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Saturday 12 December 2020 02:35:10 PM
विशाखापट्टनम। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोगों से अपने प्रतिनिधियों और सरकारों का उनके प्रदर्शन के आधार पर चुनाव करने की अपील की है। विशाखापट्टनम में वाईपीओ-ग्रेटर इंडिया चैप्टर के सदस्यों के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने राजनीति में जाति, आपराधिक पृष्ठभूमि, समुदाय और कैश नगदी के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई और उनसे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय मानसिक शक्ति, आचरण, क्षमता और चरित्र को प्राथमिकता देने के लिए कहा। राजनीति को लोगों की सेवा करने वाला मिशन बताते हुए उन्होंने लंबी अवधि की रचनात्मक नीतियों की जगह पर लोकप्रियतावाद का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई। उपराष्ट्रपति ने संसद और राज्यों की विधानसभाओं में चर्चा के गिरते स्तर पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सभी जगहों पर बहस का स्तर नीचे जा रहा है, पहले बहस को गरिमापूर्ण बनाए रखा जाता था और उसमें हास्य-विनोद भी शामिल होता था।
उपराष्ट्रपति ने विधि निर्माताओं से बातचीत, बहस और निर्णय लेने और कार्यवाही को बाधित न करने का आग्रह किया। उन्होंने राजनेताओं को सलाह दी कि वे अपने विरोधियों को प्रतिद्वंद्वी मानें, न कि दुश्मन। राज्यसभा के अध्यक्ष के रूपमें वे समझा-बुझाकर और सलाह के जरिए अनुशासन लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने मीडिया से संसद के सकारात्मक कार्यों पर ज्यादा ध्यान देने का आग्रह किया। मीडिया की विश्वसनीयता में गिरावट को देखते हुए उन्होंने कहा कि ‘न्यूज़पेपर’ ‘व्यूज-पेपर’ बन गए हैं। किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सभी आशंकाओं को दूर किया जा सकता है। अपनी जीवन यात्रा को एक उदाहरण के रूपमें पेश करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक किसान परिवार से होने के बावजूद वे सिर्फ अपने अनुशासन, कड़ी मेहनत, समर्पण और मजबूत भरोसे के चलते देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद तक पहुंच सके हैं।
वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्होंने दूसरों के जीवन से बहुत कुछ सीखा है, लोगों के साथ समय बिताकर उनका अध्ययन किया है, इससे मिली सीख ने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद की है। उपराष्ट्रपति ने उद्योग के युवा नेतृत्वकर्ताओं को जीवन में उत्कृष्टता को पाने के लिए कड़ी मेहनत करने, भरोसे को मजबूत बनाए रखने और दूसरों के अनुभवों से सीखने की सलाह दी। वेंकैया नायडू ने नानाजी देशमुख को कृतज्ञता के साथ याद किया और कहा कि उनके जीवन ने उन्हें समाज की सेवा के लिए स्वर्ण भारत ट्रस्ट शुरु करने के लिए प्रेरित किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, हालांकि हमें प्रतिभा को पहचानना होगा और उनके कौशल में उन्नत बनाना होगा। आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत जैसे महान भारतीयों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस भूमि में कुछ खास है, यहां तक कि आज भी हम देखते हैं कि कई प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शीर्ष पदों पर भारतीय मौजूद हैं।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय उद्योग से नैतिकता आधारित कॉरपोरेट गवर्नेंस अपनाने की अपील की एवं नैतिकता और मानकों को दुरुस्त रखने की जरूरत पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने डॉ अब्दुल कलाम जैसे कई प्रतिष्ठित लोगों के उदाहरण दिए, जिन्होंने अपनी मातृभाषा में स्कूली शिक्षा ली थी। वेंकैया नायडू ने कहा कि अंग्रेजी जरूरी है और सभी लोगों को जितना संभव हो सके, उतनी ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिएं, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। ऑनलाइन कार्यक्रम में वाईपीओ-ग्रेटर इंडिया के सदस्यों ने भाग लिया, जिसमें भारतीय उद्योग के कई प्रमुख नाम शामिल थे।