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Friday 22 March 2013 07:33:18 AM
नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा तीरथ ने लोकसभा में बताया है कि सुधार स्कीम के अंतर्गत कार्यांवयन एजेंसियां, जो मुख्यरूप से गैर-सरकारी संगठन हैं, सुधार गृहों में रहने वाली महिलाओं के आर्थिक पुनर्वास के लिए प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। वर्ष 2007 में सुधार स्कीम और अल्पावास गृह स्कीम के निष्पादन का मार्केट-रिसर्च और सामाजिक विकास केंद्र नई दिल्ली के माध्यम से एक मूल्यांकन अध्ययन करवाया गया। अध्ययन में अन्य बातों के साथ-साथ यह कहा गया कि व्यवसायिक प्रशिक्षण ने निराश्रित महिलाओं की काफी हद तक सहायता की है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि अल्पावास गृहों में पुनर्वासित महिलाओं का 65 प्रतिशत है और सुधार गृहों में रहने वाली 72.2 प्रतिशत महिलाएं घर छोड़ने के बाद कार्य कर रही हैं।
गृहों में चल रहे व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को घरों के बाहर स्थापित अन्य संगठनों में प्राप्त प्रशिक्षण सुविधाओं से संपर्क बनाए रखना चाहिए। सरकार की ओर से कार्यांवित विभिन्न व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुविधाओं का लाभ उठाया जाना चाहिए। सुधार गृहों के कार्यों में सुधार लाने के लिए, वहां रहने वाली महिलाओं ने प्रशिक्षण में गुणवत्ता, अन्य एजेंसियों की आर्थिक और अधिक मनोरंजन की सुविधाएं, स्वरोज़गार के लिए उपाय तथा चिकित्सा सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सुझाव दिए हैं। अल्पावास गृहों के कार्यकलापों में सुधार लाने के लिए आवासियों के मुख्य सुझावों में और अधिक मनोरंजन की सुविधाएं, पुलिस संरक्षण और प्रशिक्षण में गुणवत्ता प्रदान करना था।
सरकार ने वित्तीय मानकों को बढ़ाते हुए मौजूदा सुधार और अल्पावास गृह स्कीमों को मिलाकर एक नई स्कीम सुधार गृह बनाई है। इसमें भोजन प्रभारों में प्रति लाभार्थी, प्रत्येक माह 500 रुपए से बढ़ाकर 1200 रुपए करना शामिल है। दवाइयों पर खर्च भी प्रतिमाह प्रति लाभार्थी 25 रूपए से बढ़ाकर 200 रूपये कर दिया गया है। सुधार गृह की संशोधित स्कीम के अंतर्गत, पुनर्वास की सुविधा देने तथा श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अंतर्गत रोज़गार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय से मान्यता प्राप्त व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से महिला लाभार्थियों को व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रबंध किए गए हैं, जिसमें प्रति आवासी 1800 रुपए के शुल्क की प्रतिपूर्ति का प्रावधान है।