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Saturday 5 September 2020 01:41:27 PM
लेह। भारत-चीन में तनावपूर्ण गतिरोध के बीच भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे के पूर्वी लद्दाख के अग्रिम इलाके का दौरा करने के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सेना का मनोबल और भी ज्यादा बढ़ा हुआ है। ज्ञातव्य है कि हाल ही में भारतीय सेना ने देश के लिए सर्वाधिक सुरक्षा महत्व रखने वाली ब्लैकटॉप चोटी चीन से छीनी है। इसके बाद सेनापति एमएम नरवणे एलएसी पर हालात का प्रत्यक्ष आकलन करने के लिए पूर्वी लद्दाख के अग्रिम इलाकों में दो दिन अपनी सेना के साथ रहे। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों और स्थानीय कमांडरों के साथ बातचीत की और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में अपनी सैन्य टुकड़ियों के कामकाज के उच्च मानकों और उनके उच्च मनोबल की सराहना की।
थलसेना प्रमुख ने सैन्य अधिकारियों और जवानों से चीन की चालबाज़ियों से सतर्क रहने और परिचालन तत्परता के उच्चक्रम को बनाए रखने का आग्रह किया। लेह में जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और जीओसी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को परिचालन तत्परता की वास्तविक स्थिति और सर्दियों में सैन्यबलों की जीविका के लिए रसद व्यवस्था पर जानकारी दी। थलसेना प्रमुख ने परिचालन प्रभावशीलता और रक्षाबलों की क्षमता बढ़ाना सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर संतोष प्रकट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सेनापति जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया चीन से तनाव के बाद लेह लद्दाख का दौरा कर चुके हैं। इनके दौरों से सेना बहुत उत्साहित है और चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि करीब छह दशक बाद की भारतीय पीढ़ी को भारत और भारतीय सेना का यह स्वाभिमान देखने को मिला है, जिसमें आज उस चीन को भारत मुंहतोड़ जवाब दे रहा है, जिससे पूर्व की भारत सरकारें दहशत खाती रही हैं और उन्होंने कैलाश मानसरोवर सहित अपने देश की लाखों वर्गमील ज़मीन पर चीन का कब्जा होते रहने दिया। हद तो यहां तक हुई है कि देश के पूर्वोत्तर राज्य अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम तक पर चीन गुर्राया और कांग्रेस सरकारों ने चुप्पी मार ली। यही कारण है कि देश के पूर्वोत्तर राज्य पूरी तरह भारत सरकार की शक्तियों के प्रति सशंकित होते आए और चीन के प्रभाव में रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने इन पूर्वोत्तर राज्यों को यह यकीन दिलाने में सफलता प्राप्त की है कि यह सरकार किसी भी तरह चीन के दबाव में नहीं आएगी।
डोकलाम संदर्भ के बाद पूर्वोत्तर राज्यों का मोदी सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा और आज जब भारत ने चीन द्वारा छह दशक पहले पूर्वी लद्दाख में कब्जा की गई ब्लैकटॉप चोटी चीन से छीन ली है, तबसे न केवल इन पूर्वोत्तर राज्यों में बल्कि भारतीय सेना में उसके उच्च मनोबल की लहर है। इसकी चर्चा केवल भारत में ही नहीं हो रही है, बल्कि दुनिया के शक्तिशाली देशों में भी है कि जो चीन आएदिन भारत को दबाव में लेने की कोशिशें करता था, धमकियां देता था आज वह भारत की ताकतवर सरकार के सामने गिड़गिड़ा रहा है। विश्व समुदाय के सामने चीन का इतना बुरा हाल कभी नहीं देखा गया। दूसरी तरफ भारत में भी सेना कभी कमजोर नहीं रही, लेकिन कांग्रेस सरकार ने उसे कमजोर बनाए रखा। भारत के सेनापति हों या सेना दोनों के पराक्रम से आज चीन घुटनों पर है और यह भारत के संकल्प में है कि जो कुछ इलाके चीन ने कब्जाए हुए हैं, वह चीन से छीने जाएंगे। जहां तक पाकिस्तान की नापाक हरकतों का सवाल है तो वह पहले से ही इस बात से घबराया है कि जैसे ही भारत और चीन में सैन्य टकराव होता है तो भारत तत्काल संपूर्ण पीओके पर कब्जा कर लेगा। पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी अब और ज्यादा महंगी साबित होने वाली है।