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Sunday 18 January 2015 11:44:44 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2014 के लिए 24 बच्चों को चुना गया है। इनमें 8 लड़कियां और 16 लड़के शामिल हैं। चार बच्चों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है। प्रतिष्ठित भारत पुरस्कार सोलह वर्षीय उत्तर प्रदेश की कुमारी रेशमा फातिमा को दिया गया है। रेशमा फातिमा तेज़ाब के हमले की शिकार हुई थी और उसे यह पुरस्कार अपने दुश्मनों से बहादुरी से निपटने के लिए दिया गया है। गीता चोपड़ा पुरस्कार असम की तेरह वर्ष की कुमारी गुंजन शर्मा को दिया गया है, जिसने अपहरणकर्ताओं के शिकंजे से अपने मित्रों को बचाने के लिए बहादुरी का परिचय दिया। संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तर प्रदेश के सोलह वर्षीय देवेश कुमार को दिया गया है, जिसने दो लुटेरों से मुकाबला करते हुए असीम साहस का परिचय दिया।
बापू गैधानी पुरस्कार अरूणाचल प्रदेश के 13 वर्षीय मास्टर रूमोह मेतो, उत्तर प्रदेश की कुमारी रिया चौधरी 15 वर्ष और उत्तराखंड 16 वर्ष की कुमारी मोनिका को दिया गया। अन्य पुरस्कृत बच्चों में कुमारी जील जितेंद्र मराठे, मास्टर हीरा जीतूभाई हलपती और मास्टर गौरव कुमार भारती गुजरात से, मास्टर स्हनेश आर कर्नाटक, कुमारी अश्वनी बंदू उगाडे महाराष्ट्र, मास्टर एल ब्रेनसन सिंह और मास्टर जी तूलदेव शर्मा मणिपुर से, कुमारी रीपा दास त्रिपुरा, मास्टर बलराम दनसेना छत्तीसगढ़, मास्टर राजदीप दास झारखंड, मास्टर अंजीत पी, मास्टर अकिल मोहम्मद एनके और मास्टर मिधुन पीपी केरल से, मास्टर स्टीवेंसन लोरिनयांग मेघालय से, मास्टर मेसक के रेमनालालअंगका मिजोरम से, कुमारी महोनबेनी इक्वंग नागालैंड से, मास्टर लाभांशु उत्तराखंड और मास्टर गौरव कुमार भारती उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
वीरता पुरस्कारों का चयन उच्च अधिकार प्राप्त समिति करती है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के प्रतिनिधि, गैर सरकारी संगठन और भारतीय बाल कल्याण परिषद के वरिष्ठ सदस्य शामिल होते हैं। ये बच्चे जनवरी 2015 में एक विशेष समारोह में प्रधानमंत्री से पुरस्कार ग्रहण करेंगे और गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गणमान्य व्यक्ति भी इनके सम्मान में स्वागत समारोह का आयोजन करेंगे। विभिन्न राज्य अपने स्तर पर इनके सम्मान में समारोह आयोजित करेंगे। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) की शुरू की गई राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार योजना के तहत उन बच्चों को सम्मान दिया जाता है, जिन्होंने असीम बहादुरी और उत्कृष्ट सेवा का परिचय दिया हो, जो दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हों। पहली बार 1957 में एक लड़की समेत दो बच्चों को उनकी बुद्धिमता और साहस के लिए वीरता पुरस्कार दिया गया था। आईसीसीडब्ल्यू तब से हर वर्ष बच्चों को राष्ट्रीय पुरस्कार देता आ रहा है।
आईसीसीडब्ल्यू वर्ष ने 1987-88 में असाधारण बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार की शुरूआत की थी। पुरस्कृत बच्चों को एक मेडल, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। कार्यक्रम के अंतर्गत विजेताओं को तब तक वित्तीय सहायता दी जाती है, जब तक उनकी स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं होती। कुछ राज्य सरकारें भी वित्तीय सहायता देती हैं। इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत आईसीसीडब्ल्यू उन बच्चों को वित्तीय सहायता देता है, जो इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करते हैं। अन्य बच्चों को यह सहायता उनकी स्नातक शिक्षा पूरी होने तक दी जाती है। भारत सरकार ने विजेता बच्चों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज तथा पॉलीटेक्नीक में कुछ सीटें भी आरक्षित कर रखी हैं। वर्ष 1957 में पुरस्कार शुरू होने के बाद से भारतीय बाल कल्याण परिषद 895 बहादुर बच्चों को पुरस्कार प्रदान कर चुकी हैं, जिनमें 634 लड़के और 261 लड़कियां शामिल हैं।