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Monday 19 October 2020 04:42:54 PM
बैंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया और मैसूर विश्वविद्यालय के प्रति अपने उद्गारों में कहा कि मैसूर यूनिवर्सिटी की एक गौरवशाली विरासत है और उसके सौवें दीक्षांत समारोह का साक्षात हिस्सा बनने की तो बात ही कुछ और होती, लेकिन कोरोना के कारण हम वर्चुअली जुड़ पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक श्लोक का उच्चारण किया-घटि-कोत्सवदा ई स्मरणीया समारं-भदा सन्दर्भ-दल्ली निमगेल्लरिगू अभिनंदने-गड़ु. इंदु पदवी प्रमाणपत्रा पडेयुत्तिरुव एल्लरिगू शुभाशय-गड़ु. बोधका सिब्बंदिगू शुभाशय-गड़न्नु कोरुत्तेने। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैसूर यूनिवर्सिटी, प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था और भविष्य के भारत की आकांक्षाओं और क्षमताओं का एक प्रमुख केंद्र एवं समृद्धशाली है, इस यूनिवर्सिटी ने राजर्षि नालवाडी कृष्णराज वडेयार और एम विश्वेश्वरैया के विजन और संकल्पों को साकार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे लिए ये सुखद संयोग है कि आज से ठीक 102 साल पहले आज ही के दिन राजर्षि नालवाडी कृष्णराज वडेयार ने मैसूर यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था, तबसे लेकर आजतक 'रत्नगर्भा प्रांगण' ने ऐसे अनेक साथियों को ऐसे ही कार्यक्रम में दीक्षा लेते हुए देखा है, जिनका राष्ट्रनिर्माण में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि भारतरत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे अनेक महान व्यक्तित्वों ने इस शिक्षा संस्थान में अनेक विद्यार्थियों को नई से नई प्रेरणाएं दी हैं, उन्होंने दीक्षित प्रतिभाओं से कहा कि ऐसे में आपसे बड़ी उम्मीदें हैं, आज आपकी यूनिवर्सिटी, आपके प्रोफेसर्स, टीचर्स, आपको डिग्री के साथ-साथ देश और समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी भी सौंप रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं, ये हज़ारों वर्ष से हमारे यहां एक परंपरा रही है, जब हम दीक्षा की बात करते हैं तो ये सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का ही अवसर नहीं है, ये दिन जीवन के अगले पड़ाव के लिए नए संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। उन्होंने प्रतिभाओं से कहा कि अब वे एक फॉर्मल यूनिवर्सिटी कैंपस से निकलकर रियल लाइफ यूनिवर्सिटी के विराट कैंपस में जा रहे हैं, ये एक ऐसा कैंपस होगा जहां जो नॉलेज आपने हासिल की है उसकी प्रयोज्यता काम आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान कन्नड़ लेखक और विचारक गोरूरु रामस्वामी अय्यंगार के आदर्शों का उल्लेख किया कि-शिक्षणवे जीवनद बेलकु यानि शिक्षा जीवन के मुश्किल रास्तों में रोशनी दिखाने वाला माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश जब परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है, तब उनकी ये बात बहुत ज्यादा प्रासंगिक है, बीते 5-6 साल में यह निरंतर प्रयास हुआ है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था छात्रों को 21वीं सदी की आवश्यकताएं पूरी करने में और मदद करे, इसलिए विशेषतौर पर उच्च शिक्षा में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से लेकर संरचनात्मक सुधार पर बहुत ज्यादा फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत को उच्च शिक्षा का ग्लोबल हब बनाने के लिए हमारे युवाओं को प्रतियोगी बनाने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक हर स्तर पर कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2014 से पहले तक देश में 16 आईआईटी थीं, बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई आईआईटी खोली गई है, इसमें से एक कर्नाटका के धारवाड़ में भी खुली है, 2014 तक भारत में 9 ट्रिपल आईटी थीं, इसके बाद के 5 साल में 16 ट्रिपल आईटी बनाई गई हैं, सात नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं, जबकि उससे पहले देश में 13 आईआईएम ही थे, इसी तरह करीब 6 दशक तक देश में सिर्फ 7 एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे, साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते 5-6 साल से उच्च शिक्षा क्षेत्र में हो रहे प्रयास सिर्फ नए संस्थान खोलने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इन संस्थाओं में शासन में सुधार से लेकर लिंग और सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है, ऐसे संस्थानों को ज्यादा स्वराज्य दिया जा रहा है, ताकि वो अपनी जरूरत के मुताबिक फैसले ले सकें। उन्होंने कहा कि पहले आईआईएम एक्ट के तहत देशभर के आईआईएम्स को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं, मेडिकल एजुकेशन में ट्रांसपेरेंसी की बहुत कमी थी, इसे दूर करने पर भी जोर दिया गया है, आज देश में स्वास्थ्य शिक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग बनाया ही जा चुका है, होम्योपैथी और दूसरी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई में सुधार के लिए भी दो नए कानून बनाए जा रहे हैं, मेडिकल एजुकेशन में हो रहे सुधार से देश के युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई के लिए ज्यादा सीटें मिलनी सुनिश्चित हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजर्षि नालवाडी कृष्णराज वडेयार ने अपने पहले दीक्षांत संबोधन में कहा था कि अच्छा होता मैं अपने सामने एक नहीं बल्कि दस लेडी ग्रेजुऐट्स देख पाता, लेकिन मैं अपने सामने आज अनेक बेटियों को देख रहा हूं, जिन्हें डिग्रियां मिली हैं, मुझे बताया गया है कि यहां डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या ज्यादा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सब बदलते हुए भारत की एक और पहचान है, आज शिक्षा के हर स्तर पर देश में बेटियों का सकल नामांकन अनुपात बेटों से बहुत है, उच्च शिक्षा में भी नवाचार और प्रौद्योगिकी से जुड़ी पढ़ाई में भी बेटियों की भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चार साल पहले देश की आईआईटी में बेटियों का नामांकन जहां सिर्फ 8 प्रतिशत था, वह इस वर्ष बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा, यानि 20 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में ये जितने भी सुधार हुए हैं, उनको नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नई दिशा और नई मजबूती देने वाली है, यह प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी तक देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था में मौलिक परिवर्तन लाने वाला एक बहुत बड़ा अभियान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के सक्षम युवाओं को और ज्यादा प्रतियोगी बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण पर फोकस किया जा रहा है, कोशिश ये है कि हमारे युवा तेज़ी से बदलती काम की प्रकृति के लिए लचीले हों, स्वीकार्य हों एवं स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इसका भी बहुत ध्यान दिया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि मैसूर यूनिवर्सिटी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, तेजी दिखाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में जितने चौतरफा सुधार हो रहे हैं, उतने पहले कभी नहीं हुए, पहले कुछ फैसले होते भी थे तो वो किसी एक सेक्टर में होते थे और दूसरे सेक्टर छूट जाते थे, आज अगर खेती से जुड़े सुधार किसानों को सशक्त कर रहे हैं, तो लेबर सुधार लेबर और उद्योग दोनों को तरक्की, सुरक्षा और विश्वास दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से जहां हमारे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार आया है तो वहीं रेरा से घर खरीददारी को सुरक्षा मिली है। उन्होंने कहा कि देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने के लिए अगर जीएसटी लाया गया तो टैक्सपेयर को परेशानी से बचाने के लिए फेसलेस असेसमेंट की सुविधा शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि दिवाला दिवालियापन संहिता से जहां पहली बार इन्सॉल्वेंसी के लिए एक लीगल फ्रेम-वर्क बना तो एफडीआई रिफॉर्म्स से हमारे यहां निवेश बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधारों की गति और दायरा दोनों बढ़ रहे हैं, खेती, स्पेस, डिफेंस, एविएशन, लेबर, ऐसे हर सेक्टर में ज़रूरी बदलाव किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब सवाल ये है कि आखिर ये किया क्यों जा रहा है? ये आप जैसे करोड़ों युवाओं के लिए ही किया जा रहा है, युवा भारत के जीवन में ये दशक बहुत बड़ा मौका लेकर आया है। इस अवसर पर कर्नाटक के गवर्नर और मैसूर यूनिवर्सिटी के चांसलर वजुभाई वाला, कर्नाटक के शिक्षा मंत्री डॉ सीएन अश्वथ नारायण, मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी हेमंत कुमार, शिक्षक, छात्र-छात्राएं और अभिभावक उपस्थित थे।