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Tuesday 5 February 2019 05:58:44 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में संभवतः पहलीबार संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी हुई, जिसमें विधानसभा की कार्यवाही कवर करने वाले पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था, जिनके बीच राज्यपाल राम नाईक, विधानसभाध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संसदीयकार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा समाचार संकलन और लेखन पर विधानसभा की उच्च अनुकरणीय परंपराओं, नियमावली और मीडिया दृष्टांतों के साथ प्रेरणात्मक संवाद स्थापित किया। संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी में पधारे पत्रकारों ने भी विधानसभा समाचार संकलन के तरीकों, अपने अनुभव और मर्यादाओं के अनुपालन पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर हुई इस संगोष्ठी में बड़ी संख्या में पत्रकार आए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उद्घाटन भाषण में कहा है कि लोकतंत्र और समाज में मीडिया की बड़ी भूमिका है, यह भूमिका सकारात्मक ही हो सकती है। उन्होंने कई उदाहरणों के साथ कहा कि लेखनी के माध्यम से किसी भी सकारात्मक भाव को लाखों, करोड़ों व्यक्तियों का सकारात्मक भाव बना देना बहुत बड़ी बात है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। मुख्यमंत्री ने विधानभवन के तिलक हाल में संवैधानिक संस्थाओं के सशक्तिकरण में संसदीय पत्रकारिता की भूमिका पर उत्तर प्रदेश विधानसभा की संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष एवं उनके सचिवालय को साधुवाद दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कार्यशाला लोकतंत्र के लिए शुभ है, भारतीय संसदीय लोकतंत्र के तीन स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका हैं, चौथे स्तम्भ के रूपमें पत्रकारिता इनसे स्वतः ही जुड़ जाती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ को नजरअंदाज़ करने पर त्रिशंकु की स्थिति हो जाती है और त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता है कोई वजूद नहीं होता है, लोकतंत्र को त्रिशंकु नहीं होने देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया में नियमों के अंतर्गत चर्चा होती है, यदि नियमों का पालन करते हुए संसदीय प्रक्रिया चले, तो सभी का पक्ष प्रभावी ढंग से आ सकता है। उन्होंने कहा कि विधायिका में उठने वाले मुद्दे सकारात्मक ढंग से बाहर आने पर जनांदोलन बन जाते हैं, किंतु जब यह आवाज़ बाहर नहीं पहुंचती तो मानवता उससे लाभांवित होने से वंचित रह जाती है, विधायिका के अंदर की सकारात्मक चर्चा को आमजन तक पहुंचाने का दायित्व संसदीय पत्रकारिता का है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय परम्परा और पाश्चात्य परम्परा में मूलभूत अंतर है, भारतीय परम्परा का लेखन एवं साहित्य सुखांत और प्रेरणादायी होता है, जबकि पाश्चात्य जगत का लेखन दुखांत होता है, जिससे निराशा और हताशा आती है, यह लोगों को राह न दिखाकर अंधेरी गली में ले जाता है। उन्होंने कहा कि भारत की रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टि को संकुचित दृष्टि से नहीं समझा जा सकता, सकारात्मक दृष्टि सदैव मार्ग प्रशस्त करती है, सकारात्मक पत्रकारिता जन-जन की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सकती है, यह विकास योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने का माध्यम बन सकती है। मुख्यमंत्री ने एक विद्यालय के पुनरुत्थान के सम्बन्ध में मीडिया की एक सकारात्मक रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कहा कि रचनात्मक पत्रकारिता से लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव लाया जा सकता है। प्रयागराज कुम्भ-2019 एवं वाराणसी में 15वें प्रवासी भारतीय दिवस के सफल आयोजन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इन आयोजनों को उत्तर प्रदेश की छवि को बेहतर करने के अवसर के तौर पर लिया, इस कार्यक्रम को मीडिया का सकारात्मक सहयोग मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 जनवरी 2019 से लेकर गत रविवार तक कुम्भ में 7-8 करोड़ लोगों ने स्नान किया है, मौनी अमावस्या पर्व पर लगभग और 3 करोड़ लोगों ने स्नान किया। उन्होंने कहा कि कुम्भ का सफल आयोजन प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है और कुम्भ के पश्चात उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर होगा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुम्भ-2019 का सफल आयोजन प्रदेश की छवि को बदलने, युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा करने एवं पर्यटन को नया आयाम देने का माध्यम है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने संगोष्ठी के विषय का परिचय देते हुए कहा कि भारत ने संसदीय जनतंत्र अपनाया, जनतंत्र हमारी जीवनशैली, हमारा आचार एवं व्यवहार शास्त्र है। