स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 28 June 2015 03:18:24 AM
लखनऊ/ नई दिल्ली। मैं ना संस्कृत जानती हूं और ना ही गीता, मैंने इस्कॉन की मात्र एक प्रतियोगिता जीती है। मैं इन विषयों को अपने शिक्षा पाठ्यक्रम से ज्यादा नहीं जानती। यह कहना है मरियम सिद्दीकी का, जिसने मुंबई में इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस (इस्कॉन) की एक प्रतियोगी परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। मीडिया ने इस पर मरियम सिद्दीकी को कंठस्थ गीता से जोड़ दिया और देशभर में उसकी लहर चल पड़ी। संस्कृत और गीता के विद्वान उसमें गीता का ज्ञान सुनकर बड़ी हैरत में हैं, क्योंकि गीता ज्ञान कोई औरों की तरह रटने का विषय नहीं है, यह विज्ञानतुल्य है। आखिर मरियम सिद्दीकी की गीता ज्ञान की सच्चाई सामने आई, जब लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर संस्कृत विद्वानों के सम्मान कार्यक्रम में इन विषयों पर उसके कमांड के बारे में प्रश्न हुआ। हालॉकि उसने स्पष्ट कर दिया कि वह इन दोनों विषयों पर ज्यादा नहीं जानती और उसे गीता भी कंठस्थ नहीं है। दरअसल यह मामला मरियम सिद्दीकी के गीता कंटेस्ट और गीता कंठस्थ के बीच का है, जिसे मीडिया के महान लोगों ने गीता कंटेस्ट से गीता कंठस्थ बना दिया।
मुंबई में इस्कॉन की चौपाटी शाखा ने इस साल जनवरी में श्रीमद्भागवत गीता एवं अन्य विषयों से संबंधित बच्चों के सामान्य ज्ञान पर आधारित एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें मुंबई की इस मुस्लिम लड़की मरियम सिद्दीकी ने भी भाग लिया था। इसमें बच्चों को सवालों के सही उत्तर टिक करने थे, उसमें मरियम सिद्दीकी के भी उत्तर सही पाए गए और उसे सबसे ज्यादा अंक मिले। मीडिया ने इस प्रतियोगिता को ख़बर बनाया, जिसमें गीता के सवालों के संदर्भ में मुस्लिम लड़की का नाम सामने आने से यह झूंठ भी जोड़ दिया गया कि मरियम सिद्दीकी को गीता कंठस्थ है। बस इतने पर ही वह देश की धर्मनिरपेक्षता की राजदूत बन गई, जबकि वास्तविकता यह है कि मरियम सिद्दीकी को न संस्कृत आती है और ना ही उसे गीता की जानकारी है। लखनऊ में पच्चीस जून को मुख्यमंत्री आवास पर संस्कृत विद्वानों के सम्मान समारोह में अपने पिता के साथ मौजूद मरियम सिद्दीकी ने स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम के एक सवाल पर साफ इंकार किया है कि उसे संस्कृत आती है या गीता कंठस्थ है। सवाल था कि उसका गीता और संस्कृत पर कितना कमांड है? उसका कहना था कि इन पर जितना उसके स्कूली पाठ्यक्रम में है, बस उतना ही वह जानती है, उसके आगे नहीं जानती। तो गीता कैसे याद है? 'मै गीता नहीं जानती।' तो गीता कंठस्थ कैसे? 'सौरी, मै नहीं जानती।'
इस्कॉन के अनुसार यह कोई ऐसी प्रतियागिता नहीं थी, जिसमें यह पता चले कि गीता किसको कंठस्थ है। मीडिया में इसे ठीक से नहीं समझा गया और मरियम सिद्दीकी को प्रचार मिला। इस्कॉन ने बताया कि सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता थी, जिसमें जो सवाल थे, उनके उत्तर भी उसी के साथ थे। इस्कॉन ने इस प्रतियोगिता की तैयारी करने के लिए सभी प्रतिभागियों को करीब एक महीना पहले ही जरूरी किताबें भी दी थीं। उन्हीं किताबों के आधार पर प्रतियोगिता की तैयारी कर मरियम सिद्दीकी ने यह सामान्य परीक्षा दी थी, जिसमें