स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 25 May 2020 02:55:28 PM
आगरा/ लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में वेबिनार 'रिवर्स माइग्रेशन एंड रूरल डेवलेपमेंट इन उत्तर प्रदेश' को संबोधित किया और तर्कपूर्ण व्यावहारिक प्रश्न उछाले कि स्थानीय स्तरपर समस्या का कोई हल नहीं होने के कारण उत्तर प्रदेश वापस लौटने को मजबूर हुए लगभग 23 लाख प्रवासी कामगार एवं श्रमिक लॉकडाउन समाप्त होने के बाद क्या फिर से अपने कामों पर वापस लौटेंगे? उन्होंने दूसरा सवाल किया कि जो कामगार या श्रमिक अपने हुनर एवं मेहनत से अन्य स्थानों पर जाकर वहां का विकास कर सकते हैं तो वे अपने प्रदेश में रहकर अपनी आजीविका एवं काम सुचारू रूपसे क्यों नहीं चला सकते हैं? राज्यपाल ने उदाहरण देकर कहा कि प्राकृतिक एवं भौगोलिक संरचना के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में उपजाऊ कृषि योग्य भूमि एवं नदियां हैं, प्रदेश कई कृषि उत्पादों हेतु विशेष महत्व रखता है, प्रदेश का प्रत्येक जनपद अपने किसी न किसी विशेष उत्पादन के लिये भी विख्यात है, जनपद कन्नौज इत्र के लिये, मुरादाबाद पीतल के लिए, लखनऊ चिकन कारीगरी एवं दशहरी आम के लिए, अलीगढ़ ताले के लिए, फिरोजाबाद कांच के लिए एवं भदोही कालीन के लिए जाने जाते हैं, तो क्या कारण है कि हम अपने यहां कामगारों के लिए रोज़गार के अवसर सृजित नहीं कर पा रहे हैं? उन्होंने कहा कि जरूरत है अवसरों को पहचानने के साथ-साथ उन्हें यथार्थ के धरातल पर उतारने की। राज्यपाल ने कहा कि उद्यमियों एवं व्यावसायियों को जानकारी प्रदान कर जनपद के विशेष उत्पाद की ब्रांडिंग कर लोकल स्तर से ग्लोबल स्तर तक पहचान दिलाने की आवश्यकता है, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमें शहरों के साथ-साथ अपने गावों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा, हमारी लगभग 70 प्रतिशत आबादी आज भी गावों में रहती है, ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय, चिकित्सालय, विद्युत, पहुंच हेतु पक्की सड़क एवं परिवहन आदि आवश्यक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाकर ही विकास की रूपरेखा खींची जा सकती है। उन्होंने कहा कि कृषकों को खेती हेतु सिंचाई एवं बिजली, खाद एवं उनके उत्पाद को सुरक्षित रखने हेतु कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए, गावों में कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग को प्रोत्साहन देना होगा। राज्यपाल ने कहा कि ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ की तर्ज पर ‘एक जिला-एक फसल विशेष’ योजना पर अमल करने की जरूरत है, इस पर आधारित उद्योगों की स्थापना से बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर ही न केवल लोगों को रोज़गार उपलब्ध होगा, बल्कि उन्हें गांवों से शहरों में रोज़गार की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा, यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य जरूर है, परंतु असंभव नहीं है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों को सेवायोजित करने के लिए ‘माइग्रेशन कमीशन’ गठित करने के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि माइग्रेशन कमीशन कामगारों एवं श्रमिकों को रोज़गार से जोड़ने के उल्लेखनीय प्रयास करेगा। राज्यपाल ने कहा कि अच्छा एवं बुरा समय आता-जाता रहता है, लेकिन उससे शिक्षा लेकर कार्य करने वाला ही वास्तव में सफल होता है, आज वैसी ही स्थिति हमारे सामने है, पुराने रास्ते अवरुद्ध जरूर हुए हैं, परंतु बंद नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम इस समस्या पर विजय पाकर न केवल आगे बढ़ेंगे, बल्कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए स्वयं को तैयार भी करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि किसानों की आमदनी में वृद्धि हेतु हमें जीरो बजट खेती पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जहां बिना लागत के खेती की जा सकती है, इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है, इस प्राकृतिक खेती में गाय का बहुत बड़ा योगदान होता है, इसके गोबर एवं गोमूत्र से खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है, इनके प्रयोग से उत्पादन लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन एवं अन्न की पौष्टिकता में भी वृद्धि हो सकेगी। वेबिनार में उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड इकॉनामिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि श्रीवास्तव, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा के कुलपति प्रोफेसर बीपी शर्मा, उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी, आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल और अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित थे।