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद से पहले भी जनतंत्र था, भारत में आध्यात्मिक जनतंत्र भी देखा जाता है, हमारा जनतंत्र सदनों के माध्यम से संचालित होता है, जिसकी जानकारी संसदीय पत्रकारिता के माध्यम से आमजन तक पहुंचती है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकारों के संसदीय पत्रकारिता पर प्रबोधन का सभी को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जीवन में कृष्ण और शुक्ल पक्ष आते हैं, वैसा ही सदन में भी होता है। उन्होंने आग्रह किया कि संसदीय पत्रकारिता के माध्यम से भी सदन के अमावस और पूर्णिमा दोनों पक्षों को आमजन के सामने आना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का संसदीय पत्रकारिता पर संगोष्ठी का आयोजन एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह आयोजन संसदीय लोकतंत्र और पत्रकारिता जगत दोनों के लिए उपयोगी होगा और इसके निष्कर्ष सभी का मार्गदर्शन करेंगे। संगोष्ठी के सूत्रधार प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दूबे ने संगोष्ठी के दोनों सत्रों का संचालन किया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विधानसभा की कार्यवाही कवर करने वाले पत्रकारों का विधानसभा को सराहनीय सहयोग मिलता है और इस संगोष्ठी में आए विचारों और सुझावों से दोनों पक्षों को और ज्यादा सहजता प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस प्रकार की संगोष्ठियों का आयोजन होता रहेगा। संगोष्ठी के पहले सत्र में सूचना राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी, समाजवादी पार्टी के नेता इकबाल महमूद, बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा, अपना दल के नेता नीलरतन सिंह पटेल ‘नीलू’ भी उपस्थित थे।
मीडिया के शब्द दस्तावेज़ बनते हैं-राज्यपाल
संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी के दूसरे और अंतिम सत्र में राज्यपाल राम नाईक पधारे। राज्यपाल ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि सदन की रिपोर्टिंग प्रदेश का दर्पण है, जो भी सदन में हो रहा है, मीडिया उसे जनता तक ले जाने का कार्य करती है, इस दर्पण में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दिखाई दें, इसकी खबर में यह सच्चाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य का वृत्त और टिप्पणी दो अलग-अलग बात हैं, सदन की सकारात्मक खबर अच्छी तरह, पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत की जानी चाहिए, इससे रिपोर्टिंग की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और सदन के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। उन्होंने मीडिया से कहा कि आपके शब्द दस्तावेज़ बनते हैं। राम नाईक ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है, देश में संसद से लेकर ग्राम पंचायत तक के प्रतिनिधि हैं, जनतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों महत्वपूर्ण घटक हैं, सरकारें घोषणा पत्र के अनुसार कार्य करें और विपक्ष अपने सुझाव से कमियों को दूर करने में भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना काम करने का अवसर मिले और विपक्ष को अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाते हुए पाठकों तक बात पहुंचाए।
राज्यपाल ने कहा कि सदन में अभिभाषण पढ़ना मेरी, विधानसभा अध्यक्ष, विधायकों और पत्रकारों की परीक्षा है। उन्होंने कहा कि मुझे सदन का अनुभव है, क्योंकि मैं तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा का तथा पांच बार लोकसभा का सदस्य रहा हूं, मैंने मंत्रियों, विधायकों एवं सांसदों को प्रशिक्षण देने का भी कार्य किया है। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं का समाधान हो तो ऐसे मुद्दे को लेकर खबर बनाई जानी चाहिए, इसलिए पत्रकार प्रयास करें कि सदन की सकारात्मक खबर को ‘बेस्ट आइटम ऑफ द डे’ के रूप में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए गरिमा के विरुद्ध आचरण करते हैं। राम नाईक ने कहा कि सकारात्मक कार्य होता है तो मीडिया भी उसका समर्थन करके सकारात्मक रूपसे प्रस्तुत करती है। राम नाईक ने उल्लेख किया कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने संसद में 9.12.1991 को राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत के गायन पर चर्चा की थी, जिसके पश्चात यानी आजादी के 45 वर्ष बाद 24 नवम्बर 1992 को संसद में ‘जन-मन-गण’ और 23 दिसम्बर 1992 को ‘वंदे मातरम’ गायन की शुरूआत हुई। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार 23 दिसम्बर 1993 को सांसद निधि, 28 जुलाई 1994 को मुंबई को उसका असली नाम देना तथा 29 दिसम्बर 1992 को स्तनपान प्रोत्साहन के लिए निजी विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उनके प्रयास से कार्य हुआ। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को मीडिया ने सराहा जिससे उनकी एक अलग पहचान बनी।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने राज्यपाल राम नाईक का स्वागत करते हुए कहा कि उनका सदन में रहने का लम्बा अनुभव है, यह पहला अवसर है, जब सदन और पत्रकारिता के लोग एक साथ बैठे हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि पत्रकारिता के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं और बाद में उसका सदुपयोग भी करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के कई प्रसंग सुनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का गौरवमयी इतिहास है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल प्रतिपक्ष का हथियार है, जिसका उसे सदुपयोग करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी, मदनमोहन बहुगुणा, हसीब सिद्दीकी, पूर्व राज्यसभा सदस्य राजनाथ सिंह सूर्य, हेमंत तिवारी आदि ने संगोष्ठी में अपने अनुभव साझा किए। संगोष्ठी में समाजवादी पार्टी के नेता इकबाल महमूद और बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा का बीच-बीच में उठकर जाने का व्यवहार मीडिया को पसंद नहीं आया। इस प्रकार इन्होंने संसदीय पत्रकारिता गोष्ठी को भी एक राजनीतिक चश्मे से देखा।