उसे सबसे अधिक अंक मिले और उसने पहला स्थान प्राप्त किया। इससे इस प्रतियोगिता में यह कहीं भी सिद्ध नहीं होता कि मरियम सिद्दीकी छोटी उम्र में संस्कृत या गीता की इतनी बड़ी जानकार है या उसे गीता कंठस्थ है और जैसा कि मरियम सिद्दीकी ने स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम के दो सवालों के उत्तर में स्पष्ट स्वीकार किया है कि न तो उसे संस्कृत आती है और न ही उसने गीता का कोई अध्ययन किया है, जबकि देशभर में प्रचारित यह हो रहा है कि बारह साल की एक मुस्लिम लड़की मरियम सिद्दीकी को गीता कंठस्थ है। मरियम सिद्दीकी ने अपनी सच्चाई स्वीकार करने में कोई भी संकोच नहीं किया, गीता के कंठस्थ होने का केवल मीडिया का प्रोपेगंडा था, जिससे अब मरियम सिद्दीकी की किरकिरी हो रही है।
ज्ञातव्य है कि इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस (इस्कॉन) मुंबई की सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का परिणाम अखबारों और समाचार चैनलों पर यह शीर्षक और ख़बर बना कि एक मुस्लिम लड़की ने श्रीमद्भागवत गीता पर प्रतियोगिता जीती और उसे गीता कंठस्थ है। इस पर सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की यह घोषणा सामने आई कि उसके 'गीता ज्ञान' के लिए उत्तर प्रदेश सरकार उसको पुरस्कार स्वरूप दस लाख रुपए देगी। जाहिर सी बात है कि उसके बाद बाकी राजनेताओं की भी उस पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के अध्यक्ष डॉ यूपी सिंह एवं विख्यात कवि गोपालदास नीरज को सम्मानित करने के लिए हुए एक समारोह में मरियम सिद्दीकी को भी उसके घोषित पुरस्कार से नवाजा गया। मरियम सिद्दीकी अपने माता-पिता आसिफ नसीम सिद्दीकी और फरहान आसिफ सिद्दीकी के साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी आर्शीवाद लेने पहुंची और देश की इन दोनों महान हस्तियों ने मरियम सिद्दीकी को सःसम्मान आर्शीवाद भी दिया।
मरियम सिद्दीकी अब तक कई प्रचंड नेताओं के यहां जा चुकी है और गीता ज्ञान के सहारे उसका देश के बड़े-बड़े राजनेताओं के यहां जाना जारी है। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के यहां जाने का उसका अनुभव जरूर खराब रहा। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल उससे बड़े प्यार दुलार से तो मिलीं, लेकिन उन्होंने उसे केवल ग्यारह हजार रुपए का चेक दिया, मगर जो भी कारण हो, मरियम सिद्दीकी ने उन्हें ये चेक यह कहकर वापस कर दिया कि वे इसे लड़कियों की शिक्षा के लिए वापस कर रही हैं। काश! मरियम सिद्दीकी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्राप्त दस लाख रुपए के चेक को भी इसी भावना से वापस किया होता। लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सरकारी निवास पांच कालीदास मार्ग पर संस्कृत विद्वानों के सम्मान समारोह में भी मरियम सिद्दीकी अपने पिता के साथ पहुंची। वहां मौजूद लगभग सभी विद्वान उसे इसी रूप में जान रहे थे कि उसे श्रीमद्भागवत गीता कंठस्थ है और जब वह इसे जानती है तो स्वाभाविक रूप से उसे संस्कृत की भी श्रेष्ठ जानकारी होगी। मरियम सिद्दीकी से प्रभावित अनेक संस्कृत विद्वानों और वेद-पाठियों ने सम्मान समारोह की समाप्ति के बाद मरियम सिद्दीकी के साथ न केवल अपने फोटो खिंचाए, अपितु कुछ ने मरियम सिद्दीकी का आटोग्राफ भी लिया। कई मीडियावाले भी आटोग्राफ में शामिल थे।
