Saturday 20 April 2013 12:01:46 PM
दिनेश शर्मा
हे, आध्यात्मिक चेतना और आस्था के प्रतीक! चरित्र, धर्म, नीति और मर्यादा के चरम आदर्श-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम आपको सादर वंदन! आपके प्रेरणादायक विलक्षण चरित्र और प्रसंगों को विजयदशमी और आपके जन्मदिन रामनवमी पर दुनिया भर में विभिन्न रूप से स्मरण किया जाता है। आपने त्रेता युग में मृत्युलोक में कमल, चक्र और गदा से सुशोभित भगवान विष्णु का अवतार लेकर पृथ्वी को आसुरी शक्तियों से मुक्त किया था। युग-युगांतर से आपकी यह कीर्ति समस्त लोकों में विख्यात और जनमानस के रोम-रोम में अमर है। उपनिषद में आपकी महिमा का यहां तक बखान है कि राम की संपूर्ण कथा ‘ऊँ’ की ही अभिव्यक्ति है। मान्यता है कि अंत समय में आपका नाम लेने से परम पापी भी अपने पापों से मुक्त हो जाता है और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
हे, जगदीश्वर! ऐसे श्रेष्ठकुलीन राजा के रूप में आपका स्मरण करते ही रामराज्य की कल्पना होने लगती है कि काश! आज भी ऐसा होता। आखिर कैसा रहा होगा आपका शासन-‘ना कोऊ दरिद्र ना लच्छन हीना।’ लेकिन प्रभु आपके प्रतिपादित संस्कारों और आदर्शों की आज अर्थी निकाली जा रही है। आपकी प्रजा भयभीत है। धर्म, व्यापार बन गया है और कर्म, कुकर्म में बदलता जा रहा है। भ्रष्टाचार, अनाचार, जातिवाद और पाखंड का बोलबाला है। चोर-डाकुओं ने साधू-संतों और सूफियों के भेष धर लिए हैं। धर्म और धर्म-स्थल इनके शरणगाह और सकल समृद्धी के कारक बन गए हैं। गंदे गानों की धुनों पर आपकी चौपाइयां गाई जा रही हैं। कुनबे सहित भ्रष्टाचार में डूबे एक दक्षिण भारतीय नेता करूणानिधि तो यहां तक कह चुके हैं कि आपका कोई वजूद ही नहीं है, आप केवल कपोल काल्पनिक हैं। दुनिया में सेतुसमुंद्रम के नाम से विख्यात आपके सेतु की सुपारी दी जा चुकी है, पहले तो इन महाशय ने ही दी थी और अब कांग्रेस ने दी है, उसकी सरकार के मंत्री सेतुसमुंद्रम पर ठेकेदार की भाषा बोल रहे हैं और देश बोल रहा है कि इसके टूटते ही महा विध्वंसक विदेशी आक्रांताओं का भारत पर आक्रमण का मार्ग और भी आसान हो जाएगा और फिर भारत टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा। भारत के अधिकांश लालची एवं घूसखोर नौकरशाहों और नेताओं ने तो वो निराश किया हुआ है कि आपके लोग आत्महत्या को मजबूर हैं। आपने मृत्यु लोक को जिन आसुरी शक्तियों से आजाद कराया था, वे फिर से जन्म लेकर रक्तबीज बन गई हैं। आपके परम भक्त एक गीतकार ने आपके और माता सीता के बीच हुई बातचीत सुन ली होगी और उस पर ऐसा गीत लिखा कि आपकी बातचीत अक्षरशः सही साबित हो रही है। वह गीत आप भी सुन लीजिए-Play this video
हे, रघुवीर! तो सुना आपने? आज यहां यह हाल है। राजनीति की बिसात पर आप एक ऐसा मोहरा बने हैं, जिसे हम जीत हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। आपको इस्तेमाल करने वाले देश की सत्ता पाते ही आपको भूल गए थे। आपको क्या बताएं कि आपके नाम पर क्या-क्या हुआ और हो रहा है। एक भारतीय जनता पार्टी है, इसके बड़े नेता आपके नाम से देश की राजगद्दी तक पहुंच गए। पहले वे दूसरों को लड़ा रहे थे और आज इस राजगद्दी के लिए आपस में ही लड़ मरने को तैयार हैं। उनके कार्यकर्ता रोते-बिलखते फिर रहे हैं कि कहां जाएं, कहां मरें, क्योंकि उनका मन तो आपमें और आपके शुभ्रता के प्रतीक कमल में लगा है और उनके नेता उनकी मंशा के खिलाफ चल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री बनने के लिए आपके किसी भी भक्त की गर्दन उड़ाने को तैयार हैं। देश में यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बनता देख भाजपा में कई प्रधानमंत्री पैदा हो गए हैं। एक ने अध्यक्ष बनते ही अपना भी दावा पेश कर दिया। अब जब एक नरेंद्र मोदी इस काबिल हुए, तो उनको लाइन से हटाने का अभियान शुरू हो गया है। लालकृष्ण आडवाणी को फिर से आगे कर दिया, जबकि आपकी प्रजा को केवल मोदी ही चाहिए। प्रजा ने पहले भी बड़ी उम्मीदों से भाजपा को देश की सत्ता सौंपी थी, मगर जिनके हाथ में सत्ता थी तो उनके बारे में हमारा मुंह मत खुलवाइए..., खैर अब मोदी के लिए ही आपकी प्रजा जोर लगा रही है, इंतजार में है कि कब नाम की घोषणा हो, नहीं तो इस बार भी भाजपा का मामला गड़बड़ ही है, बाकी तो सब आपको ही मालूम है कि क्या होना है।
