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Thursday 13 June 2019 12:44:20 PM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के संकल्प के साथ जनता से वादे पूरे करते हुए मुस्लिम महिला विवाह अधिकारों की रक्षा विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक दूसरे अध्यादेश-2019 के अध्यादेश 4 का स्थान लेगा। यह मुस्लिम महिलाओं को लिंग समानता प्रदान करेगा और उनके साथ न्याय सुनिश्चित करेगा। यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में मदद करेगा और उनके पति द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ से तलाक लेने से रोकेगा। मुस्लिम महिला अधिकार रक्षा विधेयक संसद के अगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
मुस्लिम महिला विवाह अधिकारों की रक्षा विधेयक-2019 में तीन तलाक की परिपाटी को निरस्त कर उसे गैर-कानूनी घोषित किया गया है। इसे तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध माना गया है। इसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं और उनके आश्रित बच्चों के लिए गुजारा-भत्ता देने की व्यवस्था है। इस विधेयक में अपराध को संज्ञेय बनाने का प्रस्ताव है, यदि पुलिस थाने के प्रभारी को उस विवाहित मुस्लिम महिला अथवा उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा अपराध होने के संबंध में सूचना दी जाती है, जिसे तलाक दिया गया है। जिस विवादित मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया है, उसकी जानकारी के आधार पर मजिस्ट्रेट की इजाजत से अपराध को कठोर बनाया गया है। विधेयक में मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को जमानत पर रिहा करने से पहले उस विवाहित मुस्लिम महिला की बात सुनने का प्रावधान किया गया है, जिसे तलाक दिया गया है। गौरतलब है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकारों की रक्षा विधेयक 2019 मुस्लिम महिला विवाह अधिकारों की रक्षा दूसरे अध्यादेश 2019 के अध्यादेश 4 के समान है।