारी होने के अगले वर्ष 1841 वर्ष में इलाहाबाद और कानपुर के मध्य घोड़ा गाड़ी से डाक सेवा आरंभ की गई। इलाहाबाद के एक धनी व्यापारी लाला ठंठीमल को, जिनका व्यवसाय कानपुर तक फैला था, यह घोड़ा गाड़ी डाक सेवा आरंभ करने का श्रेय दिया जाता है, इन पर अंग्रेजों ने भी अपना भरोसा दिखाया था। सन् 1850 में लाला ठंठीमल ने कुछ अंग्रेजों के साथ मिलकर 'इनलैंड ट्रांजिट कंपनी' की स्थापना की और 1854 में डाक सेवाओं के एकीकृत विभाग में तब्दील होने पर इनलैंड ट्रांजिट कंपनी' का इसमें विलय भी कर दिया। डाक निदेशक ने बताया कि अक्टूबर माह में ही 9 से 15 तक राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन किया जाएगा और इस दौरान बदलते दौर में डाक विभाग की कार्यप्रणाली से लोगों को रू-ब-रू कराने के लिए तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।