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Wednesday 19 November 2014 02:09:05 AM
फिजी। प्रशांत द्वीपसमूह के देशों के साथ मजबूत जुड़ाव बनाने की दिशा में भारत ने फिजी के लिए 7.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण सुविधा की घोषणा की है। यह ऋण सुविधा विद्युत संयंत्र के सह-उत्पादन और चीनी उद्योग को आधुनिक बनाने के लिए दी गई है। इसके अलावा 50 लाख डॉलर का फंड इसके गावों के विकास के लिए भी दिया गया है। दोनों देश आपसी रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं। फिजी में अपने समकक्ष फ्रैंक बैनीमरामा के साथ वार्ता के बाद ये घोषणाएं करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिजी के निवासियों के लिए आगमन पर वीजा की सुविधा की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री ने इसके अलावा कई सहायक परियोजनाओं की घोषणा भी की, जिनमें संसद पुस्तकालय और इस देश से भारत जाने वाले लोगों के लिए छात्रवृत्तियों एवं प्रशिक्षण अवधियों को दोगुना करना शामिल है। दोनों देशों के इन नेताओं के बीच कुल तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। ऋण सुविधा इसी का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की अपनी 10 दिवसीय यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में एक दिवसीय यात्रा के लिए तड़के सुबह यहां पहुंचे। वर्ष 1981 में इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद 33 वर्ष में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री फिजी के दौरे पर आया है। छोटे और सुदूर प्रशांत द्वीपीय देश फिजी ने नरेंद्र मोदी के स्वागत की तैयारियां बड़े स्तर पर की हुई थीं। भारतीय प्रधानमंत्री की आगवानी के लिए फिजी के प्रमुख और पूर्व सैन्य शासक फ्रैंक बैनीमरामा स्वयं सुवा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आए थे। वर्ष 2006 में बैनीमरामा ने सैन्य तख्तापलट के जरिए सत्ता हासिल की थी। उस सत्ता परिवर्तन के बाद से प्रशांत देश के पहले संसदीय चुनावों के जरिए 22 सितंबर को बैनीमरामा ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हवाई अड्डे पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय एवं संसद के पास स्थित अल्बर्ट पार्क में पारंपरिक स्वागत समारोह में शिरकत की। मैदान में जुटे भारतीय मूल के लोगों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ भी मिलाया। फिजी के प्रधानमंत्री कार्यालय में बैनीमरामा के साथ मीडिया को संयुक्त संबोधन में नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक नया दिन है और फिजी के साथ हमारे संबंधों की एक नई शुरूआत है।
फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत मानव जाति के फायदे के लिए अपने लोकतंत्र और युवा जनसंख्या की शक्ति का इस्तेमाल करेगा। उन्होंने कहा कि आने वाला युग ज्ञान का युग होगा और भारत एक बार फिर विश्वगुरू के रूप में अपनी भूमिका निभाएगा। सूवा में फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श में प्रधानमंत्री ने कहा कि समूचे विश्व के प्रति भारत की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और फिजी के बीच काफी मूल्य साझे हैं और यह दोनों देशों की जिम्मेदारी बनती है कि इन मूल्यों को समृद्ध बनाया जाए। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि फिजी ने आगे बढ़ने के लिए लोकतंत्र का रास्ता चुना है, जोकि एक अतुलनीय उदाहरण है और इससे समूचे प्रशांत क्षेत्र को भी ऐसा ही करने की प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान के भंडार को निरंतर समृद्ध किए जाने की आवश्यकता है और इसे नई खोजों और अनुसंधान की गति के साथ सामायिक बनाना होगा, भारत मानव जाति के हित में काम करने को तत्पर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पुरातन काल के ऋषियों ने भारत की वैश्विक जिम्मेदारी की बात की थी और उन्होंने ज्ञान युग की भी चर्चा की थी, इसलिए अब उम्मीद है कि भारत अपने लोकतंत्र और भौगोलिक स्थिति का इस्तेमाल करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। प्रधानमंत्री ने डिजिटल असमानता समाप्त करने की चर्चा करते हुए कहा कि हमें विश्व को मदद देने के लिए भविष्य की तैयारी करनी होगी। प्रधानमंत्री ने यहां कुछ ऐसी पहलों का उल्लेख किया, जिनकी उन्होंने घोषणा की गई है।