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Thursday 21 March 2013 05:13:04 AM
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री खिलराज रेग्मी से आशा की जा रही है कि नेपाल में चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक विफलताओं का एक दौर खत्म होगा और नेपाल स्थिर राजनीति की तरफ बढ़ेगा। नेपाल में जबसे लोकतंत्र आया है, तबसे नेपाल की स्थिति में कोई ऐसा सुधार नहीं देखा गया है, जो नेपाल की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता हो। माना जाता है कि यदि यहां बड़े पैमाने पर ग़रीबी है तो राजनीतिक मत भिन्नता भी बड़ी समस्या है। नेपाल को इस वक्त विकास और दूसरों की अनवरत सहायता की आवश्यकता है। नेपाल के लोकतांत्रिक आंदोलनों के भटकाव से उत्पन्न स्थितियों पर काबू पाना नेपाल के नए प्रधानमंत्री की चुनौतियों में से एक है।
नेपाल और भारत एक दूसरे की संस्कृति के जहां अत्यंत करीब हैं, वहीं दोनो के सभी प्रकार के हित समान माने जाते हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत के लिए नेपाल का काफी महत्व है। भारत की शिकायत है कि नेपाल के रास्ते मादक पदार्थों की तस्करी, पाकिस्तानी आतंकवादियों की आवाजाही और नकली नोटों के प्रचलन को नेपाल में संरक्षण मिलता है। नेपाल के नए प्रधानमंत्री के सामने यह बहुत बड़ा मसला है, जो दोनों देशो के बीच सामान्य और मित्रता पूर्ण संबंधों की एक बाधा माना जाता है। नेपाल संधि और पानी का मुद्दा भी एक विवाद का विषय है। नेपाल के प्रधानमंत्री के लिए भारत के संदर्भ में ये ऐसी प्राथमिकताएं हैं जिनका नेपाल में प्रशासनिक और राजनीतिक स्थिरता से गहरा संबंध है। नेपाल के नए प्रधानमंत्री खिलराज रेग्मी से भारत को अच्छे संबंधों के निमार्ण की बहुत आशाएं हैं।
नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और नए प्रधानमंत्री खिलराज रेग्मी की शिक्षा का भारत से भी गहरा संबंध है। प्रवेसिका की शिक्षा तो उन्होंने बनारस से ही हासिल की है। नेपाल में पाल्पा जिले के पोखराथोक गाविस वार्ड नेपाल के नए प्रधानमंत्री खिलराज रेग्मी का जन्म स्थान है। त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर रेग्मी ने कानून में भी स्नातक किया है। न्यायिक सेवा मे प्रवेश करके खिलराज रेग्मी जिला न्यायाधीश और नेपाल में विभिन्न न्यायिक पदों पर रहने के बाद नेपाल की सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश हुए। नेपाल में न्यायिक सुधारों के लिए उन्होंने बहुत काम किया। देवानी संहिता उन्ही के नेतृत्व में तैयार की गई। तराई मधेस घटना के संबंध में गठित उच्चस्तरीय न्यायिक जांच समिति के वे अध्यक्ष भी रहे। सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रामप्रसाद श्रेष्ठ के अनिवार्य अवकाश पाने के बाद खिलराज रेग्मी प्रधान न्यायाधीश पद पर पदोन्नत हुए।
प्रधान न्यायाधीश रेग्मी के ही इजलास ने संविधान सभा की तिथि मनपरी नहीं बढ़ाने का भी फैसला किया था। सर्वोच्च के इसी फैसले के कारण संविधान सभा का विघटन हो गया था। पिता ढुंडिराज रेग्मी के ज्येष्ठ पुत्र के रुप मे पैदा हुए खिलराज दो भाई और 4 बहनों के भाई हैं। नेपाल राष्ट्रीय जनता प्राथमिक विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करके रेग्मी आगे के अध्ययन के लिए भारत के बनारस शहर में रहे। बनारस से प्रवेसिका परिक्षा पास करके वे फिर पोखराथोक वापस आ गए। रेग्मी ने स्थानीय विष्णु आवासीय विद्यालय मे करीब दो वर्ष प्रधानाध्यापक के रूप में काम किया। यह विद्यालय अभी भी विष्णु उच्च माध्यामिक विद्यालय के रुप में संचालित है। शांता रेग्मी के साथ वे विवाह बंधन मे बंधे। उनके दो पुत्र और एक पुत्री है। उनका एक पुत्र और एक पुत्री अभी अमेरिका में हैं।