स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम संवाददाता ने कुछ संस्कृत विद्वानों से उत्सुकतावश जब मरियम सिद्दीकी के गीता ज्ञान पर बात की तो उन्हें भी यही पता था कि इतनी कम उम्र में ही उसे गीता का व्यापक ज्ञान है, तभी उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी मिलने का अवसर दिया और उसकी प्रशंसा की, किंतु किसी ने कभी भी उससे उसके गीता ज्ञान पर बात नहीं की। इस संवाददाता ने उससे जरूर जानना चाहा कि गीता और संस्कृत पर उसका कितना कमांड है? लेकिन यह सुनकर हैरत हुई, जब उसने कहा कि वह तो संस्कृत जानती नहीं है। तो फिर श्रीमद्भागवत गीता? तो उसने कहा कि इसके बारे में भी वह नहीं जानती। इससे पहले कि उसके सामने और सवाल आएं, उसने कहा कि उसने मुंबई में इस्कॉन की एक प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसमें कुछ प्रश्नों के सही उत्तरों को टिक करना था, जो एक तैयारी के बाद उसने किया और उसे सबसे ज्यादा अंक मिले। उसका जवाब कुछ दो चार संस्कृत विद्वानों ने भी सुना और वे उसके उत्तर से हैरत में पड़ गए।
सवाल यह है कि जब मरियम सिद्दीकी का संस्कृत और गीता ज्ञान से कोई सीधा वास्ता ही नहीं है, तब फिर संस्कृत विद्वानों के इस कार्यक्रम में वह क्या करने आई और उसने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि उसका गीता ज्ञान केवल एक प्रतियोगिता में पूछे गए सवालों के सही उत्तर टिक करने तक ही सीमित है। दूसरी बात-उसे संस्कृत विद्वानों के सम्मान समारोह में बुलाया गया था या वह खुद वहां पहुंची थी? इस कार्यक्रम में उसकी मौजूदगी का अर्थ तो यही लगाया जाएगा ना कि वह भी संस्कृत विद्वानों की तरह इन दोनों विधाओं की जानकार है। यही नहीं वह अपने पिता के साथ संस्कृत विद्वानों की विशिष्ट कुर्सियों पर बैठी थी, जिसका आशय स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है। जब इस संवाददाता ने कुछ संस्कृत विद्वानों से मरियम सिद्दीकी के इस पक्ष पर प्रकाश डालने को कहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें क्या, अब तक सभी को यही पता है कि इस लड़की को गीता कंठस्थ है और यदि यह तथ्य गलत है तो इसे खुद ही स्पष्ट कर देना चाहिए। इस साल जनवरी में यह प्रतियोगिता हुई थी, जिसका परिणाम 15 मार्च को घोषित हुआ था। इस प्रतियोगिता में सर्वाधिक अंक पाने पर मरियम सिद्दीकी को देशव्यापी प्रसिद्धि मिली, जिसका मीडिया में यह प्रचार हुआ कि उसे श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान है। मीडिया की यह जानकारी अब झूंठी साबित हुई है और इससे देश गुमराह हुआ है।
इसका एक पक्ष यह है कि इससे धर्मनिरपेक्षता को बल मिलता है, किंतु इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि बिना सही जानकारी के मरियम सिद्दीकी के गीता ज्ञान को गलत प्रचारित कर दिया गया। किसी ने भी उसके गीता ज्ञान को परखने की कोशिश नहीं की और सब एक ही दिशा में चलते गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी क्या मरियम सिद्दीकी से उसके गीता ज्ञान की सीमा जाननी चाही? मरियम सिद्दीकी का साफ मानना है कि गीता और संस्कृत के बारे में वह उसके पाठ्यक्रम से ज्यादा नहीं जानती, किंतु मीडिया की अफवाह पर देश तो चल पड़ा। सोचिए, यदि मरियम सिद्दीकी इस आधार पर देश के बाहर जाती है और उसे कंठस्थ गीता नहीं होने की सच्चाई सामने आती है तो देश की छवि का क्या होगा? और उस भारत सरकार का क्या होगा, जिसके प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उससे केवल उसके गीता के ज्ञान के कारण मिले हैं। इस बात का कौन जवाब देगा कि मरियम सिद्दीकी के गीता के ज्ञान के बारे में जांच-पड़ताल किए बगैर उसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास ले जाया गया।
