मुजफ्फर भारती
अजमेर। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर पीएस वर्मा ने कहा है कि देश के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आजाद भारत की शिक्षानीति की रचना करके शिक्षा व्यवस्था की ऐसी बुनियाद रखी, जिसके रास्ते पर चलकर देश ने न सिर्फ तरक्की की, बल्कि आज समूचे विश्व में हर क्षेत्र में भारत अपनी अलग अहमियत रखता है। उन्होंने शुक्रवार को महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति एवं मौलाना आजाद लोक कल्याण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में मौलाना आजाद की 55वीं पुण्यतिथि पर इंडिरो स्टेडियम में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था और मौलाना आजाद विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि की हैसियत से कहा कि मौलाना आजाद का जीवन दर्शन एवं शिक्षानीति भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है, स्वतंत्रता के बाद उन्होंने भारत सरकार के प्रथम शिक्षामंत्री के रूप में 11 वर्ष तक कार्य कर देश की शिक्षा व्यवस्था का बुनियादी ढांचा तैयार किया जिसमें देश में आने वाली गैर कांग्रेसी सरकारें चाह कर भी कोई बदलाव नहीं कर सकीं।
उन्होंने कहा कि यह मौलाना आजाद की सोच और मेहनत का नतीजा ही है कि देश मे 50 के दशक में ही आईआईटी, यूजीसी, सेंट्रल बोर्ड, एआईसीटीई, ललित कला अकादमी, साहित्य कला अकादमी जैसी महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना हो सकी। यह संस्थान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हुए विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने मौलाना आजाद के प्रेरक व्यक्तित्व के विषय में जन-जन को जानकारी उपलब्ध कराने की जरूरत बताई और आह्वान किया कि नई पीढ़ी को उनके आर्दर्शों को आत्मसात करना चाहिए। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में श्रमजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनंत भटनागर ने मौलाना आजाद के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं के उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी शिक्षा नीति और दर्शन वर्तमान परिवेश में भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था के मार्गदर्शक हैं। डॉ भटनागर ने कहा कि सर्व प्रथम मौलाना आजाद ने ही शिक्षा का अधिकार की वकालत की और 14 साल तक के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाया जाना सरकार का दायित्व बतलाया था।
वर्तमान केंद्र सरकार से लागू किया गया निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम मौलाना आजाद के इस सपने को साकार करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने मौलाना आजाद के सादगीपूर्ण जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी मृत्यु के समय उनके पास ना तो कोई निजी संपति थी और ना ही कोई बैंक एकाउंट।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधायक एवं बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियांवयन समिति के उपाध्यक्ष डॉ गोपाल बाहेती ने भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्थापित करने में मौलाना आजाद की अनुकरणीय पहल की सराहना करते हुए कहा कि उनका देश की अखंडता के लिए योगदान अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद ने अखंड भारत का सपना देखा था, इसीलिए देश के विभाजन को उन्होंने अंतिम सांसों तक स्वीकार नहीं किया। डॉ बाहेती ने इस अवसर पर सरकार को यह प्रस्तावित करने का निर्णय लिया कि भारत सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान मौलाना आजाद के नाम से स्थापित करें।
संगोष्ठी को पार्षद गुलाम मुस्तुफा, इरफान आजम, बातून बेगम ने भी संबोधित किया। संचालन मौलाना आजाद लोक कल्याण संस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने किया। धन्यवाद उमेश शर्मा ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डीएल त्रिपाठी, डॉ सुरेश अग्रवाल, डॉ आलोक श्रीवास्तव, डॉ मुन्नालाल अग्रवाल, विजय जैन, बलराम शर्मा, सूकेश कांकरिया, नईम खान, मौलाना जान मोहम्मद, सबा खान सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। रंगकर्मी एवं लेखक उमेश चौरसिया ने अपनी पुस्तकें शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष को भेंट कीं। कार्यक्रम में हैदराबाद में आतंकी हमले में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रधांजलि दी गई और घायलों के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना की गई।