क्षमा करें, हे जगत के स्वामी! ये तो राजकाज है और मै एक विमूढ़ अज्ञानी। अपनी पीड़ा को छोड़, राजनीति की बातों में उलझ गया। आप भी भाजपा के प्रधानमंत्रियों को कहां तक समझाएंगे, इनको अकल नहीं आने वाली। वास्तव में ये आपकी विरासत को अक्षुण नहीं रख पाए, बल्कि इन्होंने आपको दुनिया में हंसी का पात्र बनाकर रख दिया है। आप इस मृत्यु लोक को छोड़कर क्या चले गए, आपकी प्रजा पर घोर संकट आ गया। आप मेरे मन की व्यथा सुन रहे हो ना? क्या बताऊं? हे, उपकारी ! लगता है कि या तो आपने अपनी प्रजा से मुंह मोड़ लिया है या फिर आप उसी प्रकार अपने अवतार का उद्देश्य भूल गए हैं, जिस प्रकार आपको मृत्यु लोक में आते ही अपने जीवन में घटित पूर्व घटनाओं का ज्ञान और भान नहीं रहा था-मृत्यु लोक तो है ही ऐसा। आज आपके भक्त सार्वजनिक रूप से आपका नाम नहीं ले सकते। वे आपके आदर्शों का अनुसरण और प्रचार-प्रसार भी नहीं कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में आपके खिलाफ सच्ची रामायण बंटवाई और बिकवाई जा चुकी हैं। अयोध्या में आपके जन्मस्थान का दर्शन करने जाते हुए लोग डरते हैं कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। हमें नहीं मालूम था कि ऐसा समय भी आएगा, जब आपका नाम इतना अछूत हो जाएगा कि आपका नाम लेते ही पुलिस की लाठियां पड़नी शुरू हो जाएंगी। राजनेता और राजनीतिक पार्टियां अपने को आपसे जोड़ने में परहेज करने लगेंगी और आपका नाम लेने वाले को सांप्रदायिक तत्व कहा जाने लगेगा। हे, अयोध्या नरेश ! आपकी नगरी का वास्तु भी बदल चुका है। अब वहां बड़े-बड़े मोटे पेटवाले महंतों से आपका मुकाबला है। पूरी नगरी रेंट कंट्रोल के तहत किसी न किसी को आवंटित हो चुकी है। आज वे ही आपकी संपत्ति के वारिस बन बैठे हैं। हो सकता है कि आपके प्रकट होने पर वे आपके अस्तित्व से ही इंकार कर दें।
हे, प्रभु! ये हम इसलिए कह रहे हैं कि तीनों लोकों में दो लोकों का तो हमें पता ही नहीं है, क्योंकि हम अंर्तयामी नहीं हैं, किंतु मृत्युलोक के बारे में आप अब शायद उतना ज्यादा नहीं जानते हैं। आपका ज़माना तो और था। मालूम है? अयोध्या में जहां आपका जन्म हुआ था, वहां भारी संख्या में सुरक्षाबलों का पहरा है। आपका महल तो पुलिस छावनी बना है। आप जहां पैदा हुए थे, वहां गहरे-गहरे गढ्ढे खोदकर देखा गया था कि आप वहां पैदा भी हुए थे कि नहीं। शायद आपके पोतड़े ही मिल जाएं। कई साक्ष्यों के बावजूद भी आपके जन्म और जन्मस्थान पर प्रश्न चिन्ह लगे हैं। संदेह की इंतेहा देखिए कि उस समय कौन दाई थी, यह सवाल भी उठ चुका है, लेकिन बुजुर्गों की नसीहतों के बाद आपके पीछे पड़े कलियुगी राजनेताओं को चुप होना पड़ा। आप तो ब्रह्मांड में कण-कण में बसते हैं, किंतु आपको इतिहासकारों की किताबों में भी ढूंढा गया। बड़ी लंबी कोर्ट कचहरी के बाद तीन जजों ने एक फैसला दिया था, तो वोट बीच में आ गए, उत्तर प्रदेश के राजनेता मुलायम सिंह यादव पहले तो कोर्ट का फैसला मानने की बात कहते रहे और जब फैसला आया तो कोर्ट पर ही निशाना लगा दिया। पता नहीं क्या कहने लगे कि देश ऐसे नहीं ऐसे चलता है। जब बोलते हैं तो कभी-कभी समझ ही नहीं आता कि क्या बोल गए। देश में आम चुनाव होने वाला है और आप खुद ही देख लीजिए। इनके पुत्र की सरकार में करीब 27 तो सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं और कानून व्यवस्था से जनता तौबा कर रही है।
हे, मर्यादा पुरुषोत्तम! हम आपसे एक प्रश्न करने की धृष्टता कर रहे हैं कि आप इस समय कहां हैं? आप ही प्रकट होकर अपने जन्म के मुद्दे को हमेशा के लिए खत्म क्यों नहीं कर देते? क्योंकि अयोध्या में आपके जन्म-स्थान के विवाद का समाधान अब न किसी अदालत के पास है, ना ही इन आधुनिक इतिहासकारों और राजनीतिज्ञों और उनके दलों के पास है। इसका समाधान मान्यता और आस्था के रूप में खोजने की कुछ मनीषियों ने कोशिश की थी, किंतु कुछ ‘कालनेमी’ बीच में आ गए और आप तो जानते ही हैं कि ये कलियुग है, और वह भी मृत्यु लोक। यहां कालनेमियों से कौन जीत सकता है? इसलिए हम आपको ढूंढ रहे हैं। अब आप ही आइए और अपनी प्रजा का संताप हरिये। रक्षा करो, प्रभु रक्षा करो!