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Saturday 15 November 2014 04:26:23 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त, कार्पोरेट मामले और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि ‘स्वच्छता’ को प्रमुख मूल्यों में से एक के रूप में बच्चों में जागृति फैलानी चाहिए, ताकि बच्चे अपने बचपन और व्यक्तित्व के हिस्से के रूप में सफाई की आदत को अपना सकें। उन्होंने प्रथम राष्ट्रीय बाल फिल्म मेले का उद्घाटन करते समय कहा कि सूचना के युग में शैल्यूलॉयड मीडिया ज्ञान का एक सशक्त स्रोत बन गया है और सिनेमा मनोरंजन को दर्शाने के अलावा शिक्षा के लिए भी एक सशक्त औज़ार के रूप में उभरा है।
अरुण जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय बाल फिल्म मेला महात्मा गांधी के अपनाए गए स्वच्छता के मूल्यों को जागृत करने में मदद करेगा। अरुण जेटली ने प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्में, विशेषकर ‘द मेकिंग ऑफ महात्मा’ और ‘द मेकिंग ऑफ दि कंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया’ को देखने के लिए बच्चों का आह्वान किया। सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव विमल जुल्का ने भी इस अवसर पर कहा कि यह मंत्रालय स्वच्छ भारत के बारे में हमारे प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहा है और यही कारण है कि ‘स्वच्छता’ के मूल विषय पर राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन के मौके पर प्रख्यात फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, टेलीविजन अभिनेत्री साक्षी तंवर और फिल्म जगत से दीया मिर्जा भी उपस्थित थीं।
राष्ट्रीय बाल दिवस पर भारतीय बाल फिल्म सोसायटी (सीएसएफआई) में आयोजित तीन-दिवसीय महोत्सव से बच्चों को उच्च गुणवत्तापूर्ण फिल्म की विषय सामग्री की सराहना करने, मूल्य आधारित मनोरंजन का अनुभव करने और पर्यावरण संरक्षण तथा स्वच्छता के बारे में अपनी कल्पना को उड़ान देने का अवसर मिलेगा। इस महोत्सव में स्वच्छता के मूल विषय पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कई बाल फिल्में दिखाई जाएंगी। सीएसएफआई की एक हाल ही में बनी फिल्म ‘पप्पू की पगडंडी’ इस महोत्सव की शुरूआत में दिखाई जाएगी। महोत्सव में दिखाई जाने वाली अन्य फिल्मों में ‘काफल’ जिसे सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था, ‘शॉर्टकट सफारी’ जिसे पहली बार दिखाया जाएगा, ‘द गोल’, ‘एक अजूबा’ (सीएसएफआई निर्मित), ‘करामती कोट’, ‘समर विद द घोस्ट’, ‘सनसाइन बेरी एंड डिस्को वर्म्स’, ‘ये है चक्कड़ बक्कड़ बुंबे बो’, ‘द बूट केक’, ‘हवा हवाई’, ‘कृश ट्रिश बाल्टीबॉय-3’ और ‘गूपी गवय्या भागा बजय्या’ शामिल हैं।