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'पद्मश्री हीरालाल ने दीं बिरहा को नई ऊंचाईयां'

नागरी प्रचारिणी सभा में पद्मश्री हीरालाल यादव का चित्र लगेगा

बिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र का अनावरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 27 January 2021 12:16:21 PM

nagari pracharini sabha will have a picture of padmashree hiralal yadav

वाराणसी। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र और लोकसाहित्य पर केंद्रित 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण किया। नागरी प्रचारिणी सभा में इस पद्मश्री बिरहा सम्राट का चित्र भी लगाया जाएगा। कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा कि लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने विशिष्ट पहचान दिलाई है, हीरालाल यादव संगीत नाटक अकादमी सम्मान, यश भारती, भिखारी ठाकुर सम्मान से लेकर पद्मश्री तक से नवाजे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्व माना जाता है और लोक गायक इसे सुरों में बांधकर समाज के विविध पक्ष सामने लाते हैं, लोकगीतों में बिरहा एक समृद्धशाली परम्परा है, जिसे यहां तक पहुंचाने में हीरालाल यादव ने नई उचाइयां प्रदान कीं हैं।
किसान फाउंडेशन उत्तर प्रदेश और नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में लोकगीत बिरहा के संवाहक पद्मश्री हीरालाल यादव की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हीरालाल यादव की लोक गायकी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों से लड़ती है और लड़ने की अपील भी करती है। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि इस डिजिटल दौर में उनके बिरहा गायन को संरक्षित करके आने वाली पीढ़ियों हेतु भी जीवंत रखना बहुत जरूरी है। गौरतलब है कि पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव एक विख्यात साहित्यकार भी हैं। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हीरालाल यादव ने बिरहा विधा को न सिर्फ विशेष विधा के तौर पर पहचान दिलाई, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लोकप्रिय बनाया, ऐसे में बनारस के तमाम स्थापित साहित्यकारों के चित्रों के बीच नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी में 'बिरहा सम्राट' के चित्र को शामिल किया जाना एक नई परम्परा को जन्म देगा।
स्मृति कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार हरिराम द्विवेदी (हरी भैया) ने की। उन्होंने कहा कि नागरी पत्रिका लोक विधा की कुंजी है, जिसमें लोकसाहित्य एवं हीरालाल यादव का पूरा कृतित्व और व्यक्तित्व वर्णित है, साहित्य में ऐसी पत्रिकाओं की आवश्यकता है, बिरहा को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने का श्रेय हीरालाल यादव को जाता है। विशिष्ट अतिथि डॉ जितेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि हीरालाल यादव बिरहा के रसिया थे, जिनकी मधुर आवाज़ ने समाज को झंकृत किया। उन्होंने कहा कि बिरहा मात्र मनोरंजन का साधन नहींहै, बल्कि यह लोक रंजन की जीवनधार है, यह समाज में उत्साह उमंग एवं सद्भाव पैदा करती है। कविमंगल ने हीरालाल यादव पर आधारित गीत से लोगों को भाव-विभोर कर दिया-उड़ गया पंछी कहां, न जाने, करके पिजड़ा खाली, बिरहा की बगिया कर सूनी, हुआ अलविदा माली। बिरहा गायक रामदेव के सुपुत्र शारदा ने भी गीत सुनाया। नागरी प्रचारिणी सभा के सहायक मंत्री सभाजीत शुक्ल ने कहा कि हीरालाल यादव का नागरी प्रचारिणी सभा से गहरा नाता था, सभा के माध्यम से उन्होंने संसद में बिरहा गायन किए, वे सुरीली आवाज़ के जादूगर व ग्राम्यांचल के चितेरे थे।
स्मृति कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कवि शंकरानंद, धन्नू भगत एवं किशन जायसवाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ जयशंकर जय एवं धन्यवाद ज्ञापन बृजेश चंद्र पांडेय ने किया। पद्मश्री हीरालाल यादव के सुपुत्र रामजी यादव, प्रोफेसर सर्वेशानंद, प्रोफेसर दयानंद यादव, डाक्टर राजेंद्र, डाक्टर उमाशंकर यादव, इंजीनियर अशोक यादव, डाक्टर दुर्गाप्रसाद श्रीवास्तव औस चपाचप बनारसी ने विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ जयशंकर जय, नरोत्तम शिल्पी, सिद्धनाथ शर्मा, ज्ञान प्रकाश, सुनील यादव, चौधरी शोभनाथ, रामजनम शरण, हरिहर जख्मी, कविराज, लालजी बाबा सहित तमाम साहित्यकार और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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