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Monday 12 November 2018 04:59:48 PM
लखनऊ। लखनऊ में अनेक बौद्ध धर्मानुयायी देशों के बौद्ध विद्वानों और बौद्ध भिक्षुओं का समागम हुआ। बंगाल बुद्धिस्ट एसोसिएशन की स्थानीय शाखा बौद्ध धर्मांकुर सभा की ओर से गौतम बुद्ध विहार के बौधिसत्व विहार में विधि विधान से चीवर दान अनुष्ठान कार्यक्रम था, जिसमें गृहस्थ लोगों ने बौद्ध भिक्षुओं को उनका खास तीन हिस्सों वाला पहनने का वस्त्र चीवर और दूसरी आवश्यक वस्तुएं भेंट कीं। अनुष्ठान संयोजक वरिष्ठ भंते विश्वजीत ने बताया कि चीवर उन भिक्षुओं को भेंट किया जाता है, जिन्होंने तीन माह का कठिन वर्षावास व्यतीत किया होता है।
कोलकाता की बौद्ध धर्मांकुर सभा के भिक्षु बोधिपाल और बोधिसत्व विहार लखनऊ शाखा के भिक्षु प्रधान प्रज्ञाजीत की उपस्थिति में सुबह सबसे पहले अष्टपरिष्कार अनुष्ठान हुआ, जिसमें भिक्षा पात्र, सुई धागा, रेजर, कटिबंध और छन्ना भेंट किया गया, इसके बाद भिक्षुओं को भोजन अर्पित किया। भिक्षुओं को भोजन में जहां पहले केवल पूड़ी सब्जी, रायता खीर आदि ही भेंट किया जाता था, वहीं अब भक्त लोग बिस्कुट, मैगी, फ्रूट जूस तक श्रद्धाभाव से भेंट कर रहे हैं, ताकि बौद्ध भिक्षु भोज सामग्री का संग्रह कर उन्हें आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर सकें।
धम्म सभा में प्रवचन के बाद चीवर दान अनुष्ठान हुआ, जिसमें परित्राठ पाठ, धम्म ध्वजारोहण, सीवली पूजा के बाद प्रदीप पूजा में दीपक प्रज्ज्वलित कर मंगल की कामना की गई। शाम को प्राचीन ध्यान साधना विधि विपस्सना ध्यान, जिसे भगवान बुद्ध ने पुनर्जीवित किया था का सत्र हुआ। इसके माध्यम से अनुयायियों ने आत्मनिरीक्षण से आत्मशुद्धि का अभ्यास किया और विश्वशांति की प्रार्थना की। प्रधान भिक्षु विश्वजीत ने बताया कि 1907 में भिक्षु कृपाशरण महास्थविर की गौतम बुद्ध मार्ग पर स्थापित बौधिसत्व विहार गौतम बुद्ध मंदिर में बर्मा की अष्टधातु की 3.5 फिट की बुद्ध प्रतिमा और बर्मा की ही सफेद पत्थर की बौद्ध प्रतिमा का सौंदर्य देखते ही बनता है।
बौधिसत्व विहार गौतम बुद्ध मंदिर में जापान से आई लकड़ी की प्रतिमा भी स्थापित है। इनके दर्शन करते हुए भक्तों ने वहां दीये और मोमबत्तियां जलाईं। बौधिसत्व विहार गौतम बुद्ध मंदिर को इस भव्य समारोह के लिए भव्य रूपसे सजाया गया था। समारोह में भिक्षुओं को बर्मा, श्रीलंका और थाईलैंड से आए चीवर भेंट किए गए। समारोह के लिए बौद्ध अनुयायियों ने श्रीलंका से आए तथागत के धर्म ध्वज भी भेंट किए। इस अनुष्ठान में श्रीलंका, बर्मा और थाईलैंड से भी भिक्षु शामिल हुए।