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Saturday 13 April 2019 04:12:25 PM
लखनऊ। सीएसआईआर-एनबीआरआई लखनऊ में चल रहे समर प्लांट साइंस फेस्ट के दूसरे दिन शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दीं। दूसरे दिन की मुख्य अतिथि के रूपमें बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली की प्रबंध निदेशक डॉ पूर्णिमा शर्मा मौजूद थीं, जबकि समर प्लांट साइंस फेस्ट में गणमान्य अतिथि के रूपमें डॉ सुचिता मारकन सहायक महाप्रबंधक बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली ने प्रतिभाग किया। समर प्लांट साइंस फेस्ट में डॉ पूर्णिमा शर्मा ने अपने व्याख्यान में नव अन्वेषकों हेतु स्टार्ट अप शुरू करने एवं विभिन्न तकनीकों एवं प्रौद्योगिकियों को बाज़ार तक पहुंचाने के संबंध में विभिन्न स्तरीय जानकारियां दीं। उन्होंने इस दिशा में बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया की प्रदान की जाने वाली सहायता के विषय में भी बताया।
डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि कोई भी उत्पाद या तकनीक तभी सफल हो सकती है, जब किसी समस्या को ध्यान में रखते समाधान की तलाश की जाए और समय-समय पर उत्पाद, तकनीकी अथवा प्रौद्योगिकी में सुधार के प्रयास भी किए जाएं। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं द्वारा स्टार्ट अप्स को दी जाने वाली आर्थिक सहायता का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्तमान समय में अच्छे आईडिया के आधार पर भी फंड उपलब्ध हो जाते हैं जिनका युवा वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं को फायदा उठाना चाहिए। इस अवसर पर डॉ शुचिता मारकन ने तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के निर्माण से लेकर उसके विपणन तक विभिन्न अवस्थाओं की जानकारी दी एवं इस दौरान आने वाली समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एसके बारिक ने वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं का आह्वान किया कि वे यहां से प्राप्त की गईं जानकारियों का भरपूर उपयोग करने का प्रयास करें और समाज की समस्याओं को पहचानते हुए उनके समाधान की दिशा में निरंतर प्रयास जारी रखें। इससे पूर्व चार सत्रों में प्रतिभागियों ने 25 प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम की संयोजक डॉ विधु साने ने बताया कि इसी क्रम में अगले दिन शोधकर्ताओं ने 12 शोध प्रस्तुतीकरण किए एवं उनकी बनाई लघु विज्ञान फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया। संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक प्रमोद शिर्के ने बताया कि शोधार्थियों ने विषय विशेषज्ञों से उपयोगी जानकारियां हासिल कीं। समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर आलोक धवन निदेशक सीएसआईआर-आईआईटीआर लखनऊ थे।
प्रोफेसर आलोक धवन ने अपने व्याख्यान में पौधों में विषाक्तता पर चर्चा करते हुए विभिन्न पौधों में पाए जाने वाले विषैले तत्वों की जानकारी दी। उन्होंने विज्ञान द्वारा ऐसे तत्वों की पहचान कर आम जन को जागरूक करने की जरूरत पर बल दिया, ताकि अनजाने में किसी विषाक्त पौधे के सेवन से होने वाले नुकसानों से बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके। उदहारण के तौर पर उन्होंने कच्ची लीची में पाए जाने विषाक्त तत्वों के कारण इनके सेवन से बच्चों में जानलेवा बीमारी की घटनाओं की जानकारी दी और उससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए कच्ची लीची का भोजन में प्रयोग न करने की वैज्ञानिक सलाह और जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागिता करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र भी वितरित किए।