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Tuesday 09 April 2013 11:28:33 AM
नई दिल्ली। भारत जल सप्ताह-2013 जल का उचित उपयोग तथा जल संरक्षण से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए द्वितीय भारत जल सप्ताह-2013 के विषय कुशल जल प्रबंधन: चुनौतियां एवं अवसर का राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान भवन में उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत, तुवालू के उप-प्रधानमंत्री कौशी नतानो, विभिन्न देशों के राजदूत, विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव, राज्यों के प्रधान सचिव तथा मंत्रालयों और इससे संबंधित संगठनों के वरिष्ठ तथा अधिकारी मौजूद थे।
सिंचाई, जलापूर्ति, जल एवं तापीय ऊर्जा उत्पादन, इस्पात, सीमेंट सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ पांच दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। यह कार्यक्रम सम्मेलन के साथ-साथ नीति वाद-संवाद मंच भी है, जो व्यापार से व्यापार प्रदर्शनी से जुड़ा हुआ है। संबंधित विषय नीतियों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि जल पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण भाग है, साथ ही यह एक कीमती प्राकृतिक संसाधन है, जिसका सामाजिक एवं आर्थिक मूल्य है।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कुशल जल प्रबंधन के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच प्रौद्योगिकी और जानकारी के हस्तांतरण तथा अनुभवों के प्रभावी आदान-प्रदान पर जोर देते हुए कहा कि पानी का समुचित उपयोग और प्रबंधन किया जाना चाहिए। देश में बार-बार के सूखे और बाढ़ों को देखते हुए जल संसाधनों के प्रबंधन को बेहतर बनाने की आवश्यकता है, इसलिए बढ़ती जनसंख्या तथा आर्थिक विकास की जरूरतों के लिए उपलब्ध जल का समुचित प्रबंधन किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने जल क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते उनके मंत्रालय के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुशल जल प्रबंधन के लिए विकसित और विकासशील देशों के बीच प्रौद्योगिकी और ज्ञान के हस्तांतरण तथा अनुभवों के प्रभावी आदान-प्रदान की आवश्यकता है। इसके अलावा बढ़ती आबादी और शहरीकरण तथा विकास की आवश्यकताओं के कारण पानी की मांग बढ़ रही है। इस समय हमारे देश की आबादी एक अरब 21 करोड़ से भी ज्यादा है, जो दुनिया की कुल आबादी की लगभग 18 प्रतिशत है, जबकि हमारे पास इस्तेमाल किये जाने योग्य दुनिया के कुल पानी का केवल 4 प्रतिशत है और कृषि भूमि 2.3 प्रतिशत है।
रावत ने कहा कि हमारा देश सीमित पानी वाला देश है और प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता और कम होने से भारत जल्दी ही पानी की कमी वाला देश हो जायेगा। इस समय देश में पानी की प्रति व्यक्ति वार्षिक उपलब्धता 1545 घन मीटर है, जो 2050 में 1,140 घनमीटर रह जायेगी। इसके लिए भी 2050 तक भारत को 450 अरब घनमीटर की जल भंडारण क्षमता की आवश्यकता होगी। इस समय भारत में 253 अरब घनमीटर की जल भंडारण क्षमता है। इस महत्वपूर्ण कार्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जल नीति 2012 में इस पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। हरीश रावत ने त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम पर विशेष जोर देने के लिए योजना आयोग और मंत्रिपरिषद के प्रति आभार प्रकट किया।
इस कार्यक्रम में वर्तमान परियोजनाओं के विस्तार, नवीकरण और आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में परियोजनाओं की मरम्मत, नवीकरण और फिर से उपयोग के योग्य बनाने के लिए 6235 करोड़ रूपये की राशि रखी गई, मौजूदा बांधों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए बांध पुनर्वास, सुधार परियोजना पर भी जोर दिया गया है। रावत ने कहा कि उत्तरी क्षेत्र की अधिकतर नदियां हिमालय से निकलती हैं, पिछले डेढ़ दशक में पर्वतीय और अर्द्ध-पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर जल प्रपात सूख गए हैं, इस समस्या के हल के लिए पर्वतीय इलाके के जल ग्रहण क्षेत्रों में छोटे-छोटे जलाशय बनाने की आवश्यकता है।