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Saturday 1 December 2018 02:29:22 PM
लखनऊ। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एनवायरमेंटल बॉटनिस्ट्स यानी आईएसईबी और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ का चार दिवसीय पौधों एवं पर्यावरणीय प्रदूषण पर छठा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के अंतिम दिन जैव-विविधता: पूर्वेक्षण एवं संरक्षण तथा पर्यावरण एवं पौधों से संबंधित समकालीन मुद्दे जैसे विषयों पर सत्र हुए, जिनमें कुल मिलाकर 3 प्रमुख व्याख्यान एवं 21 प्रस्तुतियों पर चर्चा हुई। सम्मलेन में कुल मिलाकर भिन्न-भिन्न विषयों पर आधारित 8 सत्रों में तीन विशिष्ट व्याख्यान, 174 मौखिक प्रस्तुतियां एवं पोस्टरों के माध्यम से 239 शोध कार्य प्रस्तुत किए गए। पोस्टरों की प्रस्तुति पर प्रत्येक सत्र में सर्वोत्कृष्ट पोस्टर प्रस्तुति हेतु एक विजेता एवं एक उपविजेता को पुरस्कृत किया गया।
वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने संगोष्ठी में पौधों के उपयोग से पर्यावरणीय प्रदूषण से निपटने के लिए जो मुख्य सुझाव दिए वे ये हैं-पर्यावरण में अधिक से अधिक पौधों, विशेषकर गहरी जड़ों वाले पौधों को बनाए रखना। जैव-विविधता क्षरण को कम करने एवं इसके संरक्षण हेतु रणनीतियां बनाना। पर्यावरण, कृषि एवं मानव स्वास्थ्य हित में भूमि एवं फसलों में आर्सेनिक का स्तर मान्य सीमा तक बनाए रखने हेतु रणनीतियों का विकास। पादप एवं सूक्ष्मजीव आधारित लागत प्रभावी प्रदूषण उन्मूलन रणनीतियों का आंकलन एवं कार्यान्वयन। सम्मेलन में 14 देशों के 35 शोधकर्ताओं के एक संघ की स्थापना हुई, जिनमें चीन, भूटान, नेपाल, ईरान, वियतनाम, अल्जीरिया, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्वीडन, पुर्तगाल, इटली, मेक्सिको एवं संयुक्त राज्य अमरीका शामिल हैं।
भारत सहित चौदह देशों का यह संघ मुख्य रूपसे ओक वृक्षों एवं वनों पर द्विपक्षीय अथवा बहुपक्षीय शोध एवं विकास परियोजनाओं का विकास करेगा और साथ ही ओक वनों पर शोध हेतु विभिन्न देशों के मध्य युवा शोधार्थियों के आदान प्रदान में सहयोग एवं उसे बढ़ावा देगा। प्रभारी वैज्ञानिक पीए शिर्के ने बताया कि सम्मेलन में युवा विज्ञानियों की और वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिकों की उत्साहजनक भागीदारी रही। सम्मेलन के निष्कर्ष पर्यावरण प्रदूषण की समस्या के समाधान में बहुत उपयोगी होंगे।