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Wednesday 6 May 2020 06:27:40 PM
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर घाटी में सक्रिय पाकिस्तान के इस्लामिक आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर रियाज़ नायकू को भारतीय सुरक्षाबलों ने आज बारामुला जिले के अवंतीपुरा में उसके गांव वेगपोरा में और उसीके घर में उसके एक साथी समेत मौत के घाट उतारने में सफलता हासिल की है। सुरक्षाबलों ने दोनों के शव भी बरामद कर लिए हैं और निर्णय लिया गया है कि रियाज़ नायकू का शव उसके घरवालों को नहीं सौंपा जाएगा। कश्मीर घाटी में हिज्बुल के चीफ कमांडर बुरहान वानी और सब्जार भट्ट के सफाए के बाद घाटी में हिज्बुल कमांडर रियाज़ नायकू का खात्मा सुरक्षाबलों के लिए एक अच्छी कामयाबी माना जा रहा है। इसपर 12 लाख रुपये का इनाम भी था।
रियाज़ नायकू कश्मीर घाटी में हिज्बुल कमांडर रहे और सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए कश्मीर में पाकिस्तान के पोस्टरबॉय कहलाए जाने वाले बुरहान वानी का बहुत करीबी था। कहा जाता है कि वह भी उसी के नक्शेकदम पर चलता आ रहा था। सुरक्षाबलों को मिलती रहीं सूचनाओं में इसकी भी एक कमजोरी लड़कियां थीं। हिज्बुल के कई टॉप कमांडरों के मारे जाने के बाद से यह बौखलाया हुआ था और जैसे-तैसे कश्मीर घाटी में युवाओं को हिंदुओं और हिंदुस्तान के खिलाफ उतरने को प्रेरित किया करता था। वह सुरक्षाबलों पर हमले करवाता था, उनके हथियार लुटवाया करता था। रियाज़ नायकू रहने वाला कश्मीर घाटी का था, लेकिन बुरहान वानी के बाद वह पाकिस्तान के लिए पोस्टरबॉय था। कहने को वह गणित का टीचर हुआ करता था और आर्ट का भी शौकीन था, लेकिन पाकिस्तानी इस्लामिक आतंकवादी सरगनाओं ने उसका रास्ता बदल दिया।
कश्मीरी आतंकवादी रियाज़ नायकू कश्मीर घाटी में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का दाहिना हाथ था और पाकिस्तान की सेना एवं वहां के इस्लामिक आतंकवादी नेताओं के इशारे पर काम करता था। उसका गुप्त ठिकाना अवंतीपुरा में गहरे अंदर एक सुरंग थी, जिसका किसी को पता नहीं था, इसलिए वहां और कौन-कौन आते-जाते थे, यह जानकारी रियाज़ नायकू की मौत के साथ दफन हो गई है। बताया जाता है कि अपने लीडरों की मौत के बाद उसपर हिज्बुल की बड़ी जिम्मेदारियां आ गई थीं, जिनमें सुरक्षाबलों पर हमले करना मुख्य जिम्मेदारी थी। कहा जाता है कि घाटी में जो भी युवा आतंकवादी बनकर बाद में इस कृत्य से भागते थे, उनको ये मरवा दिया करता था। यह उन्हें अपनी धौंस में रखकर उन्हें ब्लैकमेल किया करता था, जिससे युवाओं में इसकी दहशत भी थी। यह जानकारी भी सामने आई है कि यह सुरक्षाबलों से अपनी जान भी बचाए घूमता था, इसको कई बार सुरक्षाबलों ने घेरा भी था, मगर भाग्य से यह बच निकलता था, लेकिन आज भाग्य इसका साथ छोड़ गया और इसे ढेर कर दिया गया।
हिंदवाड़ा में सेना के अधिकारी आशुतोष शर्मा और उनके चार सैनिक साथियों के कश्मीरियों को बचाने के प्रयास में शहीद हो जाने के बाद घाटी में अगले दिन आतंकवादियों ने तीन और भारतीय सुरक्षाबलों पर हमले किए और वे शहीद हो गए। इससे भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने इस पूरे इलाके में आतंकवादियों की खोज शुरु की और कुछ आतंकवादी घेर लिए गए और मौत के घाट उतार दिए गए। रियाज़ नायकू को उसकी मौत घेर रही थी और वह उसे उसके ही घर ले आई। भारतीय सेना एवं सुरक्षाबलों को सटीक जानकारी मिली और उसे घेर लिया गया। जानकारी के अनुसार वह किसी को ढाल बनाने में विफल रहा और सुरक्षाबलों ने भी इसकी परवाह किए बिना उसे उसके एक साथी के साथ मौत के घाट उतार दिया। घाटी में इस समय डेढ़ सौ से भी ज्यादा आतंकवादी सक्रिय बताए जाते हैं, जो रियाज़ नायकू के मारे जाने के बाद बिखर सकते हैं, क्योंकि कश्मीर में आतंकवादियों में अब कोई ऐसा नाम सामने नहीं है, जो इतनी हिम्मत जुटा सके। भारतीय सेना और सुरक्षाबलों पर इनका शिकंजा कसता जा रहा है और दूसरी तरफ सेना अपने पांचों सैनिकों की शहादत का बदला लेने के लिए कमर कसे हुए है। पाकिस्तान भी रियाज़ नायकू की मौत पर तिलमिलाया हुआ है।