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Saturday 9 February 2019 05:45:24 PM
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग में आज उत्तर प्रदेश शासन के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वावधान में व्याख्यान श्रृंखला के रूपमें 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय: एकात्म मानववाद' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर राजकुमार सिंह ने की। संगोष्ठी के शुभारंभ पर समाजकार्य विभाग के विभागाध्यक्ष एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के निदेशक प्रोफेसर गुरनाम सिंह ने शोध पीठ की स्थापना और इसके अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी दी। विश्व संवाद केंद्र लखनऊ के निदेशक और संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता अशोक सिन्हा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की अवधारणा को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया।
विश्व संवाद केंद्र लखनऊ के निदेशक अशोक सिन्हा ने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय ने कम उम्र में अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे, परंतु अपने दृढ़ निश्चय से वे जिंदगी में आगे बढ़े, सिविल परीक्षा पास की पर आम जनता की सेवा की खातिर उन्होंने इसका परित्याग कर दिया। अशोक सिन्हा ने बताया कि भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सन् 1951 में की थी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को इसका प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया, कार्यकाल के दौरान उन्होंने साप्ताहिक समाचार पत्र पांचजन्य और स्वदेश नाम से दैनिक समाचार पत्र शुरु किया था। अशोक सिन्हा ने बताया कि पंडित दीनदयाल की अवधारणा थी कि आजादी के बाद भारत का विकास का आधार अपनी भारतीय संस्कृति हो न कि अंग्रेजों की पश्चिमी विचारधारा, उनका विचार था कि प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना प्रशासन का कर्तव्य होना चाहिए।
अशोक सिन्हा ने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की अवधारणा के अनुसार मनुष्य के शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एक एकीकृत कार्यक्रम है और भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूपमें पश्चिमी अवधारणाओं जैसे व्यक्तिवाद, समाजवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद पर निर्भर नहीं हो सकता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर राज कुमार सिंह ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया और कहा कि समाजकार्य के विद्यार्थियों को महापुरुषों की अवधारणाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। संगोष्ठी का संचालन डॉ अनूप कुमार भारतीय ने किया। संगोष्ठी में विभाग के शिक्षक डॉ डीके सिंह, डॉ राकेश द्विवेदी, डॉ रुपेश कुमार और विभाग की छात्रा डॉ अनम खान एवं तंजीला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।