मरियम सिद्दीकी एक झूंठे प्रचार से देशव्यापी प्रसिद्धी पा गई है। दूसरी तरफ भारत में मुसलमानों में ऐसी लड़कियां भी हैं, जिनके संस्कृत और गीता ज्ञान के सामने बड़े-बड़े विद्वान बौने हैं। चूंकि वे मुसलमान हैं और उन्हें पर्दे के बाहर आने की सख्त मनाही है, इस दुर्भाग्यवश या मजबूरीवश या तो वे लड़कियां घरों में बुर्कों में रहने को विवश हैं या मुस्लिम कट्टरपंथियों के भय से इस विधा को छोड़ गई हैं। ऐसी मुस्लिम लड़कियों के बारे में सरकार या मीडिया की क्या खोज है? जो मुसलमान होकर भी संस्कृत और गीता पर अपनी पकड़ रखती हैं। संस्कृत के आचार्य रामयत्न शुक्ल ने यहां बहुत अच्छी बात कही कि संस्कृत सभी धर्म और जाति के लिए है, इसकी शिक्षा में कोई भी भेद नहीं होना चाहिए। मरियम सिद्दीकी को उसकी संबंधित प्रतियोगिता की विजेता होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, लेकिन जहां तक उसके संस्कृत या गीता के ज्ञान का प्रश्न है तो यह जानकर निराशा होती है कि उसे दोनों में से किसी का भी ज्ञान नहीं है। इसके लिए उस मीडिया पर संपूर्ण दोष जाता है, जिसने प्रतियोगिता की आधी-अधूरी जानकारी के साथ उसे संस्कृत और गीता के ज्ञान से जोड़ दिया। वैसे भी यह ऐसा विषय नहीं है कि जिसे रट लिया जाए। इस विषय पर पकड़ रखने के लिए समय और प्रचंड बुद्धि और उस प्रकार के वातावरण की आवश्यकता होती है, जो अपवाद को छोड़कर बारह साल की मरियम सिद्दीकी के पास शायद ही हो।
मरियम सिद्दीकी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली तो उसने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष और स्वच्छ भारत अभियान के लिए 11 हजार रुपए दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उसको विभिन्न धर्मों पर आधारित पांच पुस्तकें दीं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि इस बच्ची की विभिन्न धर्मों में रुचि सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणा है। मरियम सिद्दीकी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई संगठनों ने सम्मानित किया। इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस (इस्कॉन) की इस प्रतियोगिता में महाराष्ट्र के 195 स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था। कुल मिलाकर इस मामले में यह पता करना आवश्यक हो जाता है कि मरियम सिद्दीकी का गीता ज्ञान वास्तव में कितना है, जोकि उससे शास्त्रार्थ से पता चल सकेगा। उसे जिस प्रकार महिमामंडित किया गया है, यह भी विद्वानों के सामने एक चुनौती है। यह योग्यता का प्रश्न है, न कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का। मरियम सिद्दीकी धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे की मिसाल बने, किंतु उससे पहले उसे अपने गीता ज्ञान की सच्चाई सार्वजनिक रूप से प्रकट करनी चाहिए।