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Saturday 6 June 2015 03:17:32 AM
ढाका/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर आज बांग्लादेश पहुंचे। बांग्लादेश के हजरतशाह जलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका भव्य स्वागत किया गया। बांग्लादेश की उनकी इस पहली यात्रा के दौरान दोनों पक्ष सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए कई समझौते करेंगे और काफी समय से लंबित भूमि सीमा समझौते की अभिपुष्टि भी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हजरतशाह जलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, वित्तमंत्री एएमए मुहीथ, वाणिज्य मंत्री तोफैल अहमद और कृषि मंत्री मोती चौधरी सहित कई मंत्रिमंडल सहयोगियों ने उनका स्वागत किया। हवाई अड्डे पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से ऊंची अपेक्षाओं को परिलक्षित कर रही राजधानी में जगह-जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीरों वाले होर्डिंग लगे हैं। उनके साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा शेख हसीना के कई कटआउट्स भी लगे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल रात ही यहां पहुंच गई थीं। नई दिल्ली से रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था कि बांग्लादेश रवाना हो रहा हूं। यह यात्रा हमारे दोनों देशों के बीच जुड़ाव को और अधिक मजबूत करेगी तथा हमारे देशों और क्षेत्र के लिए लाभकारी होगी। दो दिवसीय यात्रा के दौरान मोदी बांग्लादेश में अपनी समकक्ष शेख हसीना के साथ संबंधों के विविध पहलुओं पर तथा रिश्तों को आगे ले जाने के तौर तरीकों पर बातचीत करेंगे। उनकी यह यात्रा भारत की अपने पड़ोसियों के साथ गहन वार्ता करने की नीति का हिस्सा है। समझा जाता है कि ढाका में नरेंद्र मोदी बांग्लादेश में अपनी समकक्ष के हाथ मजबूत करने के लिए एक पुख्ता संदेश देंगे, जो एक समय अपने यहां शरण लेने वाले पूर्वोत्तर के विभिन्न उग्रवादी गुटों पर लगाम कसने में भारत की मदद कर रही हैं और कट्टर उग्रवादी संगठनों के प्रति कठोर रवैया अपना रही हैं।
बांग्लादेश यात्रा से पहले नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाने के लिए शेख हसीना की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा दोनों देशों की जनता के लिए लाभकारी होगी और दक्षिण एशियाई पड़ोस के लिए भी बहुत अच्छी होगी। बांग्लादेश और भारत 4096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और इसका ज्यादातर हिस्सा पोरस है, जो अरक्षित है। समझा जाता है कि दोनों ही देश सुरक्षा को बढ़ाने और खासकर पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को पड़ोसी देश में शरण लेने से रोकने के उपाय तलाशने पर विचार करेंगे। भूमि सीमा समझौते की अभिपुष्टि ढाका में नरेंद्र मोदी के दौरे का बड़ा मुद्दा होगी। बीते माह के शुरू में संसद ने ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसका मकसद बांग्लादेश के साथ 41 साल से चल रहे सीमा मुद्दे का हल करना है। यह विधेयक वर्ष 1947 के भारत-बांग्लादेश सीमा समझौते को लागू करने की राह प्रशस्त करेगा, जिसमें दोनों देशों के बीच 161 बस्तियों का आदान प्रदान शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे में रेल, सड़क और जल संपर्क को बढ़ाना और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी और इन क्षेत्रों में कई समझौते किए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा बांग्लादेश को डीजल की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते को भी अंतिम रूप दिया जाएगा और उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। बांग्लादेश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार सहयोगी है। वर्ष 2012-2013 में दोतरफा कारोबार 5.34 अरब डॉलर का था जिसमें भारत ने बांग्लादेश को 4.776 अरब डॉलर का निर्यात किया और वहां से 5.64 लाख डॉलर का आयात हुआ। नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शेख हसीना ढाका के रास्ते कोलकाता और अगरतला के बीच तथा ढाका-शिलांग-गुवाहाटी बस सेवा की शुरुआत करेंगे। दोनों देश रेल संपर्क मजबूत करना चाहते हैं, खासकर रेलवे लिंक जो 1965 के पहले तक वजूद में था। वे भारत से छोटे जहाजों के बांग्लादेश में विभिन्न बंदरगाहों तक आने जाने का रास्ता खोलने के लिए एक तटीय जहाजरानी समझौता भी करेंगे। भारत बांग्लादेश में बंदरगाह बनाने के लिए भारतीय कंपनियों की भागीदारी के लिए बातचीत करेगा।
नरेंद्र मोदी और शेख हसीना के बीच वार्ता में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल मोटर वाहन समझौते का मुद्दा भी उठने की संभावना है। भारत का मानना है कि बांग्लादेश के साथ संपर्क बढ़ाने से दक्षिण पूर्व एशिया के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के जुड़ाव में मदद मिलेगी। कारोबार के मोर्चे पर बांग्लादेश में भारतीय निवेश को प्रोत्साहित करने की कोशिश होगी और उस देश में भारतीय कंपनियों द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना के लिए एक सहमति पत्र पर दस्तखत हो सकते हैं। भारत पहले ही घोषणा कर चुका है कि इस यात्रा के दौरान बांग्लादेश के साथ लंबित तीस्ता जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होगा। हालांकि जलमार्गों और अन्य नदियों के जल के बंटवारे संबंधी मुद्दे पर वार्ता हो सकती है। सितंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता समझौता किया जाना था, लेकिन ममता बनर्जी के एतराज के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया। ममता बनर्जी उस वक्त प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं थीं। तीस्ता जल बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण है खासकर दिसंबर से मार्च की अवधि के दौरान जब जल प्रवाह अस्थायी रूप से 5000 क्यूसेक से घटकर मात्र 1,000 क्यूसेक रह जाता है।