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'स्कूली शिक्षा में अब त्रि-भाषा सूत्र चलेगा'

'संस्कृत बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता नहीं जानी जा सकती'

राजभवन के सभागार में स्मारिका 'अवध सम्पदा' का लोकार्पण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 9 January 2021 11:27:04 PM

inauguration of souvenir 'awadh sampada' at raj bhavan auditorium

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा हैकि संस्कृत को जाने बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता को नहीं जाना जा सकता, संस्कृत वास्तव में ज्ञान का भंडार है। उन्होंने कहा कि संस्कृत वस्तुतः भारतीय संस्कृति का मेरूदंड है, जिसने हजारों वर्ष से हमारी अनूठी संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसका संवर्धन तथा पोषण भी किया है। राज्यपाल ने यह बातें आज संस्कृत भारती अवध प्रांत की ओर से राजभवन सभागार में आयोजित स्मारिका ‘अवध सम्पदा’ के लोकार्पण कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों और सूक्ष्म चिंतन की वाहिनी है, हमारे देश की हज़ारों साल की वैचारिक प्रज्ञा को समझने के लिए संस्कृत ही एक माध्यम है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि संस्कृत देव भाषा है, संस्कृत भारत की आत्मा है, देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन का विकास संस्कृत भाषा में ही समाहित है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत एवं संस्कृति ही मूलभूत तत्व हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि संस्कृत भारती की पुस्तक ‘अवध सम्पदा’ देव भाषा संस्कृत को और आगे ले जाने में अपनी विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करेगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी वैचारिक परम्परा, जीवन दर्शन, मूल्यों व सूक्ष्म चिंतन की वाहिनी है, हमारे देश की हजारों सालों की वैचारिक प्रज्ञा को समझने के लिए संस्कृत ही एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में अब त्रि-भाषा सूत्र चलेगा, क्योंकि संस्कृत को नई शिक्षा नीति में विशेष स्थान प्राप्त हुआ है, नई शिक्षा नीति में संस्कृत की प्रासंगिकता को नई दिशा मिल सकेगी, त्रि-भाषा सूत्र में संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। राज्यपाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन से लाभांवित होगी। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आज पूरा विश्व संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता और प्रामाणिकता को समझ रहा है, देश-विदेश के मनीषियों ने संस्कृत की महत्ता को हृदय से स्वीकारा है, भारत के साथ-साथ कई विदेशी विद्वानों ने संस्कृत-शास्त्रों का गहन अध्ययन, चिंतन-मनन किया है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि संस्कृत आधुनिक विज्ञान की भाषा है और आज देश में कई गांव ऐसे हैं, जहां सम्पूर्ण संस्कृत भाषा का आचरण होता है, हम सभी को संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए प्रयासरत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत के लिए जो प्रावधान किए गये हैं, उनमें फाउंडेशन और मिडिल लेवल पर सरल संस्कृत की पुस्तकें, माध्यमिक कक्षा तक संस्कृत पढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा की मजबूती के लिए समकालीन विषयों जैसे गणित, खगोल शास्त्र, दर्शन शास्त्र, नाटक, योग आदि के साथ संस्कृत विश्वविद्यालय बहुविषयी संस्थान बनेंगे, सभी भाषाओं का शिक्षण नवीन, अनुभवात्मक, एप्स, सांस्कृतिक पहलुओं एवं वास्तविक जीवन के अनुभवों के साथ कराया जाएगा और इसके साथ ही नैतिक मूल्यों पर जोर दिया जाएगा, पंचतंत्र, हितोपदेश, जातकों की कहानियां पढ़ाए जाने के साथ सभी भारतीय भाषाओं में ई-कंटेंट, सॉफ्टवेयर, ई-सामग्री तैयार की जाएगी।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जिम्मेदार लोग नवीन शिक्षा नीति के अनुसार संस्कृत भाषा तथा साहित्य के विस्तार की व्यापक कार्य योजना तैयार करें, कार्य योजना का निर्माण आधुनिक संदर्भों में किया जाए, जिससें संस्कृत में विद्यमान महान ज्ञान सम्पदा को अधिकत्तम लोगों तक पहुंचाया जा सके। कार्यक्रम में संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष शोभनलाल उकील ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्कृत भारती के सचिव कन्हैयालाल झा ने संगठन के संगठनात्मक ढांचे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती का प्रयास है कि संस्कृत भाषा सबके मुख में हो, संस्कृत का सर्वत्र सम्मान हो। कार्यक्रम का संचालन संगठन मंत्री डॉ गौरव नायक ने किया तथा आभार ज्ञापन जितेंद्र प्रताप सिंह ने किया। संस्कृत भारती के कोषाध्यक्ष नीरज अग्रवाल, बृजेश, साधना, अनुज, रत्नेशमणि, डॉ आलोक धवन, डॉ वंदना रॉय, गिरीश गुप्ता, हनुमत, मुकेश आहूजा की कार्यक्रम में उपस्थिति उल्लेखनीय है।

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