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Friday 6 March 2020 06:01:48 PM
कोलकाता। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के नैनो मिशन के तत्वावधान में नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी पर प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र की हाल की प्रगतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकाता के बिस्वा बंगला पारंपरिक केंद्र में हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने नैनो इंडिया की उत्पत्ति को रेखांकित किया एवं कहा कि पिछले 20 वर्ष में नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन का निर्माण किया गया है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने नैनो-विज्ञान में विशेषज्ञों का एक नेटवर्क बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से सीख सके और ऊर्जा, कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य एवं इस तरह के क्षेत्रों में ज्ञान को एकीकृत कर सके।
प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि पांच एम अर्थात-यांत्रिक, सामग्री, मशीनें, विनिर्माण और जनशक्ति, समय की आवश्यकताएं हैं और हमें इन सभी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि कैसे नैनो-विज्ञान और प्रौद्योगिकी सतत विकास और नई तकनीक मशीन शिक्षण, कृत्रिम बुद्धि जैसी चुनौतियों में योगदान किया जा सके। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान को हमारे समाज के बड़े भाग से संबंधित होना चाहिए। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को डीएसडी की एक नई पहल एडब्ल्यूएसएआर में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसके माध्यम से युवा विद्वान अपने कार्य से संबंधित लोकप्रिय विज्ञान कार्यों को सामाजिक कार्यों से जोड़ सकते हैं। आईसीओएनएसएटी 2020 का आयोजन 5 से 7 मार्च के दौरान कोलकाता के एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साईंसिस ने किया है। इस आयोजन में भौतिक, रासायनिक सामग्री के साथ-साथ जैविक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक विकास के कई विषयगत विषयों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
नैनो-सामग्रियों पर मौजूदा शोध के अलावा कई उभरते क्षेत्रों जैसेकि क्वांटम मैटिरियल, ऊर्जा सामग्री और कृषि के लिए नैनो प्रौद्योगिकी को डीएसटी नैनो मिशन के चिन्हित क्षेत्रों में शामिल किया गया है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने विशेष व्याख्यान में आईसीओएनएसएटी 2020 के संरक्षक और भारतरत्न प्रोफेसर सीआरएन राव ने कहा कि नैनो विज्ञान का विभिन्न क्षेत्रों में शानदार अनुप्रयोग है। उन्होंने नैनो-चिकित्सा, कृषि, पर्यावरण और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में इसकी सफलता की कहानियों पर भी प्रकाश डाला। प्रोफेसर राव ने कहा कि नैनो विज्ञान कार्य करने के लिए एक असाधारण क्षेत्र है और इसमें समाज को लाभान्वित करने के बहुत सारे अवसर हैं। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से कुछ हटकर सोचने और भारत में कुछ विशिष्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि अगले पांच वर्ष में भारत न केवल नैनो विज्ञान ही नहीं, बल्कि सभी विज्ञानों में विश्व में सर्वोपरि हो।
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष और भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर एके सूद ने सम्मेलन के बारे में गणमान्यों को जानकारी देते हुए कहा कि सम्मेलन में नौ पूर्ण व्याख्यान और भारत से प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा आमंत्रित 36 वार्ताएं शामिल होंगी। इसके अलावा नौ मौखिक प्रस्तुतियां, 350 पोस्टर प्रस्तुतियां होंगीं। सम्मेलन में लगभग 450 प्रतिभागी शामिल हैं। उद्घाटन समारोह में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय कोट्टायम के कुलपति प्रोफेसर साबू थॉमस को नैनो विज्ञान के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मान प्रदान किया गया। आईआईटी मुम्बई के डॉ सौरभ लोढ़ा और टीआईएफआर मुंबई के डॉ विवेक पोलशेट्टीवार को नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में युवा अनुसंधान सम्मान से सम्मानित किया गया।