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Friday 6 December 2019 04:53:03 PM
माउंट आबू। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज माउंट आबू राजस्थान में ब्रह्मकुमारी मुख्यालय में 'सामाजिक परिवर्तन के लिए महिलाओं के सशक्तिकरण' पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सम्मेलन के विषय को बहुत प्रासंगिक बताते हुए कहा है कि ब्रह्मकुमारी सही मायने में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यकर रही हैं। उन्होंने कहा कि समानता और सद्भाव पर आधारित समाज का निर्माण केवल महिलाओं को सशक्त बनाने से ही संभव है। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा एक बहुत गंभीर मुद्दा है, इस बारे में बहुत काम किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि लड़कियों पर आसुरी हमलों की घटनाएं देश की अंतरात्मा को झकझोर देती हैं, प्रत्येक माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान के संस्कारों का संचार करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आध्यात्म पर आधारित व्यक्तिगत परिवर्तन द्वारा मानवता के नवनिर्माण में संलग्न ब्रह्मकुमारी संस्थान आज विश्वपटल पर प्रभावी भूमिका निभा रहा है, इस कार्यक्रम में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है। समारोह में हजारों की संख्या में राजयोगिनी महिलाएं देखकर राष्ट्रपति ने कहा कि यह पूरे विश्व के लिए महिला नेतृत्व की मिसाल है। उन्होंने कहा कि लगभग 80 वर्ष पूर्व इस ईश्वरीय संस्था को आरंभ करने वाले दादा लेखराज जी, जो ब्रह्मा बाबा के नाम से विख्यात हैं, पहले एक सफल उद्यमी थे, जिनका हीरे-जवाहरात का व्यापार था। उन्होंने कहा कि जौहरी तो हीरों का पारखी होता है, वह अनगढ़ पत्थरों को तराश-तराश कर चमकदार हीरों का रूप देता है, मैं समझता हूं कि ब्रह्मा बाबा ने आजीवन इंसानों को तराशने का काम किया, आज यहां सभी ब्रह्माकुमारियों के रूपमें प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की सोच से तराशे हुए हजारों महिलारत्न उपस्थित हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 104 वर्ष की दादी जानकी का आशीर्वाद इस संस्थान को और पूरे समाज को मिलता रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि दादी का पूरा जीवन ईश्वरीय सत्ता के निमित्त मानवता की सेवा के प्रति समर्पित रहा है, यह भी उल्लेखनीय है कि स्वच्छ भारत के राष्ट्रीय अभियान में दादी जानकी ‘स्वच्छता एम्बेसडर’ रही हैं। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष राष्ट्रपति भवन में बीके शिवानी को ‘नारी शक्ति सम्मान’ से सम्मानित किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि कभी-कभी मुझे टीवी पर उनका कार्यक्रम देखने का अवसर मिल जाता है, मैंने उस कार्यक्रम में इंसान के सामान्य व्यवहार के दौरान उपजे मनोभाव का बड़ी बारीकी से विश्लेषण करने की योग्यता इस बेटी में देखी है। उन्होंने कहा कि संभवतः यह महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली विश्व में सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है, ब्रह्माकुमारियों को आगे और सहयोगी ब्रह्माकुमारों को नेपथ्य में रखकर आध्यात्मिक उत्थान एवं सामाजिक परिवर्तन का एक आदर्श पूरी मानवता के सम्मुख प्रस्तुत किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि नारी शक्ति के विभिन्न आयामों के समुचित उपयोग, महिलाओं के आत्मसम्मान और गरिमा को सुनिश्चित करने में आध्यात्म की भूमिका तथा भारत की आध्यात्मिक संस्कृति के संरक्षण में महिलाओं की ज़िम्मेदारी से जुड़े विषयों का इस सम्मेलन के लिए चयन करने के पीछे सोच गहरी भी है और दूरगामी भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समानता के लिए, विशेषकर वंचित वर्गों और महिलाओं के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी भारतरत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर का आज परिनिर्वाण दिवस है। उन्होंने कहा कि उल्लेखनीय है कि बाबासाहब ने महिलाओं कोसमान अधिकार दिलाने के पक्ष में केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था, वे महिलाओं के सशक्तिकरण को सदैव प्राथमिकता देते थे। राष्ट्रपति ने कहा कि सब लोग मानते हैं कि शिक्षा सशक्तिकरण का आधार है, महात्मा गांधी ने कहा था कि जब तक राष्ट्र की जननी स्वरूप हमारी स्त्रियां ज्ञानवान नहीं होतीं और उन्हें स्वतंत्रता नहीं मिलती तथा उनसे संबंधित क़ानूनों, रिवाजों और पुरानी रूढ़ियों में अनुकूल परिवर्तन नहीं किए जाते तब तक राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि आज भी हमारे देश में महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है, लेकिन यह प्रसन्नता की बात है कि बालिकाओं की शिक्षा को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत कन्याभ्रूण हत्या तथा बालविवाह रोकने, स्कूलों में बेटियों की संख्या बढ़ाने, शिक्षा के अधिकार के नियमों को लागू करने और बेटियों के लिए स्कूलों में शौचालयों का निर्माण करने से छात्राओं को सहायता मिली है।
उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक सत्य है कि जब आप एक बालक को शिक्षित बनाते हैं तो उसका लाभ एक परिवार को मिलता है, लेकिन जब आप एक बालिका को शिक्षित बनाते हैं तो उसका लाभ दो परिवारों को मिलता है, शिक्षित महिलाएं अपनी अगली पीढ़ी का बेहतर निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि नारी विकास केंद्रित योजनाओं से ‘चाइल्ड सेक्स रेशियो’ में सुधार हो रहा है और इस सुधार के लिए हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को भारत सरकार ने सम्मानित किया है, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 1000 बेटों पर 1003 बेटियां पैदा होना एक सुखद सामाजिक स्थिति है। राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के समग्र विकास के लिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण भी जरूरी है, इस दिशा में जनधन योजना कारगर साबित हुई है, जिसमें करोड़ों खातों में से 52 प्रतिशत खाते महिलाओं के नाम पर हैं, इसी प्रकार उद्यमिता एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों से महिलाओं को आर्थिक रूपसे आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में बढ़ोतरी हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि संस्थान के तकरीबन 8,000 केंद्र लगभग 140 देशों में सक्रिय हैं, संयुक्त राष्ट्र के ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ को हासिल करने में आप सबकी भागीदारी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज की चुनौती का सामना करने, पर्यावरण के हित में काम करने तथा महिलाओं के सशक्तिकरण के कार्यक्रमों के जरिए बहनें विश्वस्तर पर अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में देशभर में फैले ब्रह्मकुमारी नेटवर्क से अमूल्य योगदान मिल सकता है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के सार्थक उपयोग के अतुलनीय उदाहरण के रूपमें इस संस्थान ने पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है और मुझे विश्वास है कि आध्यात्म द्वारा मानव कल्याण का आप सबका प्रयास निरंतर मजबूत होता रहेगा, इस प्रकार सबके प्रयासों के बल पर सम्पूर्ण मानव समाज, आध्यात्मिक ज्ञान और सामाजिक समरसता से समृद्ध होता रहेगा।