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Friday 20 September 2019 03:07:35 PM
बेंगलुरु। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को और अधिक अनुसंधान, विकास, नवोन्मेष और आधुनिक तकनीक की आवश्यकता है। रक्षामंत्री ने बेंगलुरु में इंजीनियर्स कॉन्क्लेव-2019 के 7वें संस्करण का उद्घाटन पर यह बात कही। इस वर्ष की बैठक दो विषयों पर आधारित है-‘रक्षा टेक्नोलॉजी और नवोन्मेष’ और ‘डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ग्रामीण भारत में परिवर्तन’। रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग ने अतीत में अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है, जिसके कारण आयातित हथियारों पर देश की निर्भरता बढ़ गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महत्वपूर्ण और आधुनिक प्रौद्योगिकी को देश में ही विकसित करने से देश आत्मनिर्भर बनेगा, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी और जिसका उपयोग देश में अन्य विकास कार्यों में किया जा सकता है। उन्होंने निरंतर होने वाले नव परिवर्तन को किसी भी राष्ट्र के लिए सफलता की कुंजी बताया, उन्होंने कहा कि तेजगति से हर बीतते हुए दिन के साथ प्रौद्योगिकी पुरानी हो जाती है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह सही है कि जब देश युद्ध पर जाते हैं तो वही विजयी होता है, जिसके पास सबसे अच्छी तकनीक होती है। रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की आवश्यकता पर जोर देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि एआई भविष्य में सैन्य संचालन के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाने के लिए सरकार ने एक रोडमैप तैयार किया है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष पर जोर दिया गया है, क्योंकि आम जनता को इसका बहुत बड़ा लाभ है। इस दिशा में सरकार की पहलों को सूचीबद्ध करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, स्टार्ट अप, व्यक्तिगत अन्वेषक और अनुसंधान और विकास संस्थानों सहित उद्योगों ने रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस योजना शुरु की है। नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि एमएसएमई और स्टार्टअप कंपनियों को अवसर दिए जा रहे हैं और स्टार्टअप इंडिया नए विचारों को आला तकनीक में बदलने और उसके उपयोग के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है।
राजनाथ सिंह ने भारत को 2024 तक पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और बाद में 2030 तक 10 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि रक्षा प्रमुख क्षेत्र है, जिसे विकास के इस स्तर की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देना है। उन्होंने 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं एवं सेवाओं में 26 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार हासिल करने की उम्मीद जताई, जिससे लगभग 2-3 मिलियन लोगों को रोज़गार मिलेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषिमंत्री के रूपमें अपने पिछले कार्यकाल में‘डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से ग्रामीण भारत में परिवर्तन' के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को ग्रामीण भारत की चिंताओं को ध्यान में रखकर प्रतिपादित किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत के समग्र विकास के लिए गांवों का परिवर्तन बुनियादी आवश्यकता है।
रक्षामंत्री ने ग्रामीण भारत में रहने वाले किसानों और लोगों के जीवन को बदलने के लिए सरकार के संकल्प को एकबार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन को लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन-धन, आधार और मोबाइल की त्रिमूर्ति पर सही तरीके से जोर दिया है। उद्घाटन समारोह में रक्षा विभाग, अनुसंधान और विकास के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के अध्यक्ष डॉ सनक मिश्रा और डीआरडीओ, इसरो, डीपीएसयू के अधिकारियों, शिक्षाविदों और उद्योगों के अधिकारी मौजूद थे। इंजीनियर्स कॉन्क्लेव का आयोजन आईएनएई ने सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्न रक्षा उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के सहयोग से 19-21 सितंबर 2019 तक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स अकादमी फॉर एक्सीलेंस बेंगलुरु में किया है।