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Saturday 14 December 2019 06:11:44 PM
कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय गंगा परिषद को गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का समग्र उत्तरदायित्व भी सौंप दिया गया है। परिषद की प्रथम बैठक का उद्देश्य संबंधित राज्यों के सभी विभागों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रालयों में गंगा केंद्रित दृष्टिकोण के महत्व पर विशेष रूप से ध्यान देना शामिल है। बैठक में जल शक्ति, पर्यावरण, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शहरी मामलों, विद्युत, पर्यटन, नौवहन मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्रियों और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल से कोई प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित नहीं था, जबकि झारखंड से किसी प्रतिनिधि ने राज्य में जारी चुनाव और आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इसमें भाग नहीं लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता, अविरलता और निर्मलता पर ध्यान केंद्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने विचार-विमर्श में कहा कि माँ गंगा भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है और इसके कायाकल्प को सहयोगात्मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूपमें देखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा का कायाकल्प देश के लिए दीर्घकाल से लंबित चुनौती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2014 में 'नमामि गंगे' का शुभारंभ करने के पश्चात इस दिशा में बहुत कुछ किया है, जो प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण और कायाकल्प, कागज़ मिलों से रद्दी को पूर्ण रूपसे समाप्त करने और चमड़े के कारखानों से होने वाले प्रदूषण में कमी जैसी उपलब्धियों को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न सरकारी प्रयासों और गतिविधियों को एकीकृत करने की एक व्यापक पहल के रूपमें परिलक्षित है, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रथम बार केंद्र सरकार ने पांच राज्यों जिनसे होकर गंगा की धारा बहती है, गंगा नदी में पर्याप्त जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए 2015-20 की अवधि हेतु 20,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। नवीन अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब तक 7700 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि निर्मल गंगा के एक सुधारात्मक प्रारूप के लिए जनता से भी व्यापक स्तर पर पूर्ण सहयोग के साथ-साथ राष्ट्रीय नदियों के किनारों पर स्थित शहरों में भी गंगा की स्वच्छता के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए जागरुकता के प्रसार की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि योजनाओं के त्वरित कार्यांवयन के लिए एक प्रभावी ढांचा प्रदान करने हेतु सभी जिलों में जिला गंगा समितियों की दक्षता में भी सुधार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने गंगा कायाकल्प परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए व्यक्तिगत, एनआरआई, कॉर्पोरेट संस्थाओं से योगदान की सुविधा हेतु स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) की स्थापना की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से 2014 के बाद से उन्हें मिले उपहारों की नीलामी और सियोल शांति पुरस्कार से प्राप्त धनराशि 16.53 करोड़ रुपये सीजीएफ के लिए भेंट स्वरूप प्रदान किए। प्रधानमंत्री ने गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ एक सतत विकास मॉडल नमामि गंगे को अर्थ गंगा में परिवर्तित करने की एक समग्र सोच विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के एक अंग के रूपमें किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिसमें शून्य बजट खेती, फलों के वृक्ष लगाने और गंगा के किनारों पर पौध नर्सरी का निर्माण शामिल है, इन कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों और पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यप्रणालियों के साथ जल से संबंधित खेलों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और शिविर स्थलों के निर्माण, साइकिल और चलने की पटरियों आदि के विकास से नदी के बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक और साहसिक पर्यटन जैसी महत्वपूर्ण पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी-पर्यटन और गंगा वन्यजीव संरक्षण एवं क्रूज पर्यटन आदि के प्रोत्साहन से होने वाली आय से गंगा स्वच्छता के लिए स्थाई आय स्रोत बनाने में मदद मिलेगी।
नमामि गंगे और अर्थ गंगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और पहलों की कार्य प्रगति और गतिविधियों की निगरानी के लिए प्रधानमंत्री ने एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिए, जिसके माध्यम से नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय दैनिक रूपसे गांवों और शहरी निकायों के डेटा की निगरानी करे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षापूर्ण जिलों की तरह गंगा के किनारों पर सभी जिलों को नमामि गंगे के अंतर्गत हो रहे प्रयासों की निगरानी के लिए एक केंद्रित क्षेत्र बनाया जाना चाहिए। बैठक से पूर्व प्रधानमंत्री ने महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद को पुष्पांजलि अर्पित की और चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय में नमामि गंगे पर किए जा रहे कार्यों और परियोजनाओं पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने अटल घाट की यात्रा भी की और सीसामऊ नाले के कार्य का भी निरीक्षण किया।