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Tuesday 17 November 2015 05:00:38 AM
देहरादून। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज पंतनगर में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। राष्ट्रपति ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि विकास और परिवर्तन का केंद्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि संस्थानों को विकास और गुणवत्ता में सुधार के लिए ध्यान केंद्रित करना चाहिए, विशेषज्ञता हासिल करने के लिए सांस्थानिक समझौते किये जाने चाहिएं, संयुक्त अनुसंधान के लिए अन्य कृषि संस्थानों के साथ सहभागिता की जानी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि ज़मीन का बेहतरीन इस्तेमाल और मृदा प्रबंधन को अपनाना बहुत आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि बेहतर खेती के लिए यह जरूरी है कि हम मिट्टी की गुणवत्ता के महत्व को पहचानें, पौधों के पोषण के लिए प्राकृतिक साधन का इस्तेमाल करें और उर्वरकों का समझदारी से प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि बेहतर खेती करने के लिए यह भी जरूरी है कि प्रौद्योगिकी विकास में ज्यादा निवेश किया जाए और बाजार तक किसानों की पहुंच बनाई जाए, ताकि उन्हें अपनी उपज की बेहतर कीमत मिल सके। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2015’ में कम पोषण, सामान्य वजन से कम के बच्चे और बाल मृत्यु की दर के संबंध में तीन संकेतक दिए गए हैं, जिनके अनुसार 104 देशों में भारत 80वें स्थान पर है, यह स्वीकार्य नहीं है, हमें समयबद्ध तरीके से अपनी आबादी के पोषण स्तर में सुधार करना होगा।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि समय आ गया है कि हम कृषि गतिविधियों में तेजी लाने के नए उपाए करें, इनमें सिंचाई और बीजों की किस्मों में सुधार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मृदा-उपज प्रणाली में टॉक्सिक तत्वों के विषय में अनुसंधान करना चाहिए और ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए, ताकि पानी का बेहतर इस्तेमाल हो सके, इसके अलावा वर्षा जल संग्रहण और पानी का कारगर इस्तेमाल भी जरूरी है। उन्होंने कहा ऐसा करने से हमारी सिंचाई क्षमता बढ़ेगी, हमारी नीतियों को इस दिशा में काम करना चाहिए।