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आईएनएस कावरत्ती नौसेना बेड़े में शामिल

रेडार से बच निकलने वाला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है कावरत्ती

थल सेनाध्‍यक्ष ने समारोहपूर्वक कावरत्ती राष्‍ट्र को समर्पित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 23 October 2020 01:34:18 PM

ins kavaratti joins navy fleet

विशाखापत्तनम। थल सेनाध्‍यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने नौसैनिक डॉकयार्ड विशाखापत्तनम में एक समारोह में देश में बने पनडुब्‍बी रोधी चार युद्धपोतों में से आखिरी प्रोजेक्‍ट 28 (कामोर्ता क्‍लास) के अंतर्गत निर्मित रेडार से बच निकलने वाला पनडुब्बी रोधी युद्धपोत आईएनएस कावरत्ती को भारतीय नौसेना बेड़े में शामिल करते हुए इस युद्धपोत को राष्‍ट्र को समर्पित किया। आईएनएस कावरत्ती को भारतीय नौसेना के संगठन नौसेना डिजाइन निदेशालय ने डिज़ाइन किया है और जीआरएसई ने इसे निर्मित किया है। समारोह में पूर्वी नौसेना कमान के वाइस एडमिरल फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (एफओसी इन सी) अतुल कुमार जैन, गार्डन रीच शिपबिल्‍डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड कोलकाता के सीएमडी रिअर एडमिरल विपिन कुमार सक्‍सेना (सेवानिवृत्‍त) और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे। आईएनएस कावरत्ती पूर्वी नौसैनिक कमान के अंतर्गत पूर्वी बेड़े का अभिन्‍न अंग बन गया है।
थल सेनाध्‍यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवने को नौसैनिक जेटी पर पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उद्घाटन भाषण जीआरएसई कोलकाता के सीएमडी रिअर एडमिरल सक्‍सेना (सेवानिवृत्‍त) ने दिया। सीईएनसी में एफओसी वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन ने भी संबोधित किया। इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर कमांडर संदीप सिंह ने युद्धपोत को शामिल करने की जानकारी दी। युद्धपोत पर पहली बार नौसेना की पताका फहराई गई और राष्‍ट्रगान के साथ इसे नौसेना बेड़े में शामिल कर लिया गया। युद्धपोत का नाम लक्षद्वीप की राजधानी कावरत्ती के नाम पर रखा गया है। आईएनएस कावरत्ती को भारत में निर्मित हाई ग्रेड डीएमआर 249ए स्‍टील से बनाया गया है। आकर्षक और शानदार युद्धपोत की लंबाई 109 मीटर, चौड़ाई 14 मीटर और वजन 3300 टन है और यह भारत में निर्मित सबसे ज्‍यादा प्रभावशाली पनडुब्‍बी रोधी युद्धपोत है। युद्धपोत का सम्‍पूर्ण सुपर ढांचा मिश्रित सामग्री से बनाया गया है। यह चार डीजल इंजनों से लैस है, इसमें रेडार से बच निकलने की विशेषता है, रेडार की पकड़ में नहीं आने वाले इस युद्धपोत का शत्रु आसानी से पता नहीं लगा सकेगा।
आईएनएस कावरत्ती की अनूठी विशेषता उत्पादन में शामिल किया गया स्वदेशीकरण का उच्चस्तर है, जो आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करता है। जहाज में परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थिति में लड़ने के लिए अत्याधुनिक उपकरण और प्रणालियों के साथ उच्च स्वदेशी सामग्री लगी है, साथ ही हथियार और सेंसर सूट भी पूरी तरह से स्वदेशी हैं और इस प्रमुख क्षेत्र में राष्ट्र की विकास करने की क्षमता को दिखाते हैं। स्वदेशी रूपसे विकसित कुछ प्रमुख उपकरणों या प्रणालियों में कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, टारपीडो ट्यूब लॉंचर्स और इंफ्रा-रेड सिग्नेचर सप्लीमेंट सिस्टम आदि शामिल हैं। आईएनएस कावरत्ती में उन्नत ऑटोमेशन सिस्टम जैसेकि टोटल एटमॉस्फेरिक कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम और पर्सन लोकेटर सिस्टम उपलब्ध हैं। युद्धपोत के अधिकतम कार्य करने के लिए आधुनिक और प्रक्रियाउन्मुख प्रणाली लगी है। समुद्री परीक्षणों को पूरा करने के बाद कावारत्ती को भारतीय नौसेना की एएसडब्ल्यू क्षमता को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से तैयार लड़ाकू प्‍लेटफॉर्म के रूपमें नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है।
आईएनएस कावरत्ती इसी नाम के तत्‍कालीन युद्धपोत अरनाला क्‍लास मिसाइल (आईएनएस कावरत्‍ती-पी 80) का अवतार है। कावरत्‍ती की अपने पिछले अवतार में उल्‍लेखनीय सेवा रही है और इसका सेवाकाल लगभग दो दशक का है। इसने 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के युद्ध में अपने अभियानों के जरिए अहम भूमिका निभाई और इसके अनेक ऑपरेशनों में तैनाती की गई। वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान इसे बंगाल की खाड़ी में वर्जित सामान पर नियंत्रण रखने और चिट्टगांव के प्रवेश द्वारों पर खनन उद्योग की सहायता के लिए तैनात किया गया था। ऑपरेशन के दौरान इसने पाकिस्‍तानी व्‍यापारी जहाज बकीर को कब्‍जे में ले लिया था। वर्तमान अवतार में कावरत्‍ती समान रूपसे ताकतवर और अधिक घातक है। इसमें 12 अधिकारी व 134 नाविक रहेंगे और कमांडर संदीप सिंह पहले कमांडिंग ऑफिसर होंगे, जो इसका संचालन करेंगे।

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