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पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक का कर्तव्य-नायडू

मानव ने ही सबसे ज्यादा प्राकृतिक संतुलन को हानि पहुंचाई

विश्व अर्थ दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति का जनसंदेश

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Wednesday 22 April 2020 11:06:16 AM

vice president m venkaiah naidu

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश के नागरिकों से पृथ्वी को हरा-भरा स्वच्छ ग्रह बनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि पर्यावरण संरक्षण हर एक का पुनीत नागरिक कर्तव्य है। विश्व अर्थ दिवस के अवसर पर अपने जनसंदेश में उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए और अपनी उपभोक्तावादी जीवनशैली में परिवर्तन करना चाहिए, विकास की अपनी अवधारणा पर पुनर्विचार भी करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी के अनुभव के बाद हमें अपनी विकास और आर्थिक नीतियों की नए सिरे से समीक्षा करनी चाहिए और विकास की नई अवधारणा को विकसित करना चाहिए।
कोविड-19 संक्रमण के कारण विश्वव्यापी स्वास्थ्य आपदा के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा कि लंबी अवधि की व्यापक बंदी ने पूरे विश्व को थाम सा दिया है, जिससे प्रदूषण के स्तरों में भी गिरावट देखी जा रही है और वायु भी अधिक स्वच्छ हो गई है, इसलिए हमें समझना चाहिए कि मानव ने किस हद तक प्राकृतिक संतुलन को हानि पहुंचाई है। विश्व अर्थ दिवस-2020 के विषय क्लाइमेट एक्शन की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी पिछली गलतियों से सीखना चाहिए और अपने अस्तित्व मात्र के लिए प्रकृति तथा मानव के बीच परस्पर निर्भरता को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हम एक दूसरे पर परस्पर निर्भर विश्व में रह रहे हैं और विकास तथा आधुनिकीकरण के लिए पुराना ढर्रा नहीं अपनाए रह सकते, क्योंकि हर कदम पर्यावरण पर कोई न कोई बुरा प्रभाव डालता है। उन्होंने लोगों का पर्यावरण संरक्षण का सजग सक्रिय प्रहरी बनने का आह्वान किया। एक प्रकृति सम्मत विश्व के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल नीतियों को अपनाने की जरूरत की चर्चा करते हुए वेंकैया नायडू ने यूएनडीपी के अध्ययन का ज़िक्र किया, जिसके अनुसार ग्रीन हाउस गैसों के स्तर में 1990 के मुकाबले 50% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
उपराष्ट्रपति ने यूएनडीपी के अनुमान को उद्धृत करते हुए कहा कि मौसम परिवर्तन तथा क्लाइमेट एक्शन की दिशा में साहसी कदम उठाकर 2030 तक 26 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के लाभ अर्जित किए जा सकते हैं और यदि अक्षय ऊर्जा पर ध्यान दें तो सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में ही 2030 तक 18 मिलियन रोज़गार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। अनुमान के अनुसार वायु प्रदूषण से ही विश्वभर में हर साल 7 मिलियन मौतें होती हैं, इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि अक्षय ऊर्जा, पर्यावरण सम्मत ग्रीन बिल्डिंग, प्रदूषणमुक्त स्वच्छ तकनीक तथा इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में अग्रसर हों। उन्होंने स्थानीय समुदायों से आग्रह किया कि वे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करें और रीसायकिल के मंत्र को जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि एक समाज के रूपमें हमें सम्मिलित रूपसे प्रकृति सम्मत जीवनशैली की तरफ बढ़ना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति का संरक्षण करना बेहद आवश्यक है।

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