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Saturday 26 September 2020 05:12:51 PM
विशाखापत्तनम। भारत-जापान के बीच द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास जेआईएमईएक्स का चौथा संस्करण 26 से 28 सितंबर 2020 के दौरान उत्तरी अरब सागर में आयोजित किया जा रहा है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री आत्मरक्षा बल के मध्य द्विवार्षिक रूपसे हो रहा है। सुरक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान देने के साथ जेआईएमईएक्स अभ्यासों की श्रृंखला का शुभारंभ जनवरी 2012 में किया गया था। जेआईएमईएक्स का पिछला संस्करण अक्टूबर 2018 में भारत के विशाखापत्तनम तट पर हुआ था। भारत और जापान के बीच नौसेना सहयोग के दायरे और संबंधों में पिछले कुछ वर्ष में काफी प्रगति हुई है। अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार अधिक सुरक्षित, मुक्त और समावेशी वैश्विक समानताओं के अनुरूप अधिक निकटता के साथ कार्य करने के प्रयोजन को पूरा करने के लिए जेआईएमईएक्स-20 के दौरान दोनों देशों के बीच अत्याधुनिकस्तर के युद्धाभ्यास भारत-जापान रक्षा संबंधों में निरंतर रूपसे हो रही प्रगति का संकेत हैं।
जेआईएमईएक्स-20 में समुद्री संचालनों के क्षेत्र में बहुआयामी उन्नत अभ्यासों के संचालन के माध्यम से उच्चस्तर के अभ्यासों और संयुक्त परिचालन कौशलों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस बहुपक्षीय सामरिक अभ्यास में हथियारों की गोलीबारी, क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर संचालन, जटिल स्थलों पर अभ्यास, पनडुब्बी-रोधी और वायु युद्धक अभ्यास शामिल हैं और यह दोनों देशों की नौसेनाओं के विकसित समन्वय को और मजबूती प्रदान करेगा। जेआईएमईएक्स-20 तीन दिन तक चलेगा और कोविड-19 प्रतिबंधों के मद्देनज़र ‘नॉन-कॉन्टैक्ट एट-सी-ओनली फॉर्मेट’ रूपमें संचालित किया जा रहा है। स्वदेश निर्मित स्टैल्थ विध्वंसक चेन्नई, तेग क्लास स्टैल्थ फ्रिगेट तरकश और फ्लीट टैंकर दीपक के साथ भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान के कमांडिंग फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन इसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
जापानी समुद्री आत्मरक्षा बल द्वारा जेएमएसडीएफ पोत कागा, एक इज़ुमो श्रेणी के विध्वंसक हेलिकॉप्टर और इकाज़ूची और एक निर्देशित मिसाइल विध्वंशक का प्रदर्शन कर रहा है, जिसका नेतृत्व एस्कॉर्ट फ्लोटिला-2 (सीसीएफ-2) के कमांडर रियर एडमिरल कोन्नो यासुशिगे कर रहे हैं। इन पोतों के अलावा पी81 लंबी दूरी के सामुद्रिक गश्ती विमान, इंटीग्रल हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान भी अभ्यास में शामिल हैं। जेआईएमईएक्स-20 भारत-जापान की नौसेनाओं के बीच सहयोग और आपसी विश्वास को और बढ़ाएगा तथा दोनों देशों के बीच दीर्घकालीन मित्रता के बंधन को और मजबूती बनाएगा।