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Friday 22 May 2020 05:52:09 PM
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर लखनऊ विश्वविद्यालय एवं जैव विविधता बोर्ड उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ई-संगोष्ठी ‘हमारा समाधान प्रकृति में हैं’ का राजभवन से वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। राज्यपाल ने कहा कि जैव विविधता से पारिस्थितिकीय तंत्र का निर्माण होता है, जो एक-दूसरे के जीवनयापन में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि जैव विविधता पृथ्वी पर पाई जाने वाली जीवों की विभिन्न प्रजातियों को कहा जाता है और भारत अपनी जैव विविधता के लिए विश्व विख्यात है। उन्होंने कहा कि भारत 17 उच्चकोटि के जैव विविधता वाले देशों में से एक है तथा पूरे विश्व की जैव विविधता में भारत की 7 प्रतिशत भागीदारी है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति देशवासियों को विभिन्न प्रकार के मौसम प्रदान करती है, भारत में 17 कृषि जलवायु जोन हैं, जिनसे अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं, देश के जंगलों में विभिन्न प्रकार के नभचर, थलचर एवं उभयचर प्रवास करते हैं, इनमें रहने वाले पक्षी, कीट एवं जीव जैव विविधता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति मनुष्य एवं जीव जंतुओं के जीवन के प्रारम्भ से अंत तक के लिए खाने-पीने, रहने आदि सभी की व्यवस्था उपलब्ध कराती है। राज्यपाल ने कहा कि मनुष्य खेती कर भूमि से अपने भोजन हेतु अन्न एवं सब्जियां उगाता है तथा अस्वस्थ होने पर प्रकृति प्रदत्त औषधियों से उपचार करता है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमारा देश वैदिककाल से ही अपनी औषधीय विविधता के लिए प्रसिद्ध है, अथर्ववेद में औषधीय पौधे एवं उनके प्रयोग का उल्लेख मिलता है, इसी तरह रामायण में भी बरगद, पीपल, अशोक, बेल एवं आंवले का उल्लेख मिलता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 से बचाव हेतु क्लोरोक्विन दवा का प्रयोग कई देश कर रहे हैं, जिसका सबसे ज्यादा उत्पादन एवं निर्यात भारत से पूरे विश्व में किया जा रहा है, इस दवा का प्रयोग मलेरिया बीमारी के लिए होता है, यह चिनकोना पेड़ से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर जैव विविधता के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अधिक से अधिक वन, बगीचे, औषधीय पौधे एवं वृक्षों को लगाना चाहिए, इससे हमारे आस-पास के जैव विविधता में बढ़ोत्तरी होगी और पर्यावरण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इससे पहले राज्यपाल ने राजभवन से ही लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में महिला सामुदायिक प्रसाधन केंद्र का ई-शिलान्यास किया और लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रकाशित न्यूजलेटर द कोरस तथा लखनऊ शहर के जैव विविधता सूचकांक इंडेक्स का लोकार्पण भी किया। वीडियो कॉंफ्रेंस में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, आबूधाबी, इस्रराइल, साउथ अफ्रीका, यूएसए, फ्रांस, जापान और ब्राजील के विषय विशेषज्ञ भी शामिल हुए।