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Thursday 13 June 2019 02:11:17 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 को स्वीकृति दे दी है। संसद के अगले सत्र में दोनों सदनों में यह विधेयक लाया जाएगा। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का यह निर्णय सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास के प्रति समर्पित जन कल्याणकारी सरकार के विजन को दिखाता है। इस कदम से जम्मू और कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को राहत मिलेगी। अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोग प्रत्यक्ष भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश में लाभ उठा सकते हैं। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य विधानसभा की शक्तियां संसद में निहित होती हैं, इसलिए जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश-2019 के स्थान पर विधेयक लाने का निर्णय लिया गया है, जो संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।
नया विधेयक जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम-2004 में संशोधन द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश-2019 का स्थान लेगा और यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों के समान आरक्षण के दायरे में लाएगा। जम्मू और कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम-2004 तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के निवासियों सहित विभिन्न श्रेणियों के लिए प्रत्यक्ष भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण का प्रावधान करने वाले नियम-2005 में शामिल नहीं किया गया था, इसलिए लंबे समय से उन्हें इसके लाभ नहीं मिल रहे थे।
सीमापार से लगातार तनाव, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक पिछड़ापन तथा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी के कारण यहां के निवासी सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए बाध्य होते रहे हैं, इससे उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि वहां शैक्षणिक संस्थान लंबे समय तक बंद रहे। इसीलिए यह महसूस किया गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तरह ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी आरक्षण के लाभ का विस्तार किया जाए।